पश्चिम बंगाल हिंसा : TMC कार्यकर्ताओं पर दुष्कर्म का आरोप, सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिलाएं - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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पश्चिम बंगाल हिंसा : TMC कार्यकर्ताओं पर दुष्कर्म का आरोप, सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिलाएं

तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से महिलाओं का सामूहिक दुष्कर्म करने के साथ ही लोगों के साथ हिंसा का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

पश्चिम बंगाल की एक 60 वर्षीय महिला और एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की ने हाल ही में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने पर तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से महिलाओं का सामूहिक दुष्कर्म करने के साथ ही लोगों के साथ हिंसा का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इन्होंने चुनाव के बाद हुई हिंसा की सभी घटनाओं की एसआईटी जांच की मांग की है। 60 वर्षीय महिला ने आरोप लगाया कि उसके 6 वर्षीय पोते के सामने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यकर्ताओं ने 4-5 मई की मध्यरात्रि को उसके साथ दुष्कर्म किया और इसे चुनाव के बाद की प्रकृति का एक जीवंत उदाहरण करार दिया।
आरोप लगाया गया है कि सत्ताधारी पार्टी का विरोध करने वालों के परिवार के सदस्यों के खिलाफ पूरे राज्य में हिंसा देखी गई है। महिला ने कहा कि 3 मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, 100-200 लोगों की भीड़, जिसमें मुख्य रूप से तृणमूल समर्थक शामिल थे, ने उन्हें घेर लिया और परिवार को घर छोड़ने के लिए कहा।
महिला ने सुप्रीम कोर्ट में दी अपनी याचिका में बताया कि खेजुरी विधानसभा सीट पर भाजपा के जीतने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता क्रोधित हो गए और कार्यकतार्ओं की भीड़ ने 3 मई को उनके घर को घेर लिया था। हिंसा के दौरान भीड़ ने उनके घर को बम से उड़ाने की धमकी भी दी थी।
महिला ने शिकायत में बताया कि उन्होंने शारीरिक यातना देना, आभूषण और अन्य कीमती सामान लूटना शुरू कर दिया था। महिला ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि हालांकि इतिहास ऐसे भीषण उदाहरणों से भरा हुआ है, जहां दुश्मनी के तौर पर नागरिक आबादी को आतंकित करने के लिए दुष्कर्म किए गए हैं, लेकिन कभी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत एक महिला नागरिक के खिलाफ उसके या उसके परिवार की भागीदारी के साथ इस तरह के क्रूर अपराध नहीं देखे गए हैं।
महिला ने मामले में राज्य के अधिकारियों/पुलिस की निष्क्रियता को भी उजागर किया है। शिकायत में कहा गया है कि यह चौंकाने वाला तथ्य रहा है कि अपराध के बाद पीड़ितों को अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने में भी अपमानित होना पड़ा।
 पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब उसके दामाद ने घटना की रिपोर्ट देने की कोशिश की तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया और उसकी बहू ने भी इस पर जोर दिया तब जाकर प्राथमिकी दर्ज की गई। बाद में महिला का अस्पताल में इलाज कराया गया, जहां चिकित्सकीय जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हुई।
एसआईटी जांच की मांग करते हुए, महिला ने कहा कि स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही जांच की विकृतता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुष्कर्म पांच आरोपियों द्वारा किया गया था, जिनके नाम दुष्कर्म पीड़िता द्वारा लिए गए थे, मगर पुलिस ने जानबूझकर प्राथमिकी में पांच आरोपियों में से केवल एक का नाम ही चुना है।
इसके अलावा अनुसूचित जाति समुदाय की एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर 9 मई को तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा उसके कथित सामूहिक दुष्कर्म की एसआईटी/सीबीआई जांच की मांग की है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा है कि जब वह अपने दोस्तों के साथ घर लौट रही थी तो तृणमूल के चार कार्यकतार्ओं ने उसके साथ एक घंटे से अधिक समय तक दुष्कर्म किया।
पीड़िता ने दावा किया कि उसके परिवार की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन पर उनके परिवार को एक सबक सिखाने के उद्देश्य से यह कुकृत्य किया गया। नाबालिग ने कहा कि दुष्कर्म के बाद, उसे जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया गया था और अगले दिन, तृणमूल सदस्य एस. बहादुर उसके घर आया और शिकायत दर्ज करने के खिलाफ उसके परिवार के सदस्यों को धमकी दी।
पीड़िता ने शीर्ष अदालत से मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की। उन्होंने आवेदन में कहा, स्थानीय पुलिस/प्रशासन का आचरण ऐसा रहा है कि पुलिस उसके और परिवार के सदस्यों के साथ सहानुभूति रखने के बजाय उसके परिवार पर दबाव बना रही है कि उनकी दूसरी बेटी को भी यही परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
यह याचिका बंगाल भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार द्वारा एक लंबित मामले में दायर की गई थी, जिसकी कथित तौर पर चुनाव के बाद हुई हिंसा में हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया था और वह मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगी।

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