कानून से बड़े नहीं हैं चिदम्बरम - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

कानून से बड़े नहीं हैं चिदम्बरम

NULL

रसूखदार सच तो यही है कि हमारे लोकतंत्र में जब-जब घोटाले होते हैं तब-तब रसूखदार लोग अपनी बड़ी हैसियत और पैसे के दम पर बच निकलते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने एक चौपाई में लिखा था- समरथ को नहिं दोष गुसाईं अर्थात जो व्यक्ति समर्थवान और ताकतवर है, वह कभी दोषी प्रमाणित नहीं किया जा सकता और उसकी हर बात जायज मानी जाती है। शायद हमारे यहां भी ऐसा ही माना जाने लगा है। सब जानते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की सीबीआई के हाथों गिरफ्तारी हो चुकी है। आईएनएक्स नाम की एक कंपनी हुआ करती थी और इसमें अपने पिता के वित्त मंत्री होते हुए बेटे कार्ति ने पूरी शह ली। लिहाजा विदेशी निवेश कानूनी सीमा से ज्यादा करवाया।

खुद फॉरेन इनवेस्टमेंट बोर्ड ने विदेशी निवेश की एक सीमा तय कर रखी थी, परंतु ‘सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का’ के तहत कार्ति चिदंबरम ने नियमों को तोड़ डाला तो फिर इसी बोर्ड ने इसकी जांच की जरूरत पर जोर दिया। वित्त मंत्री पिता ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। इस कंपनी में पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी के पास मल्कियत थी और यह वही पीटर और इद्राणी हैं, जो आज अपनी बेटी के कत्ल में जेल में बंद हैं। कार्ति चिदंबरम साहब ने यह जांच बंद कराने के बदले में मोटी रिश्वत ली। सीबीआई और ईडी तब से जाल बिछाए बैठे थे और अब छोटे मियां गिरफ्त में आ ही गए हैं। ताज्जुब इस बात का है कि चिदंबरम का बेटा कोर्ट-कचहरी के कामकाज में बड़ा एक्सपर्ट है और बराबर लुकाछिपी वह जांच एजेंसियों के साथ खेल रहा था।

मोदी सरकार ने साफ आदेश दे रखा था कि आर्थिक अपराधी चाहे कोई भी हो, एजेंसियों को अपना काम ईमानदारी और डटकर करना चाहिए। कार्ति चिदंबरम जांच एजेंसियों को सहयोग करने की बजाय अदालतों तक की दौड़ को अपना कर्त्तव्य मान रहे थे। अगर कोई घोटाले का आरोपी किसी मंत्री या रसूखदार का बेटा है तो क्या उसे बख्श देना चाहिए? और अब जब उसे गिरफ्तार कर लिया गया है तो कांग्रेसी शोर मचा रहे हैं कि यह गिरफ्तारी राजनीतिक बदले की भावना से की गई। कुछ कांग्रेसी तो यहां तक भी कह रहे हैं कि गिरफ्तारी का समय ठीक नहीं। हमारा सवाल है क्या गिरफ्तारी के लिए कोई शुभ मुहूर्त निकालना चाहिए था? घोटाले का कोई मुहूर्त नहीं और गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेसियों का यह विधवा विलाप अगर होता है तो एजेंसियां इसकी परवाह न करें और अपना काम ईमानदारी से करें। कभी भी कोई चोर या डाकू या घोटालेबाज यह नहीं कहता कि उसने गुनाह किया है।

आने वाले दिनों में पी. चिदंबरम पर भी गाज गिर सकती है। इस देश में कोई भी व्यक्ति कानून से बड़ा नहीं है। पद पर रहते हुए आप सब कुछ भूल जाते हैं और जब घोटाले सामने आते हैं तो फिर सरकार को दोष देते हैं। हालांकि इस देश में बहुत घोटाले हुए हैं और कानूनी लड़ाई में कई आरोपी बाइज्जत बरी भी हुए हैं लेकिन यह भी सच है कि वे घपलों में लिप्त तो रहे ही हैं। कानूनी लड़ाई में अक्सर जोड़-तोड़ और सबूतों के अभाव में गुनाहगार बच निकलते हैं। अगर गुनाह साबित नहीं हुआ तो इसका मतलब यह नहीं कि आरोपी गुनाहगार नहीं है। दरअसल, गुनाहगार कानूनी पेचीदगियों का फायदा उठाकर बच निकलते हैं।

ऐसे कई आर्थिक घोटाले हुए हैं, जिनमें आरोपी बच निकले हैं। यकीनन इसीलिए विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विक्रम कोठारी जैसे लोग जांच में सहयोग की बजाय दहाड़ रहे हैं। चोरी और सीना जोरी हमेशा नहीं चलती। एक न एक दिन उसका दी-एंड होता ही है। यह बात उन लोगों को समझ आ जानी चाहिए, जो ये कहते हैं कि माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोग भाग गए, उनका किसी ने क्या बिगाड़ लिया। हम स्पष्टï कर देना चाहते हैं कि कानून के हाथ बहुत लंबे हैं। अपराधी को यही लगता है कि उसके भागने का मार्ग बहुत लंबा है, परंतु इसी मार्ग पर कानून के हाथ और पहुंच उससे भी ज्यादा व्यापक हैं। बात सिर्फ वक्त की होती है। ये आंख-मिचौली स्थायी नहीं रहती।

सैकड़ों अपराधी पकड़े भी जा चुके हैं। यही इस केस का एक सकारात्मक पहलू है। अपराधी कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह कभी न कभी कार्यवाही की जद में आ ही जाता है। मोदी शासन ने वादा कर रखा है कि आर्थिक अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस समय सरकारी एजेंसियां किसी तोते की तरह व्यवहार नहीं कर रही हैं, बल्कि अपना काम स्वतंत्रता से कर रही हैं। जनता के बीच में अच्छा संदेश गया है। अपराधी केवल रसूखदार होने की वजह से बच निकले यह भारत में कभी स्वीकार नहीं है।

पॉलिटिक्स में हुकूमत करने वाले कांग्रेसी अपने गिरेबान में झांकें और अपने घोटालों को याद करें कि किस प्रकार उन्होंने सरकारी खजाने और व्यवस्था का दुरुपयोग किया है। घोटालेबाज एक-एक करके नापे जाएंगे। कार्ति चिदंबरम तो एक ट्रेलर है, अभी पूरी फिल्म बाकी है। कई और नेताओं के गुनाहों की, उनके भ्रस्टाचार की कहानी कालेधन के क्लाईमेक्स तक पहुंची हुई है और उनका भी जल्दी ही खात्मा होगा। लोगों ने आगाज देख लिया है और अंजाम बहुत जल्दी सबके सामने होगा। मोदी सरकार भ्रस्टाचार के खिलाफ और पुरानी सरकारों के भ्रस्टाचार की गंदगी को साफ करने का काम अपनी सरकारी एजेंसियों की मार्फत कराने में लगी है। थोड़ा वक्त तो लगेगा। बस इंतजार करिए और देखिए कि कौन-कौन रसूखदार, कब-कब काबू आता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 − thirteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।