हरियाणा के निर्माता कहे जाने वाले और किसानों के हरमन प्यारे रहे नेता ताऊ देवी लाल जी से मेरा गहरा संबंध रहा है, यूं कहिये कि उनसे मेरा संबंध दादा-पोते जैसा रहा है। जब भी कभी उनके बारे में अखबार में कुछ छप जाता तो वह मुझे डांट देते थे और मुझे बताते थे कि क्या सही है, क्या गलत है। उन्होंने देश की आजादी के लिए भी जेल काटी और आपातकाल में भी जेल गए। उनके और परम पूजनीय पितामह लाला जगत नारायण जी के संबंधों के चलते भी मैं उनका बहुत सम्मान करता था। राजनीति के महत्वपूर्ण घटनाक्रम के मौके पर मैं और ताऊ जी साथ रहे हैं। उनके पुत्र हरियाणा की राजनीति की पहचान रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, जो कि टीचर भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं, एक बार फिर चर्चा में हैं। 83 वर्ष की आयु में उन्होंने जेल में रहते हुए 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की है। वैसे हमारे घर में भी ऐसे लोग हैं जो प्रभाकर में फेल होने के बाद भी फन्नेखां बने हुए हैं लेकिन मैं आपको दाद देता हूं। यह परीक्षा पास करने के बाद अब श्री चौटाला ग्रेजुएशन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने यह परीक्षा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से दी है। पिछले दिनों पैरोल पर बाहर आए ओमप्रकाश चौटाला ने बताया कि तिहाड़ में उनकी सुबह अखबारों की खबरों पर चर्चा के साथ शुरू होती है। इसके बाद पढ़ाई-लिखाई और टीवी देखना रूटीन में शामिल है। उन्होंने अपने पोते दिग्विजय सिंह से अपने लिए ग्रेजुएशन की किताबें भी मंगवाई थीं। 5 बार मुख्यमंत्री रहे चौटाला ने जेल में समय का सदुपयोग करते हुए 12वीं की परीक्षा पास की है। इसके लिए मैं उन्हें बधाई देना चाहता हूं। पढऩे की कोई उम्र नहीं होती, जरूरत है तो इच्छा शक्ति की। ज्ञान कभी भी किसी भी समय प्राप्त किया जा सकता है। आयु कभी भी बाधक नहीं बनती। सोशल मीडिया पर भी ज्यादातर लोगों ने उनकी तारीफ की और कहा है कि सत्ता तो एक तरफ है लेकिन चौटाला जी के हौसले को सलाम। कई मजेदार टिप्पणियां भी हैं कि भविष्य में लालू भी जेल में पीएचडी करने के बारे में सोच सकते हैं। दरअसल ओमप्रकाश चौटाला को पारिवारिक व्यस्तताओं के कारण पढऩे का समय ही नहीं मिला। अब उन्होंने अपनी इच्छा पूरी की है।
सियासत ऐसी चीज है कि पता ही नहीं चलता कि आदमी कब अर्श पर तो कब फर्श पर। जब जमीनी राजनीति करते हुए लोग सत्ता के शीर्ष पर पहुंचते हैं तो जनता की अपेक्षाएं उनसे बढ़ जाती है। इसी क्रम में राजनीतिज्ञ जाने-अंजाने ऐसी भूल कर बैठते हैं जो उन्हें काफी महंगी पड़ती है। जेबीटी टीचरों की भर्ती में 3208 पदों पर नियुक्ति की गई थी, जब ताकत किसी के हाथों में होती है तो उसे देखना होता है कि ताकत का बेजा दुरुपयोग न हो। सम्भवत: चौटाला का कम पढ़ा-लिखा होना भी ताकत के दुरुपयोग का एक कारण हो सकता है। कई बार भ्रष्ट अफसरशाही भी राजनीतिज्ञों को गुमराह कर देती है। अगर ओमप्रकाश चौटाला शिक्षित होते तो वह भला-बुरा खुद सोच सकते थे। जब सत्ता बदलती है तो नई सरकार अपने प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने के लिए ऐसा चक्रव्यूह रचती है ताकि प्रतिद्वंद्वी उस चक्रव्यूह में फंस जाए। भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप तो दिग्गज नेताओं पर लगते रहे हैं, केस भी चलते रहे हैं, बहुत से राजनीतिज्ञ तो अब भी जेलों से बाहर हैं। यद्यपि उनकी कार्यशैली को लेकर मैं भी उनका आलोचक रहा हूं। पत्रकार होने के नाते मैंने अपने दायित्वों को पूरा किया है। हरियाणा की राजनीति की धुरी रहे चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी अब राजनीति कर रही है। पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें सत्ता विरासत में मिली। अब ताऊ जी के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला देश के सबसे युवा सांसद हैं। ताऊ जी के पौत्र अभय चौटाला, प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला जब भी मिलते हैं तो मुझे काफी सम्मान देते हैं तो मुझे अत्यंत आत्मीयता का अहसास होता है। यह सही है कि सियासत में धन की चमक बहुत ज्यादा होती है, जब मिलता है तो इस चमक में बहुत कुछ खो जाता है। तब राजनीतिज्ञों को सूझबूझ से काम लेना चाहिए। आज भी सियासत तो तलवार की धार पर चलने के समान है, जरा सा डगमगाए तो चारों खाने चित्त। ऐसा ही ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला के साथ भी हुआ। परिवार की चौथी पीढ़ी को पुरानी भूलों से सबक लेकर जनता से जुडऩा होगा। ताऊ देवी लाल देश की राजनीति के इतिहास का अहम हिस्सा रहे हैं, उन्हें तो जनता आज भी याद करती है। परिवार की चौथी पीढ़ी को राजनीतिक सफर में उन जैसा उदाहरण पेश करना होगा।