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देश के नए सेनाध्यक्ष

भारतीय सेना की शौर्य गाथाएं इतनी ज्यादा हैं कि उन्हें एक पुस्तक में बांधा नहीं जा सकता।

भारतीय सेना की शौर्य गाथाएं इतनी ज्यादा हैं कि उन्हें एक पुस्तक में बांधा नहीं जा सकता। उसने जहां एक ओर अपने पराक्रम का लोहा मनवाया है वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान को बचाया है। स्वतंत्रता के बाद सेना का भारतीयकरण हुआ। स्वतंत्र भारत की सीमाओं की रक्षा के प्रति उनका समर्पण विधिवत सुनिश्चित हुआ। भारतीय सेना का इतिहास बहुत गौरवशाली है। सेना ने अपनी प्रत्येक जिम्मेदारियों का निर्वाह अपनी जान की बाजी लगाकर किया है। 15 जनवरी, 1949 को पहली बार के.एम. करियप्पा को देश का पहला लैफ्टिनेंट जनरल घोषित किया गया था। इस गौरवशाली सेना के नए प्रमुख लैफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की नियुक्ति की घोषणा कर दी गई है। वे मौजूदा सेनाध्यी एम.एम. नरवणे की जगह लेंगे जो इस माह के आखिर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। श्री मनोज पांडे की नियुक्ति कई मामलों में बहुत खास है, क्योंकि वे सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स से आते हैं। आज तक इस काम्बैट इंजीनियरिंग सपाेर्ट से कोई सैन्याधिकारी सेना प्रमुख नहीं बना। मनोज पांडे सेना के पहले इंजीनियर आफिसर हैं और एमएम नरवणे के बाद सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना लद्दाख में चीनी सेना से लोहा ले रही है और यूक्रेन-रूस युद्ध को देखते हुए भारतीय सेना को नई रणनीति बनाने की जरूरत है।
यूक्रेन ने जिस  तरह से शक्तिशाली रूस की सेना को टक्कर दी है उसके बाद से ही भारतीय सेना को अपना रणनीतिक कौशल नए सिरे से तय करने की जरूरत है, क्योंकि युद्ध का स्वरूप परम्परागत युद्ध से काफी बदल चुका है और भविष्य में होने वाले युद्ध आकाश और साइबर अटैक से ही लड़े जाएंगे। लैफ्टिनेंट  जनरल मनोज पांडे काे1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स में कमीशन दिया गया था। अपनी 37 साल की सेवा में उन्होंने पश्चिम थियेटर में एक इंजीनियर ​ब्रिगेड, एलओसी पर पैदल सेना ब्रिगेड, लद्दाख सैक्टर में एक पर्वतीय ​िडविजन और उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान सम्भाली। पूर्वी कमान का कार्यभार सम्भालने से पहले मनोज पांडे जून 2020 से लेकर मई 2021 तक अंडमान आैर ​निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ भी रहे हैं। कारगिल युद्ध में अंजाम दिए गए आपरेशन विजय में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया था और आपरेशन पराक्रम का भी वे हिस्सा रहे। इसके अलावा भी उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कई मिशनों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। मनोज पांडे को सेना में अच्छा खासा अनुभव प्राप्त है। पिछले  तीन महीनों में सेना के कुछ शीर्ष अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं। इन अधिकारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद मनोज पांडे ही सेना अध्यक्ष बनने के सबसे बड़े दावेदार थे। यह परम्परा भी रही है कि सेनाध्यक्ष के बाद आर्मी का सबसे वरिष्ठ अधिकारी ही अगला आर्मी चीफ बनता है। हालांकि पूर्व सीडीएस दिवंगत जनरल विपिन रावत इस मामले में अपवाद रहे हैं।
पिछले साल अक्तूबर में जनरल पांडे ने चीन को लेकर सख्त टिप्पणी की थी कि भारत एलएसी पर शांति चाहता है लेकिन  अगर चीन का आक्रामक रवैया जारी रहा तो भारत भी एग्रेसिव-पोस्चर अपना सकता है। लैफ्टिनेंट जनरल पांडे सेना की कमान ऐसे समय में सम्भाल रहे हैं जब सरकार अनेक सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए थियेटर कमान की स्थापना के माध्यम से तीनों सेनाओं के एकीकरण पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। थियेटर कमान की योजना को भारत के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा था। उनकी गत दिसम्बर में एक हैलीकाप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी और सरकार ने अभी तक जनरल रावत के उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं की है। मनोज पांडे को एक काबिल अफसर माना जाता है। उनकी  नियुक्ति के बाद भारत के तीनों सेना प्रमुख 61वें बैच के होंगे। वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और  नौसेना अध्यक्ष एडमिरल हरी कुमार इसी बैच के हैं। नए सेना अध्यक्ष के सामने कई चुनौतियां हैं। बीते 2 साल से पूर्वी लद्दाख में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के नए खतरों की आशंकाएं कायम हैं तो मौजूदा रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में नई तरह की सामरिक चुनौतियों से सामना करना होगा।
इसके अलावा सेना के आधुनिकीकरण और जरूरी अस्त्र-शस्त्रों की यथाशीघ्र आपूर्ति नए सेना प्रमुख के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी। मनोज पांडे के नए सेनाध्यक्ष बनने से चीन के खिलाफ भारत की व्यूह रचना पर भी प्रभाव पड़ेगा। उन्हें पूर्वी कमान के कमांडर के तौर पर अच्छा खासा अनुभव है जो सिक्किम से लेकर अरुणाचल तक सीमा की रखवाली करती है। इस तरह भारतीय सेना एक और  चीन विशेषज्ञ अधिकारी ​मिला है। भारतीय सेना देश की आन-बान और शान है। मनोज पांडे के सेनाध्यक्ष बनने से भारतीय सेना का गौरव और बढ़ेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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