क्या केरल और पश्चिम बंगाल आतंकवाद का नया ठिकाना बन चुके हैं? जब भी टूरिज्म की बात की जाती है तो केरल के खूबसूरत नजारे जहन में उतर आते हैं लेकिन अब यह राज्य आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। एनआईए ने केरल और पश्चिम बंगाल में कई जगह छापे मार कर पाकिस्तान प्रायोजित अलकायदा के माड्यूल का भंडाफोड़ कर 9 आतंकवादियों को गिरफ्तार कर देश के प्रमुख प्रतिष्ठानों पर आतंकी हमले की साजिश को विफल बना दिया है। एनआईए आतंकवाद से जुड़े जिन मामलों की जांच कर रही है उनमें सबसे ज्यादा केरल से ही जुड़े हुए हैं। केरल के हालात बदतर होते जा रहे हैं।
खाड़ी देशों से नजदीकी के अलावा कई ऐसी वजहें हैं जो केरल को बर्बाद करने में लगी हुई हैं। केरल देश का पूर्ण साक्षर राज्य है। केरल ही वह प्रदेश है जहां देश के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक ढंग से साम्यवादी सरकार को चुना गया था। इसलिए कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि केरल चिंतन और व्यवहार में देश का प्रगतिशील राज्य है। इतिहास में केरल को परशुराम की धरती के नाम से भी जाना जाता है लेकिन केरल को मुस्लिम बहुल या ईसाई बहुत बनाने का षड्यंत्र कई वर्षों से चल रहा है। केरल में मतांतरित ईसाइयों और मुस्लिमों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब दोनों की जनसंख्या मिलाकर 50 फीसदी के लगभग हो गई है। अब दोनों को लगता है कि वे उस स्थिति में पहुंच गए हैं जिसमें वे एक-दूसरे को धक्का देकर या तो राज्य को ईसाई बहुल बना सकते हैं या फिर मुस्लिम बहुल। इस षड्यंत्र में निशाना राज्य में बचे हुए हिन्दुओं पर ही है। केरल में आतंकवाद की विचारधारा इतना जोर पकड़ चुकी है कि राज्य के शिक्षित युवाओं का एक समूह दुनिया के दुर्दांत आतंकी संगठन आईएस में भर्ती होने चला गया था। कुछ लौट आए और पकड़े भी गए और कुछ ने अपनी जान भी गंवा दी। इनमें कुछ युवतियां भी थीं, जो जिहाद के नाम पर गुमराह हो गईं। मीडिया कई वर्षों से ईमानदार रिपोर्टिंग कर जनसाधारण तक सारी जानकारी पहुंचा रहा है लेकिन राजनीति के सारे समीकरण मुस्लिम मतों के इर्दगिर्द आकर सिमट जाते हैं, इसलिए इन षड्यंत्रों का विरोध करने का कोई साहस जुटा ही नहीं पाता। जहां तक पश्चिम बंगाल का संबंध है तो वहां की सियासत पहले से ही खून से रंगी हुई है और वर्तमान ममता सरकार भी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों पर ही चल रही है। केरल में मुस्लिम आतंकवादियों के सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जमायत-ए-इस्लामिए हिन्द है। एक दशक पहले पीएफआई के गुंडों ने एक प्रोफेसर की बाहें इसलिए काट दी थीं कि उसने प्रश्न पत्र में इस्लाम के बारे में ऐसा प्रश्न पूछा था जिसे इस्लामी आतंकवादी स्वीकार नहीं कर सके थे। ज्यों-ज्यों आतंकवाद का बोलबाला बढ़ा त्यों-त्यों स्वतंत्र चिंतन पर ताले लटकते गए। अब पाकिस्तान में बैठे अलकायदा के आतंकवादी सोशल मीडिया के जरिये लोगों को कट्टरपंथी बना रहे हैं और शत-प्रतिशत शिक्षित राज्य के लोग भी उनके कुचक्र में फंस रहे हैं। अलकायदा माड्यूल के लोग विभिन्न माध्यमों से धन जुटा रहे थे ताकि नई दिल्ली आैर अन्य जगहों पर हमले कर सकें। अलकायदा एक बहुराष्ट्रीय आतंकवादी सुन्नी संगठन है, जिसकी स्थापना ओसामा बिन लादेन ने 1980 के दशक में की थी। अमेरिका पर 9/11 हमले का जिम्मेदार अलकायदा ही था। 2 मई, 2011 को लादेन के मारे जाने के बाद इस संगठन के नेतृत्वकर्ता के तौर पर मिस्र के डाक्टर अल जवाहिरी का नाम सामने आया था। अल जवाहिरी वीडियो संदेश जारी कर अमेरिका और भारत को भी धमकियां देता रहता है। दरअसल लादेन ने लड़ाई अमेरिका के खिलाफ शुरू की थी जो पूरी दुनिया में साम्राज्य के विस्तार के लिए हमले कर रहा था। अलकायदा ने सबसे पहले अपनी स्थापना के आठवें दशक में चेचेन्या में रूस के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उसके बाद दुनिया में अलग-अलग लड़ाइयों में भाग लिया जिसके बारे में उसने आरोप लगाया कि वहां मुसलमानों पर अत्याचार हुए हैं। हैरानी तो इस बात पर है कि केरल के लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित हो रहे हैं। जब कुछ लोग धर्म या विचारधारा से भ्रमित होकर अपना विवेक खो बैठते हैं तथा उन्माद की स्थिति तक पहुंच कर किसी समाज और देश को नुक्सान पहुंचाने की दृष्टि से अपने जीवन की परवाह न करते हुए उस पर हमलावर हो जाते हैं तो उन्हें ही आतंकवादी कहा जाता है। ये आतंकवादी खुशी-खुशी में आत्मघाती तक बन जाने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि उनको ऊंचे आदर्शों, मर जाने के बाद स्वर्ग के सुखों की प्राप्ति तथा परिवारजनों को पर्याप्त धन दिलाने का विश्वास दिला दिया जाता है। अलकायदा तो मानवता का दुश्मन है और उसकी सांठगांठ पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों से है। भारत की लड़ाई उस कट्टरवादी विचारधारा से है जो कैंसर की तरह पूरे विश्व में फैलती जा रही है। हमारी लड़ाई उस अवधारणा से है जो केवल स्वयं को ठीक समझती है और बाकी सबको गलत मानती है। धर्म के नाम पर पाखंड खड़ा करने वाले ये लोग पता नहीं किस मिट्टी के बने हैं कि इनके मुंह से शांति और प्रेम के स्वर ही नहीं सुनाई देते। हर एक मर्ज का एक ही इलाज है इनके पास-आतंकवाद। ऐसे लोग चाहे केरल में, पश्चिम बंगाल में या फिर दिल्ली में हों , ये भारत के लिए खतरनाक हैं। अतः इनकी पहचान करके इन्हें नष्ट करना ही किसी भी राष्ट्र की प्रभुसत्ता के लिए सबसे प्राथमिक कदम होना चाहिए। हमारी लड़ाई इस्लाम से नहीं, हमारी लड़ाई उस विचारधारा से है जो यह कहती है-
जीत गए तो गाजी
मारे गए तो शहीद
भारत के खिलाफ षड्यंत्र जारी हैं। केरल सरकार की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वोट बैंक की सियासत छोड़ ऐसे लोगों की पहचान करे अन्यथा टूरिज्म के लिए मशहूर केरल टैररिज्म का शिकार न हो जाए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com