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कोरोना : हम होंगे कामयाब

भारत को जब राज्यों का संघ हमारी संविधान सभा ने घोषित किया था और संविधान के रचयिता बाबा साहेब अम्बेडकर ने 26 नवम्बर, 1949 को यह घोषणा की थी

भारत को जब राज्यों का संघ हमारी संविधान सभा ने घोषित किया था और संविधान के रचयिता बाबा साहेब अम्बेडकर ने 26 नवम्बर, 1949 को यह घोषणा की थी कि स्वतन्त्र भारत ऐसी व्यवस्था के तहत चलेगा जिसमें केन्द्र की सरकार एक विशाल छाते की तरह प्रत्येक राज्य को किसी भी आपदा या संवैधानिक खतरे से सुरक्षा देते हुए उसे इस छाते के नीचे ले लेगी तो उनका आशय स्पष्ट था कि राज्य सरकारों कों विशिष्ट संवैधानिक अधिकारों से लैस किये जाने के बावजूद समग्र रूप में भारत की एकता, एकजुटता व सम्पुष्टता इसकी विविधतापूर्ण सामाजिक व सांस्कृतिक बहुलता राजनीतिक बहुरूपता के साथ कदमताल करते हुए चलेगी। संविधान में ही राज्यों की जिम्मेदारी बाबा साहेब इस प्रकार नियत करके गये कि वे हर हालत में क्षेत्रीय हितों को वरीयता देते हुए राष्ट्रीय हितों के प्रति समर्पित रहेंगे। भारत का यह संविधान केवल एक पुस्तक नहीं है बल्कि ऐसा गतिमान उपकरण है जो बदलते वक्त के अनुसार लोगों के समुचित विकास हेतु तत्कालिक चुनौतियों का सामना करते हुए देश के लोगों के विकास की प्रक्रिया को सतत् प्रवाहमान रखे हुए है। वर्तमान में कोरोना का संकट जिस तरह गहरा रहा है उसे देखते हुए यह जरूरी है कि देश का प्रत्येक राज्य और केन्द्र मिल कर ऐसा मजबूत स्वास्थ्य सुरक्षा तन्त्र तैयार करें जिससे किसी भी राज्य के हर नागरिक को लगे कि पूरा भारत उसके पीछे खड़ा हुआ है। 
आजकल रोजाना साढे़ तीन लाख कोरोना संक्रमण के मामले पूरे देश से आ रहे हैं और 2700 से ज्यादा लोग रोजाना मर रहे हैं। इसमें हर राज्य के आंकड़े अलग हो सकते हैं मगर एक बात साझा है कि जो भी बीमार हो रहा है या मर रहा है वह ‘भारतीय’ ही है। इन भारतीयों को बचाने के लिए ही हमें अपने सभी राजनीतिक आग्रह और वरीयताएं त्यागनी होंगी और युद्ध स्तर पर वह तैयारी करनी होगी जिससे हर नागरिक में यह भरोसा पैदा हो कि पूरी लोकतान्त्रिक व्यवस्था उसकी सुरक्षा में खड़ी हुई है। आगामी 1 मई से 18 वर्ष से 45 वर्ष तक के नागरिकों के कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो जायेगी। अभी तक 45 वर्ष से ऊपर के केवल 12 करोड़ के लगभग लोगों को ही वैक्सीन लगी है जबकि इनकी कुल संख्या 27 करोड़ से ऊपर की है। यह कार्य केन्द्र सरकार निःशुल्क आधार पर कर रही है। राज्यों की यह जिम्मेदारी है कि वे 18 से 45 वर्ष की आयु के लगभग 35 करोड़ लोगों के यह टीका सीधे वैक्सीन उत्पादक कम्पनियों से खरीद कर लगायें । वैक्सीन कम्पनियां इसकी कीमत अपने तय किये गये दामों पर प्राप्त करेंगी। जबकि लगभग प्रत्येक राज्य अपना बजट प्रस्तुत कर चुका है और उसने वैक्सीन खरीदने का इसमें कोई प्रावधान नहीं किया है।  