मौलिक अधिकार बने शुद्ध पेयजल - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

मौलिक अधिकार बने शुद्ध पेयजल

जल के बिना धरती पर मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चांद से लेकर मंगल ग्रह तक की सतह पर पानी तलाशने की कवायद में लगा है।

जल के बिना धरती पर मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चांद से लेकर मंगल ग्रह तक की सतह पर पानी तलाशने की कवायद में लगा है। पानी का महत्व सभी लोग जानते हैं। जल न हो तो हमारे जीवन का आधार ही समाप्त हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने पानी को लेकर काफी शोध किये हैं और पानी की गुणवत्ता को तय करने के मापदंड बनाए हैं। इन मापदंडों के अनुरूप इंसान को शुद्ध जल मिलना ही चाहिए। ज्यादा कैशिल्यम और मैगनेशियम वाला पानी कठोर जल होता है। जिस जल में हानिकारक रसायन होंगे तो वह स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। भारत में स्वच्छ पेयजल की समस्या बहुत विकट है। 
राजधानी दिल्ली में हम लगभग एक महीने से जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। हम सब हाफ रहे हैं। आंखों में जलन और सीने में चुभन महसूस कर रहे हैं। आसमान में छाये धुएं के चलते स्कूल बंद करने पड़ रहे हैं। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। तेज हवाओं ने जरूर राहत दी है। भारतीय मानक ब्यूरो ने दिल्ली सहित 20 राज्यों की राजधानियों के पानी की जांच कराई तो पता चला कि दिल्ली की हवा ही नहीं बल्कि पानी भी काफी खराब है। दिल्ली में 11 जगहों पर पाइप से आने वाले पानी के नमूने लिए गए और सभी नमूने परीक्षण में फेल पाए गए। 
पेयजल शुद्धता के मामले में मुम्बई अव्वल स्थान पर आया जबकि दिल्ली सबसे निचले पायदान पर रही। इसके साथ ही स्पष्ट हो गया कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई ​किया जाने वाला पानी पीने के योग्य नहीं। इसी तरह लखनऊ, पटना, रायपुर, कोलकाता, चेन्नई और जयपुर समेत 21 शहरों के पानी को भी अशुद्ध पाया गया। एक तरफ प्रधानमंत्री​ नरेन्द्र मोदी ने 2024 तक देश के हर घर में नल लगाने और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। इसी के तहत देश के सभी राज्यों की राजधानी सहित सौ स्मार्ट सिटी योजना के तहत आने वाले शहरों में पीने के पानी की शुद्धता की जांच की जा रही है। 
भारत में करोड़ों की आबादी को आज भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं। पूरी दुनिया में स्वच्छ जल से वंचित रहने वाले लोगों की आबादी भारत में सर्वाधिक है। इस आपदा के और गम्भीर होने की आशंका है क्योंकि 73 फीसदी भूमिगत जल का उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ यही है कि हमने भरण क्षमता से अधिक जल का उपयोग कर लिया है। स्वच्छ जल की सभी धाराएं सुख चुकी हैं। बड़ी नदियां प्रदूषण से जूझ रही हैं। इन सबके बावजूद हम जल संरक्षण नहीं कर पा रहे। देश के 60 फीसदी हिस्से में भूमिगत जल स्तर में ​गिरावट आई है। 
झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, बिहार और आदि राज्यों में रहने वाले आदिवासी नदियों, जोहड़ों, कुओं और तालाबों के पानी का इस्तेमाल करते हैं। कई क्षेत्रों में विकास की कोई भी किरण आजादी के इतने वर्षों बाद भी नहीं पहुंच पाई है। बुंदेलखंड के गांवों में पानी इतना जहरीला है ​कि जानवर भी उसे नहीं पीते। देश की बड़ी आबादी को यह भी पता नहीं है कि जीवित रहने के लिए जिस जल का उपयोग वे कर रहे हैं, वहीं जल धीरे-धीरे उन्हें मौत के मुंह में ले जा रहा है। नदियों के किनारे बसे शहरों की स्थिति तो अत्यंत खराब है। 
नदियों में फैक्ट्रियों और स्थानीय निकायों द्वारा फेंका गया रासायनिक कचरा, मलमूत्र और अन्य अपशिष्ट पानी को विषाक्त बना रहे हैं। नदियों का पानी इस्तेमाल करने वाले गम्भीर रोगों का शिकार हो रहे हैं। नदियों का सीना चीर कर खनन हो रहा है। देश में शुद्ध पेयजल का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। पेयजल की सप्लाई करने वाले निकाय पानी की गुणवत्ता की जांच में लापरवाही बरतते हैं। क्या उन निकायों के अधिकारी दूषित पेयजल की सप्लाई के लिए दोषी नहीं जिन पर शुद्ध पेयजल की आपूर्ति का दायित्व है। 
शुद्ध पेयजल को मौलिक कानूनी अधिकार बनाया जाए और राष्ट्रीय जल नीति बनाई जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल शक्ति मंत्रालय बनाया हुआ है लेकिन योजनाएं सिरे नहीं चढ़ रही। पानी की शुद्धता की हानि का मूल कारण मनुष्य है। प्रकृति और उसके संसाधनों का स्वार्थी उपयोग पर्यावरणीय कहरों का कारण बना है। पर्यावरणीय मुद्दों का एक शातिर चक्र पैदा हो गया है। प्रकृति से जितनी छेड़छाड़ मनुष्य ने की है, उतनी किसी ने नहीं की। 
पानी को शुद्ध बनाने की प्रौद्योगिकी आज मौजूद है तो फिर लोगों को शुद्ध पानी भी नसीब क्यों नहीं हो रहा। इसके ​लिए पानी की आपूर्ति करने वाले निकाय के अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए। बढ़ते दोहन और बढ़ती आबादी के बोझ से व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर स्वस्थ कैसे होगा इंडिया। अब समय आ गया है कि केन्द्र सरकार को भोजन के अधिकार की तरह ही पीने का साफ पानी भी देश के हर नागरिक को उपलब्ध कराना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × three =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।