पाकिस्तान की बर्बादी की कहानी आतंकवाद, उसकी फौज और सियातदानों ने लिखी है। अब जनता झेल रही है। रोटी, सब्जी, घी, तेल, दूध की महंगाई ने पाकिस्तानियों के मुंह से निवाला छीन लिया है। हर रोज सुबह-सुबह बुरी खबरें आ रही हैं। पाकिस्तान की हकूमत दिवालिया होने से बचने के लिए अपनी अधिकतम कोशिशें कर चुकी है, अब आगे रास्ता नजर नहीं आता। पाकिस्तान के हालात से घबराये लोग देश छोड़ भाग रहे हैं। पाकिस्तान का मीडिया कह रहा है कि अब पाकिस्तान जिन्दाबाद कहने का वक्त नहीं, पाकिस्तान से जिंदा भाग कहने का नारा बुलंद हो रहा है। इसी बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कबूल कर लिया है कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है और आतंकवाद हमारा मुकद्दर बन गया है।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि मजहब के नाम पर आतंकवाद का इस्तेमाल कीमती जानें लेने के लिए किया जा रहा है। आतंकवाद के खिलाफ हमें एकजुट होने की जरूरत है तभी इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत की अपील करते हुए स्वीकार किया था कि भारत के साथ पाकिस्तान ने तीन युद्ध लड़े जिससे पाकिस्तान को गरीबी और बेरोजगारी ही हासिल हुई। पाकिस्तान सबक सीख चुका है और अब हम शांति से जीना चाहते हैं। भारत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, क्योंकि भारत का स्टैंड है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान ने जिस तरह से आतंकवाद की खेती की है उससे अब उसकी वैश्विक छवि पूरी तरह से खराब हो चुकी है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान इस बात का संकेत है कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान में आत्मविश्लेषण का दौर शुरू हो चुका है। काश पाकिस्तान अपनी सियासत को लेकर पहले ही आत्ममंथन कर लेता तो आज उसे यह दिन देखने न पड़ते। भारत को कश्मीर ही नहीं कई जगह गहरे जख्म देने वाला पाकिस्तान भयंकर कर्ज में डूबा हुआ है। देश के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए से अधिक है। यह देश की जीडीपी 89 फीसदी है। पाकिस्तान पर चीन का 30 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है।
-पाकिस्तान में पैट्रोल, डीजल के दाम में 20 प्रतिशत से अधिक की बढ़ौतरी की जा चुकी है।
-पाकिस्तान में बिजली के दाम में एकमुश्त 8 रुपए प्रति यूनिट की बढ़ौतरी की जा चुकी है।
-पाकिस्तान में कारोबारियों को मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने का ऐलान हो चुका है।
-पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पौने तीन अरब डॉलर के आसपास तक पहुंच चुका है।
-महंगाई की दर 27 प्रतिशत के पार जा चुकी है।
-डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी करेंसी 25 फीसदी तक टूट चुकी है।
ऐसे में पाकिस्तान के सामने अब दूसरे देनदारों के रहम के अलावा कोई उम्मीद नहीं दिखती है। इसमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन की ओर से मिलाकर कुल साढ़े तीन अरब डॉलर का कर्ज पाकिस्तान को मिलने वाला है। अगर ये कर्ज नहीं मिला तो पाकिस्तान की नैया डूबने से बचाना मुश्किल हो जाएगा।
शहबाज शरीफ सरकार ने टैक्स लगाकर और सब्सिडी खत्म करके 170 अरब डालर जुटाने का ऐलान किया था। हकूमत ने 115 अरब डॉलर का नया टैक्स पाकिस्तानियों पर फोड़ दिया है। ताजा खबर यह है कि शहबाज की कुर्सी खुद खतरे में है। उनकी भतीजी मरियम नवाज की नजरें प्रधानमंत्री की कुुर्सी पर लगी हुई हैं और पाकिस्तान की सत्ता के गलियारों से छन-छन कर आ रही खबरों से संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान में कुछ होने वाला है। वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस्लामी दुनिया में उसके दोस्त मानते हैं कि पाकिस्तान को अपने घर को सम्भालना होगा। साथ ही अपने क्षेत्र से संचालित आतंकवादी गुटों का समर्थन करना बंद करना होगा। आतंकवाद ने पाकिस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को रोक दिया है। पहले उसने टीटीपी के आतंकियों को गले लगाया। लेकिन अब वही तहरीक-ए-तालिबान खुद उसके लिए गले की हड्डी बन चुका है। अब वह लगातार हमले कर निर्दोष नागरिकों के साथ-साथ सेना और पुलिस के जवानों को भी मौत के घाट उतार रहा है। भारत से संबंध मधुर न होने के कारण दोनों देशों में व्यापार बंद है जिससे पाकिस्तान के व्यापार को बहुत नुक्सान पहुंच रहा है। आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति बनाने का खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है। अगर पाकिस्तान को सम्भलना है तो आतंकवाद से दूरी बनानी होगी और भारत तथा अन्य पड़ोसी देशों से आर्थिक सहयोग पर ध्यान फोकस करना होगा। अफगानिस्तान से भी व्यापार की सम्भावनाएं हैं। पाकिस्तान अब भी नहीं सम्भला तो आत्मविस्फोट हो जाएगा। परमाणु हथियार रखने वाले देश के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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