आकाश : मिसाइल निर्यातक बना भारत - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

आकाश : मिसाइल निर्यातक बना भारत

राष्ट्र की रक्षा से बड़ा न कोई पुण्य है, न कोई व्रत और न ही कोई यज्ञ है। सात पड़ोसी देशों से जुड़ी 15 हजार किलोमीटर से लम्बी सीमा और साढ़े सात हजार किलोमीटर से ज्यादा लम्बी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्र सर्वोपरि की इसी निति के साथ केन्द्र की मोदी सरकार ने सीमा पर बेजोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया, साथ ही रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

राष्ट्र की रक्षा से बड़ा न कोई पुण्य है, न कोई व्रत और न ही कोई यज्ञ है। सात पड़ोसी देशों से जुड़ी 15 हजार किलोमीटर से लम्बी सीमा और साढ़े सात हजार किलोमीटर से ज्यादा लम्बी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्र सर्वोपरि की इसी निति  के साथ केन्द्र की मोदी सरकार ने सीमा पर बेजोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया, साथ ही रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
आज का भारत वह देश है जो दुश्मन के घर में घुसकर मारता है। आज जल, थल और नभ में भारत की शक्ति में वृद्धि हुई है। आजादी के बाद से ही भारत युद्धक ​हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार रहा। 1962 में चीन से युद्ध में पराजित हो जाने के बाद हमें सबक मिला तब भारत सरकार ने कुछ करने की सोची। तत्कालीन रक्षा मंत्री वी.के. मैनन ने आर्डिनेंस फैक्टरी की नींव रखी थी।
हालांकि इससे पहले 1954 में बीईएल और 1958 में डीआरडीओ की स्थापना हो चुकी थी। 1970 के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र का ​​विकास हुआ। इसके तहत भारत ने रूस के सहयोग से मिग-21 का प्रोडक्शन शुरू किया। इसके बाद डीआरडीओ, बीईएल बीडीएल ने इंटीग्रेटेड  मिसाइल डेवलपमैंट कार्यक्रम शुरू किया था। 1989 में भारत ने इंटरकांटिनेंटल रेंज बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि बनाई।
1998 में पृथ्वी मिसाइल बनाई। 2009 में आकाश मिसाइल बनाई। इसी बीच भारत ने सतह से हवा में मार करने वाली ​त्रिशूल और नाग मिसाइल बनाईं।  1996 में भारत ने अर्जुन टैंक बनाया। फिर सबसे घातक ब्रह्मोस मिसाइल बनाई। मेक इन इंडिया के तहत लड़ाकू विमान तेजस की पहली स्क्वाड्रन को भी शामिल किया गया। रक्षा क्षेत्र में, शोध की दिशा में भारत नित नए पड़ाव पार कर रहा है तो इसका पूरा श्रेय डीआरडीओ को जाता है।
बलस्य मूलं विज्ञानम् यानी शक्ति का स्रोत विज्ञान है। इसी स्रोत की मूल भावना के साथ डीआरडीओ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मामले में सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। अपने दस प्रति​ष्ठानों और 50 से ज्यादा प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के साथ डीआरडीओ वैमानिकी, आयुध, इलैक्ट्रानिक्स, लड़ाकू वाहन इंजीनियरिंग सिस्टम, मिसाइल, नौसेना प्रणाली, राडार और इलैक्ट्रानिक युद्ध प्रणाली जैसे कठिनतम क्षेत्रों में अनुसंधान की दिशा में काम कर रहा है।
रक्षा क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने आकाश मिसाइल सिस्टम के निर्यात की अनुमति दे दी है। निर्यात किया जाने वाला संस्करण भारत सरकार के पास तैनात मौजूदा आकाश मिसाइल वर्जन से अलग होगा। जो देश हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा है, वह मिसाइल का ​निर्यात करना शुरू कर दे तो यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। लगभग सात देशों ने आकाश मिसाइल खरीदने के लिए इच्छा जताई थी। डीआरडीओ के अनुसंधान का लोहा अब दुनिया मान रही है।
अब भारत रक्षा उत्पादों के निर्यात के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष 25 देशों में शामिल हो गया है। मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में भारी निवेश किया है, कई तरह की युद्धक सामग्री और उपकरणों के आयात पर रोक लगाई है ताकि एक सौ एक से ज्यादा सेना की जरूरत के हथियार और सामग्री का निर्माण देश में हो सके। मेक इन इंडिया के तहत बेहतरीन स्तर के हथियार और बुलेटप्रूफ जैकेटों को बनाने की शुरूआत की गई है।
उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफैंस कॉरीडोर बनाए जा रहे हैं। वर्ष 2025 तक भारत 35 हजार करोड़ के रक्षा उत्पाद निर्यात का लक्ष्य पाना चाहता है। सरकार ने औद्योगिकी लाइसैंसिंग के लिए रक्षा उत्पादों की सूची को छोटा कर अधिसूचित किया। डीआरडीओ और रक्षा उत्पादन विभाग के जरिये निजी उद्योगों और स्टार्टअप के साथ सहभागिता को बढ़ावा दिया गया।
छोटे और लघु उद्योगों के साथ स्टार्टअप के लिए रक्षा क्षेत्र से जुड़ने के लिए पहल की गई है। भारत का रक्षा निर्यात बिल काफी अधिक है। अगर एयरक्राफ्ट, लड़ाकू विमान, कार्बाइन और अन्य अहम छोटी-छाेटी चीजें जैसे कोल्ड ग्लो​ि​दंग जैसी चीजों को घर पर बना पाएंगे तो यह बहुत बड़ा कदम होगा।
वर्तमान समय में जब पड़ोसी पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत के खिलाफ शतरंजी चालें चल रहे हैं, उसे देखते हुए भारत जितनी जल्दी हाे सके रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा उतना ही अच्छा होगा। चीन और पाकिस्तान के बढ़ते दबाव के कारण भारत को लाखों-करोड़ों के सैन्य उपकरण विकसित देशों से खरीदने पड़ते हैं। अमेरिका, फ्रांस, रूस तथा कई अन्य देश भारत को सैन्य उपकरण बेचने के लिए एक बड़े बाजार की तरह देखते हैं।
स्वदेशी उपकरणों के लिए करीब 2 हजार करोड़ का अतिरिक्त बाजार खुलेगा और घरेलू उद्योगों को लाभ होगा। वर्ष 2021 हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि इसी वर्ष हमने सेना के लिए व्हील्ड टैंक, हल्की मशीनगन, असाल्ट राइफलों समेत 11 तरह के उपकरणों की खरीद घरेलू स्तर पर करनी है। इसी वर्ष 42 हजार करोड़ की छह पनडु​ब्बियां खरीदनी हैं। ये पनडुब्बियों भारत में ही मझगांव डॉकयार्ड में बनाई जा रही हैं। शास्त्र हमें देश की रक्षा का संदेश और जीवन जीने की शैली सिखाते हैं और शस्त्र हमें बल और तेज देते हैं। 
-आदित्य नारायण चोपड़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 + 18 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।