राज्यों की इस तात्कालिक आर्थिक जरूरत को कैसे पूरा किया जायेगा यह सवाल भी खुला हुआ है। सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वैक्सीन उत्पादक कम्पनियां आगामी 1 मई से राज्य सरकारों को वैक्सीन उपलब्ध करा पायेंगी? क्योंकि कोविशील्ड वैक्सीन की उत्पादक कम्पनी  ‘सीरम इंस्टीट्यूट’ ने इनसे साफ कह दिया है कि आगामी 15 मई तक वह वैक्सीन सप्लाई नहीं कर सकती । इसकी वजह पहले से ही आपूर्ति करने के अनुबन्ध हैं। जाहिर है कि ये आपूर्ति आदेश केन्द्र सरकार के ही हैं। एेसे में राज्य सरकारें 1 मई से वैक्सीन लगाने की शुरूआत चाह कर भी नहीं कर सकती हैं। इससे विभिन्न राज्यों में वैक्सीन लगवाने के लिए आपाधापी और मारामारी होने का अंदेशा अभी से व्याप्त हो रहा है। अतः  सबसे पहला काम सभी सरकारों को मिल कर यह करना होगा कि अन्तिम समय में अराजकता के माहौल से बचने के लिए पहले से ही वैक्सीन सप्लाई की समुचित व्यवस्था करनी होगी और एेसा तन्त्र विकसित करना होगा जिससे आम नागरिकों में निराशा न फैल सके। यह कार्य कोई मुश्किल नहीं है केवल वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।
 भारत इस समय पूरी दुनिया की ‘फार्मेसी’ कहा जाता है। यहां का दवा व औष​िध उद्योग विश्व के गरीब देशों को औषधि सप्लाई करने में नम्बर एक है। आर्थिक उदारीकरण के दौर में हमने इस क्षेत्र में जो तरक्की की है उसका श्रेय निश्चित रूप से निजी कम्पनियों को ही जाता है। अतः ऐसा कोई कारण नहीं है कि  देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वैक्सीन उत्पादन की और इकाइयां स्थापित ‘औषध उत्पादन नियमों’ के तहत  न लग सकें। वह स्थिति बहुत दुखद होगी जब 18 से 45 वर्ष तक की भारत की युवा आबादी वैक्सीन लगवाने जाये और उसे लम्बी प्रतीक्षा सूची में डाल दिया जाये। अभी हमारे पास समय है और हम पहले से ही आकस्मिक सहायता तन्त्र खड़ा कर सकते हैं। यह कार्य निश्चित रूप से केन्द्र व राज्य सरकारों को मिल कर ही करना होगा। इसी प्रकार ‘रेमडेसिविर’ इंजेक्शन के वितरण की व्यवस्था हमें विभिन्न राज्यों में कोरोना की भयावहता को देखते हुए करनी होगी और हर नागरिक को विश्वास दिलाना होगा कि इसकी कमी की वजह से उसे तड़पने नहीं दिया जायेगा। आक्सीजन सप्लाई में अनियमितता पैदा होने से हम सबक सीख सकते हैं और एेसा ढांचा खड़ा कर सकते हैं कि आगे कोरोना के 
इलाज के लिए जरूरी किसी भी आवश्यक औषधि या यन्त्र में कमी न आने पाये। ऐसा नहीं है कि हम प्रबन्धन में किसी अन्य विकसित कहे जाने वाले देश से पिछड़े हुए हैं बल्कि हकीकत यह है कि पूर्व में विभिन्न टीकाकरण योजनाएं चला कर हम सिद्ध कर चुके हैं कि भारत का चिकित्सा तन्त्र इसके गांवों तक में अपनी गहरी पैठ रखता है। वर्तमान संकट पर भी भारत काबू रखने की पूरी क्षमता रखता है क्योंकि इसके लोग हमेशा आपदकाल में अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं हटते। पूरे देश में जिस तरह ‘आक्सीजन लंगर’ खुलने शुरू हो गये हैं वह इसी बात का प्रमाण है कि भारत की माटी में यह मन्त्र घुला हुआ है कि ‘सर्वे सन्तु निरामया।’

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