नई दिल्ली : कई माह से चले आ रहे सीलिंग की मार से परेशान दिल्ली के व्यापारियों व दुकानदारों को अप्रैल के अंत तक इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। लोकसभा सांसद और दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा आयोजित सर्वदलीय व्यापार संसद के मंच से इस बात की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की पक्षधर है। हम चाहते हैं व्यापारी भाई खुले दिल से व्यापार करें और अपना बिजनेस आगे बढ़ाएं। तिवारी ने कहा कि उन्होंने आगामी 12 अप्रैल को एक बैठक बुलायी है जिसमें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन तथा एल एंड डीओ के अधिकारी शामिल होंगे।
इस बैठक में वर्तमान मास्टर प्लान में मौजूद प्रावधानों के अनुसार सीलिंग के संकट को समाप्त करने का हल निकाला जाएगा। उन्होंने कोर्ट से भी प्रार्थना की कि वह सीलिंग के मामले पर दुकानदारों को दंडित करने की नीयत से ज्यादा समाधान की नीयत पर ध्यान दे। कोर्ट छोटी-छोटी गलतियों को नजर अंदाज करते हुए सीलिंग का जल्द हल निकाले। सरकार भी अपनी ओर से इस मुद्दे पर टास्क फोर्स का गठन करके इन गलतियों को कानून सम्मत बनाएगी। इस दौरान मनोज तिवारी ने अमर कॉलोनी में सीलिंग के दौरान व्यापारियों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इस घटना पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि वे दुकानदारों से मिलने गये थे। उनकी व्यवस्था सुनकर काफी दुख हुआ। तिवारी ने कहा कि उन्हें परेशान होने की जरुरत नहीं है, इस माह के अंत तक उन्हें सीलिंग की समस्या से निजात मिल जाएगी।
वहीं केन्द्र सरकार पर सीलिंग को लेकर गंभीरता न बरतने का आरोप लगाते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि मौजूदा मास्टर प्लान में सीलिंग रोकने के प्रावधान हैं लेकिन केन्द्र सरकार कोर्ट को प्रावधान सही तरीके से नहीं समझा सकी। उन्होंने तत्कालीन शहरी विकास मंत्री सिकंदर बख्त के 1978 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए हा कि अमर कॉलोनी में आगे-पीछे के हिस्सों को उसी समय नियमित कर दिया गया था। इसके बाद 29 नवंबर 2015 में एक नया सर्कुलर आया। जिसके अनुसार यदि सप्लीमेंट्री लीज-डीड को यदि लागू कर दिया जाए तो अमर कॉलोनी के दुकानदारों को राहत मिल जाएगी। व्यापार संसद में उपस्थित दक्षिणी निगम की महापौर कंवलजीत सहरावत ने कहा कि निगम कतई नहीं चाहता कि व्यापारियों को परेशानी हो लेकिन हम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकते।
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