केजरीवाल जी को बुजुर्गों की फ्री तीर्थ यात्रा सुविधा के लिए बधाई। मैं समय-समय पर जो आपके द्वारा अच्छे काम हुए, शिक्षा के मामले में एडमिशन और फीसों के या ऑड-ईवन के लिए बधाई देती रही हूं और आर्टिकल भी लिखे परन्तु यह काम तो सराहनीय है अगर यह हमेशा के लिए हो क्योंकि बहुत से लोग मेरे पास आए। उन्होंने कहा कि चुनावी स्टंट है। चुनाव होते ही समाप्त हो जाएगा और केजरीवाल बहुत दिमागी व्यक्ति हैं, वो चुनाव जीतने के लिए कभी खांसी और कभी कुछ कर लेते हैं परन्तु मेरा मानना है कि आप ऐसा नहीं करोगे क्योंकि आपको बुजुर्गों की दुआएं हमेशा के लिए लेनी हैं न कि सिर्फ चुनाव के लिए। मेरा यह भी अनुभव है कि यह कार्य किसी राजनीति, धर्म, जाति से ऊपर उठकर है।
पिछले लगभग 15 वर्षों से मैं बुजुर्गों के लिए कार्य उनके बीच में रहकर कर रही हूं। लाखों बुजुर्ग सारे देश से हमारे साथ जुड़े हुए हैं, कुछ भावनात्मक तौर पर, कुछ खुद काम करते हुए तीनों तरह के बुजुर्ग जरूरतमंद, मिडिल क्लास, अपर मिडिल क्लास बुजुर्ग जिनकी जरूरतें और चाहतें अलग हैं, जरूरतमंद बुजुर्ग को आर्थिक सहायता आैर समय-समय पर उनकी जरूरत का सामान चाहिए (छड़ी, व्हीलचेयर, गर्म कपड़े, आंखों के फ्री ऑपरेशन आदि) और जो अच्छे घरों के बुजुर्ग हैं उन्हें समय बिताना और अकेलापन दूर करना जो हम समय-समय पर उनके लिए एक्टीविटीज करते हैं परन्तु एक बात तो इस उम्र में तय है कि जिस भी अवस्था में हों उन्हें फ्री की चीज बहुत अच्छी लगती है जैसे हर बार उन्हें चश्मे बांटे जाते हैं तो जाते-जाते कह जाते हैं कि हमें चश्मों के साथ धागा भी फ्री में मिलेगा (ऐनक को टांगने वाला)।
तो केजरीवाल जी आपने बहुत ही सराहनीय काम किया है। इन सबकी इच्छा होती है कि वे इस उम्र में तीर्थ स्थानाें पर घूमें या अकेलापन दूर करने के लिए अच्छे स्थान की यात्रा करें जैसे हम अपने बुजुर्गों को अक्षरधाम, वृन्दावन, गुरुद्वारों, मंदिरों में ले जाते हैं और समर्थ बुजुर्गों को दुबई, सिंगापुर की यात्रा भी करवाई है परन्तु सिर्फ टिकट या इंतजाम का सवाल नहीं, इनकी सेफ्टी और सेहत का ख्याल भी रखना होता है क्योंकि इस उम्र में सबको कोई न कोई समस्या होती है।
अधिकतर काे शुगर और ब्लड प्रैशर तो होता ही है ताे इनकी यात्राओं में डाक्टर और वालंटियर की बहुत जरूरत है क्योंकि हम हमेशा डाक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट और वालंटियर साथ लेकर गए हैं तो आपको भी मैं प्रार्थना करती हूं कि हमेशा हर ट्रेन और बस में डाक्टर और वालंटियर साथ रखिए और व्हील चेयर भी जरूरी है और खाने का सामान अगर किसी की शुगर लो हो जाए तो और जो भी वालंटियर साथ हो वो सेवाभाव और भावना से भरा हो नहीं तो मुश्किल है।
अगर आप आवाज लगाओगे तो बहुत से लोग आपको सेवाभाव से मिल जाएंगे क्योंकि मेरा सारा काम सेवाभाव से है चाहे ब्रांच हैड ले लो या वालंटियर ले लो सब सेवाभाव से काम करते हैं तो अगर सच्ची सेवा हो तो बहुत से लोग आगे आते हैं। आपकी तो सरकार है ताे आप एक तरह से उन लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं जो सेवाभाव रखते हैं क्योंकि उनको रोजगार की भी जरूरत है जिससे एक पंथ दो काज हो जाएंगे।
आपसे एक और प्रार्थना है कि हर मॉल में बुजुर्गों के लिए व्हील चेयर उपलब्ध हो, हर अस्पताल में हो, हर जगह जहां सुविधा के लिए या काम के लिए लाइन लगती है वहां बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर डील किया जाए, उनकी लाइन अलग हो और जो खड़े नहीं हो सकते उनके लिए व्हील चेयर हो। बुजुर्गों की पेंशन उनके घर पहुंचे, उन्हें लाइन में लगना न पड़े, न धक्के लगेंगे।
क्योंकि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब बहुत काम कर रहा है परन्तु सही में काम सरकार कर सकती है क्योंकि उनके पास पैसे और साधन की कमी नहीं होती। थावरचन्द गहलोत केन्द्रीय मंत्री जी ने भी हमें आश्वासन दिया है कि उनका विभाग बुजुर्गों के लिए कुछ भी करेगा। मुझे उन्होंने सैलेक्शन कमेटी में लिया जिसमें सारे देश के बुजुर्ग, जो काम कर रहे हैं और जो बुजुर्गों के लिए काम करते हैं उन्हें सैलेक्ट करना था, बहुत मेहनत करते हैं। उस विभाग में भी काम करने वालों के लिए बहुत पैसा है सो हम केन्द्र और स्थानीय दिल्ली सरकार से यही कहेंगे कि इस काम में पार्टी या राजनीति न करें, मिलकर काम करें और अनुभव हमसे ले लें क्योंकि हमारी बहुत सी ब्रांचें हैं जो अच्छी जगह को तरस रही हैं।
परन्तु राजनीति के आड़े हमें स्थान नहीं मिल पाता सो वालंटियर हमारे पास हैं, हम हर एरिया में ब्रांचें खोल सकते हैं अगर दोनों सरकारें हमें स्थान और धन से मदद करें क्योंकि यह काम तन-मन-धन से होता है, इसके लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना है। हमने जरूरतमंद बुजुर्गों को अडॉप्ट कराने का सिस्टम भी वर्ल्ड में पहली बार किया है इसलिए मैं केजरीवाल सरकार और थावरचन्द गहलोत जी से प्रार्थना करूंगी कि वह बढ़-चढ़कर बुजुर्गों को अडॉप्ट करें ताकि सभी बुजुर्ग ऐसी अवस्था में सुखी हों।