नई दिल्ली : समाज के किसी हिस्से को सुविधाओं से वंचित रखना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट ने दिव्यांगों के लिए सरकारी इमारतों में सुविधाओं के अभाव वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं। दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायामूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि कई बार कहने के बावजूद भी दिव्यांगों की सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा जा रहा। समाज के इस हिस्से को सुविधाओं की कमी बर्दास्त नहीं की जाएगी।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और लोकल एजेंसियों को दिव्यांगों के मुद्दे पर गंभीर होने के लिए भी कहा। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के 22 नए पुलिस स्टेशन्स में दिव्यांगों की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या इनमें जो लॉकअप है उसके टॉयलेट दिव्यांगों को ध्यान में रखकर बनाये गए है। क्या तिहाड़ जेल में एक भी टॉयलेट दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक है।
अदालत ने कहा कि पुलिस स्टेशन में केवल शिकायतकर्ताओं की ही सुविधा को ध्यान न हो बल्कि दिव्यांग आरोपियों के लिए भी सुविधा का ख्याल रखा जाए। बेंच ने पार्क की एंट्री पॉइंट पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें भी ऐसा बनाया जाता है कि जहां बुजुर्ग और दिव्यांग आसानी से नहीं जा सकते। बेंच ने नगर निगम को कहा कि वो अपने इलाके में एक या उससे ज्यादा क्षेत्र को दिव्यांगों की सुविधाजनक क्षेत्र के तौर पर विकसित करें। मामले की अगली संवाई 21 मार्च को होगी।
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