हरिद्वार : आगामी 13 सितम्बर से गणेश चतुर्थी शुरू हो जाएगी और इस पर्व को मनाने हेतु लोग मुंबई की भांति हरिद्वार में भी विशाल विशैली मूर्तियां खरीदकर गंगा में प्रवाहित करते हैं जिससे प्रदूषण कईं अधिक बढ़ जाता है, ऐसे में क्या हरिद्वार प्रशासन इसकी रोकथाम हेतु कदम उठाएगा या इस बार फिर मां गंगा मनुष्यों द्वारा प्रदूषित होगी ? बता दें कि गंगा की सफाई के तमाम अभियानों के बावजूद लोगों को जीवन देने वाली इस नदी के प्रदूषण स्तर में कोई खास कमी नहीं आयी हैं इससे मोदी सरकार लगातार सवालों के घेरे में है। अब सरकार जिन कदमों पर विचार कर रही है उनमें सशस्त्र गंगा सुरक्षा बल जीपीसी गठित करना सबसे अहम है इसके लिए एक विधेयक क मसौदा तैयार किया जा रहा है।
अगर यह विधेयक कानून का रूप लेता है तो गंगा को प्रदूषित करने वालों को गिरफ्तार किया जा सकेगा। जीपीसी के गठन के अलावा गंगा में गंदगी फैलाने और नदी का प्रवाह रोकने की किसी भी कोशिश को अपराध माना जा सकता है। साथ ही तीन साल की कैद की सजा और पांच लाख रूपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। जीपीसी के जवानों के पास गंगा को प्रदूषित करने वालों को गिरफ्तार करने की शक्तियां होंगी। केंद्र सरकार ने पूर्व में भले ही पुन: प्रतिबद्धता दर्शाते हुए हजारों करोड़ रुपए की योजना सहित अन्य योजनाएं ही क्यों न बनाई हो, लेकिन गंगा को प्रदूषण मुक्त करने हेतु एक जनांदोलन की आवश्यकता महसूस की जा रही है, क्योंकि इसे गंगा का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आज भी गंगा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
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पिछले तीन दशकों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर हजारों करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन फिर भी गंगा मैली की मैली है। बहरहाल गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प तभी पूरा हो सकता है, जब संत समाज, बुद्धिजीवी वर्ग सहित अधिकारी सच्चे मन से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने हेतु आगे बढ़ें तभी गंगा को प्रदूषण से मुक्त कराने के प्रयास सफल होंगे।
– संजय चौहान