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भारत-आस्ट्रेलिया संबंधों का विस्तार

भारत और आस्ट्रेलिया संबंधों को लगातार विस्तार मिल  रहा है। एक मुक्त, खुले समावेशी और नियम आधारित हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के गहरे हित जुड़े हुए हैं। परस्पर सुरक्षा हितों को देखते हुए भारत-आस्ट्रेलिया सुरक्षा संवाद बढ़ा रहे हैं। दो दिन पहले ही दिल्ली में क्वाड समूह की बैठक में आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री ने भाग लिया और चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को देखते  हुए खुले एवं मुक्त हिन्द प्रशांत क्षेत्र का समर्थन किया। इस बैठक के तुरन्त बाद आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस वार्षिक शिखर वार्ता के लिए होली वाले दिन भारत आ रहे हैं। उनकी चार दिवसीय यात्रा काफी महत्वपूर्ण है। वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक भागीदारी समेत कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। एंथनी अल्बानीस की प्रधानमंत्री के रूप में यह पहली भारत यात्रा है। इसलिए उन्हें भी काफी उम्मीदें हैं। एंथनी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में चीनी सेना की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के विस्तार पर भी चर्चा होगी। 

अपने दौरे के दौरान एंथनी अल्बानीस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चौथा क्रिकेट टेस्ट मैच देखने अहमदाबाद जाएंगे। इसके अलावा आस्ट्रेलिया के डीकिंन विश्वविद्यालय का गुजरात के जीआईएफटी सिटी में परिसर स्थापित करने का आधिकारिक ऐलान भी किया जाएगा। चीन आस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा  व्यापारिक साझीदार है। दोनों देशों के बीच 2021 में 1.77 खरब रुपए का व्यापार हुआ है। यह भी तब हुआ जब पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध इतने ज्यादा खराब हो गए कि चीन ने आस्ट्रेलिया के कई उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें वाइन जैसा आस्ट्रेलिया का अहम निर्यात भी शामिल है। आस्ट्रेलिया चीन के प्रतिबंधों से इतना प्रभावित हुआ कि आस्ट्रेलिया वाइन का निर्यात घट गया। चीन से खराब संबंधों के चलते आस्ट्रेलिया में यह मांग जोर से उठी कि आस्ट्रेलिया को चीन का विकल्प ढूंढना होगा। कई विशेषज्ञों ने समय-समय पर चीन की जगह भारत को चुनने की सलाह दी। भारत की अहमियत बढ़ती गई।

आस्ट्रेलियाई संसद ने पिछले वर्ष नवम्बर में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी दी है। यह समझौता लागू होने के बाद कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित भारत के 6000 से अधिक उत्पादों को आस्ट्रेलिया बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने आस्ट्रेलिया को 8.3 अरब डालर का माल निर्यात तथा 16.75 अरब डालर का आयात किया। जहां तक दोनों देशों के सुरक्षा हितों की बात है, दोनों देश अपने मुख्य सहयोगी देशों के साथ भी सुरक्षा संवाद बढ़ा रहे हैं। क्वाड समूह के देशों द्वारा उनकी नौसेनाओं के बीच परस्पर सामरिक सहयोग और सुरक्षा कौशल को बढ़ावा देने के​ लिए किया गया मालाबार नौसैनिक अभ्यास इसी दिशा में उठाया गया कदम है। साल 2020 से सभी क्वाड सदस्य देश-आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका-मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं। जबकि यह नौसैनिक अभ्यास रणनीतिक स्तर पर इन चारों देशों के बीच गहन होते संबंधों की ओर संकेत करता है। वहीं व्यवहार के स्तर पर यह नौसेनाओं को अत्याधुनिक युद्ध कौशल विकसित करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस अभ्यास के तहत उपलब्ध हवाई और सामुद्रिक हथियारों, युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, पनडुब्बियों तथा अत्याधुनिक युद्ध तकनीकों का इस्तेमाल कर व्यावहारिक तैयारी की जा रही है। दोनों देश एक-दूसरे के पूरक हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, बल्कि इसमें बहुत दूरगामी आर्थिक परिवर्तन भी हो रहे हैं। इस प्रक्रिया में आस्ट्रेलिया एक बहुत महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में स्थापित है, क्योंकि दोनों ही देशों की दृष्टि नियम-आधारित अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समावेशी आर्थिक समन्वय तथा आक्रामक चीन की ओर से मिल रही चुनौती से प्रेरित है। 

आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों का एक विशाल समुदाय रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों की संख्या लगभग 8 लाख को छूने जा रही है। भारत में जन्मे यह आस्ट्रेलियाई शैक्षणिक और आर्थिक रूप से अन्य सभी समुदायों से आगे हैं। दरअसल आस्ट्रेलिया की सरकार ने समझा है कि भारत से बेहतर संबंध बनाने में यह विशाल समुदाय बेहद अहम भूमिका निभा सकता है। इसलिए उसने इस समुदाय पर खास निवेश भी किया है। 2018 में सरकार की पहल पर एक विशेष अध्ययन ‘आस्ट्रेलिया इंडिया इकनॉमिक स्ट्रैटिजी 2035’ जारी की गई थी। इसमें ऐसे क्षेत्रों और माध्यमों की विशेष पहचान की गई थी, जिनके जरिए दोनों देशों के संबंध बेहतर किए जा सकें। इस साल न सिर्फ उस अध्ययन को सुधार और बदलकर दोबारा जारी किया गया, बल्कि ‘आस्ट्र​लियाज इंडियन डायस्पोरा : अ नेशनल एसेट’  नामक रिपोर्ट के रूप में भारतीय मूल के लोगों पर एक अलग रिपोर्ट भी जारी की गई। इस रिपोर्ट में समुदाय की खूबियों और ताकतों का गहन अध्ययन करके यह जानने की कोशिश की गई है कि  देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में इसका कैसे समुचित उपयोग किया जाए।  भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच एक जीता जागता पुल है। दोनों देशों में शानदार लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं हैं और दोनों ही अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करते हैं। दोनों देशों के लिए यही समय है ​कि संबंधों को मजबूती और  विस्तार दिया जाए और एंथनी की यात्रा से इसकी बहुत उम्मीद है।

आदित्य नारायण चोपड़ा

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