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5-जी का पंगा

एक समय था जब केवल अमीर लोगों के पास ही मोबाइल फोन होते थे।

एक समय था जब केवल अमीर लोगों के पास ही मोबाइल फोन होते थे। फिर सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति के बाद अब हर किसी के हाथ में मोबाइल नजर आ रहा है। अब तो महंगे से महंगे फोन बाजार में उपलब्ध हैं। कभी 2-जी का दौर था। इंटरनेट चलता तो था लेकिन उसकी गति बहुत धीमी होती थी। फिर धीरे-धीरे 3-जी का दौर आया। फिर प्राइवेट सैक्टर की कई कम्पनियां 3-जी की सेवाएं देने लगीं और फिर आ गई 4-जी तकनीक। जी से सामान्य अर्थ है जेनरेशन। भारतीय अभी चार यानि चाथी जेनरेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब 5-जी का इंतजार किया जा रहा है। टैक्नोफ्रेंडली लोगों को भी बेसब्री से इस जेनरेशन का इंतजार है। 
अमेरिका, चीन और अन्य देशों में 5-जी का दौर शुरू हो चुका है और वहां पर 6-जी के ट्रायल भी शुरू हो चुके हैं। प्रौद्योगिकी के लिहाज से भारत को भी अपडेट होना होगा। क्योंकि 61 देशों में 5-जी सर्विस शुरू हो चुकी है। भारत में भी 5-जी नेटवर्क की शुरूआत होने वाली है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन के अनुसार भारत के 13 शहरों में शुरूआत स्तर पर 5-जी स​र्विस दी जाएगी और बाकी शहरों में भी धीरे-धीरे यह सर्विस शुुरू हो जाएगी। देश की तीनों प्रमुख टेलीकॉम कम्पनियों ने पहले ही शहरों में अपनी टेस्टिंग साइट स्थापित कर दी है। 
जब तक भारत अपने आप को 5-जी के लिए तैयार नहीं करता तब तक कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इसका पहला पंगा सामने आ चुका है। उत्तरी अमेरिका में 5-जी इंटरनेट लगाए जाने के कारण एयर इंडिया ने भारत-अमेरिका रूट पर कई उड़ानें रद्द कर दी हैं। इसका कारण यह बताया गया है कि 5-जी की वेव्स विमान के नेविगेशन ​सिस्टम में हस्तक्षेप कर सकती है। अमेरिकी विमानन नियामक फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा था कि विमान के रेडियो अल्टीमीटर के साथ 5-जी इंटरफेरेंस इंजन और ब्रेकिंग सिस्टम को लैडिंग मोड में ट्रांसीशनिंग से रोक सकता है जिससे एक विमान को रनवे पर रुकना मुश्किल हो जाएगा।
अल्टीमीटर जमीन के ऊपर  विमान की ऊंचाई को मापता है, ​जिस बैंड पर अल्टीमीटर काम करता है वह उस बैंड के करीब होता है, जिस पर 5-जी सिस्टम काम करता है।​फिलहाल डीजीपीए का कहना है कि अमेरिका में 5-जी इंटरनेट की तैनाती के कारण उत्पन्न हुई स्थि​ति  से उबारने के लिए इंडियन एविएशन रेगुलेटर काम कर रहा है। कुछ एयरलाइन्स का कहना है कि दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाने वाला विमान बोइंग 777 ​विशेष रूप से तीव्र गति वाली वायरलैस सेवा से प्रभावित है। अब तक दिल्ली-न्यूयार्क, दिल्ली-शिकागो, दिल्ली-सैनफांसिस्को, न्यूयार्क की उड़ानें रोक दी हैं और वहां से भी उड़ानें आना बंद हैं। कोई भी एयरलाइन्स यात्रियों को जोखिम में नहीं डाल सकती, इसलिए उड़ानें रोकने का फैसला सही है लेकिन  अमेरिका द्वारा हवाई अड्डों पर 5-जी सेवा शुरू करने पर रोक लगा दिये जाने के बाद बोइंग 777 ने उड़ान भरनी शुरू कर दी है। अन्य एयरलाइन्स भी उड़ानें शुरू कर देंगी। इससे एक बड़ा सबक यह मिलता है कि जब तक सभी देशों के हवाई अड्डे 5-जी सेवाओं से लैस नहीं होते तब तक कोई भी एक पक्षीय परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।  
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक अफवाह तेजी से फैली थी कि 5-जी टेस्टिंग की वजह से देश में कोरोना के मामले भी बढ़ रहे हैं। कोरोना तो उन देशों में भी फैला जहां 5-जी पहले ही मौजूद है और ट्रायल शुरू होने से पहले भी तो वहां मामले तेजी से बढ़ रहे थे। बहरहाल सरकार की ओर से इस अफवाह का खंडन किया गया था। भारत सरकार ने 5-जी ट्रायल की अनुमति दे दी है और टेलिकाम कम्पनियों को जल्द ही स्पैक्ट्रम उपलब्ध कराने की घोषणा की थी।
अभी तो विमान सेवाओं में बाधा आई है, हो सकता है हमें कुछ अन्य मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए पूरी दुनिया के साथ तालमेल कायम करने और उनसे कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने के लिए हमें नवीनतम प्रौद्योगिकी में खुद को लैस करना जरूरी है। यह सही है कि विज्ञान के दो पहलु हैं, विज्ञान एक ओर प्रगति का पर्याय है और इसने मानव जीवन को सुखद बनाया है, दूसरी तरफ विज्ञान विध्वंस भी कर सकता है। इसलिए विज्ञान के सकारात्मक उपयोग के लिए हमें हर दम तैयार रहना चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं कि 5-जी के आने से बहुत कुछ बदल जाएगा। इंटरनेट की स्पीड की बात करें तो 5-जी की स्पीड 4-जी से काफी ज्यादा होगी। 4-जी की पीक स्पीड 1 जी वीपीएस तक की है, वहीं 5-जी की पीक स्पीड 20 जीबीपीएम यानी 20-जी बी प्रति सैकेंड होगी। इससे क्नेक्टिविटी काफी बेहतर हो जाएगी। 5-जी टैक्नोलोजी से हैल्थकेयर, वर्चुअल रियलिटी, क्लाग गो​मिग के नए रास्ते खुल जाएंगे। ड्राइवरलेस कार की सम्भावना इसके ​जरिये पूरी होगी। आने वाले दिनों में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, यातायात प्रबंधन, स्मार्टसिटी के कई एप्लिकेशंस की एक विस्तृत शृंखला क्रांति की उम्मीद है। 5-जी तकनीक से स्पैक्ट्रम दक्षता अधिक और डाउन लोडिंग की गति पहले से अधिक बेहतर होने की उम्मीद है। 5-जी की सहायता से वर्ष 2035 तक भारत में एक ट्रिलियन अमेरिकी डालर का संचयी आर्थिक प्रभाव पैदा होने की उम्मीद है। यद्यपि भारत इस तकनीक को देर से अपनाने वाले देशों में से एक है परन्तु इस तकनीक से एक नए युग की शुरूआत होगी लेकिन भारत को लम्बा रास्ता तय करना होगा। अंतिम लक्ष्य ऐसी तकनीक में बदलाव करना है जो ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार के उपयोगकर्ताओं के साथ दूरसंचार क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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