फीफा वर्ल्ड कप 2018 का रोमांच अंतिम चरण में पहुंच चुका है और यह साफ हाे गया है कि विश्व कप किसी यूरोपीय देश में रहेगा। फ्रांस, बेल्जियम, क्रोएशिया और इंग्लैंड की टीमें सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हैं। नॉकआउट में सबसे पहले अर्जेंटीना का सफर खत्म हुआ, जबकि क्वार्टर फाइनल के मुकाबलों में सबसे आखिर में बाहर होने वाली टीम मेजबान रूस रही। इंग्लैंड ने स्वीडन को हराकर फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में 28 वर्ष बाद जगह बनाकर इतिहास रचा है। इससे पहले वर्ष 1990 में इंग्लैंड सेमीफाइनल में पहुंचा था। फीफा विश्व कप के इतिहास में हर बार खिताब की जंग लेटिन अमेरिकी और यूरोपीय टीमों के बीच रही है मगर पिछले कुछ वर्षों में यूरोपीय देशों ने विश्व कप फुटबाल पर अपने वर्चस्व की छाप छोड़ते हुए लेटिन अमेरिकी देशों की कलात्मक और अाक्रामक फुटबाल को नेपथ्य में डाल दिया।
इतिहास में यह पांचवां मौका है जब चारों यूरोपीय टीमों ने सेमीफाइनल में जगह बनाई है। लेटिन अमेरिकी देशों की कमान ब्राजील, अर्जेंटीना और उरुग्वे के हाथों में रही है। यही तीनों टीमें विश्व कप की विजेता, उपविजेता और सेमीफाइनलिस्ट रही हैं। हालांकि इस बार लियोनेल मेस्सी, नेमार और लुईस सुआरेज के चलते यह माना जा रहा था कि ये तीनों देश विश्व कप में अपनी छाप छोड़ेंगे, लेकिन न तो ये तीनों चले और न ही उनका देश। साल 2002 के बाद कोई भी लेटिन अमेरिकी देश विश्व कप नहीं जीत सका है।अंतिम बार यह खिताब ब्राजील ने जीता था। लेटिन अमेरिकी देशों का दबदबा 1986 से 2002 तक रहा। ब्राजील और अर्जेंटीना छाए रहे। 16 वर्ष तक ये दोनों देश विश्व कप में जगह बनाते रहे। यहां पांच विश्व कप में ब्राजील आैर अर्जेंटीना ने तीन बार खिताब जीता। 1958 में स्वीडन में हुए विश्व कप में आखिरी बार महान पेले ने ब्राजील को जिताया था। यह ब्राजील का पहला विश्वकप खिताब था। इसके बाद ब्राजील ने अपने चारों विश्व खिताब 1962, 1970, 1994 और 2002 में जीते थे। इस बार बड़े उलटफेर हुए आैर अब यह टूर्नामैंट रोमांचक दौर में पहुंच चुका है। अब देखना है कि खिताब किसके नाम रहता है।
विश्व कप फुटबाल का एक दूसरा पहलू भी है। इसका सफल आयोजन करके विश्व में रूस की छवि काफी बदली है। पूरी दुनिया ने इसको उस रूप में देखा है जिसके बारे में वे कभी जानते नहीं थे। रूस वास्तव में एक फुटबाल देश बन गया है। फुटबाल का वायरस हर रूसी के भीतर घुस गया है। दुनिया में ऐसी धारणा मजबूत हुई है कि रूस मेहमाननवाजी वाला देश है। रूस ने सभी आशंकाओं को निर्मूल साबित करके विश्व कप की मेजबानी की है। कई लोग रूस को लेकर डर फैला रहे थे जो एकदम गलत साबित हुआ। अब तक हुए लगभग हर मैच में स्टेडियम पूरी तरह फुटबाल प्रेमियों से भरे हुए नज़र आए। दुनिया के अलग-अलग कोनों से फुटबाल के दीवाने अपनी टीमों को सपोर्ट करने के लिए पहुंचे हुए हैं। विश्व कप फुटबाल के आयोजन से रूस को लेकर बनाई गई रूढ़िवादी बातों का खात्मा हुआ है। लोगों ने रूस की मेहमाननवाजी आैर दोस्ताना व्यवहार का अनुभव किया है। फुटबाल न केवल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है बल्कि इसमें पैसा भी क्रिकेट के मुकाबले कई गुणा ज्यादा है। फीफा वर्ल्ड कप की चमक-दमक और इसमें बरसती दौलत ने अन्य सभी खेलों को पीछे छोड़ दिया है। कमाई के मामले में देखें तो फुटबाल खिलाड़ियों की तुलना में दुनिया के महंगे क्रिकेटर भी फीके नज़र आते हैं।
अफसोस तो इस बात का है कि सवा अरब की आबादी वाला भारत वर्ल्ड कप में कहीं नज़र नहीं आया। 68 वर्ष पहले भारत ने 1950 में ब्राजील में आयोजित फीफा वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया था, उसके बाद से इस टूर्नामैंट में भाग लेना भारत के लिए सपना ही बना रहा है। सुनील छेत्री जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों के बावजूद फीफा रैंकिंग में भारत का स्थान 97वां है। भारत सहित 6 बड़ी टीमें इस बार भी क्वालीफाई नहीं कर सकी हैं। 55वीं फीफा रैंकिंग वाला छोटा सा देश पनामा विश्व कप में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुआ। काश! भारत भी विश्व कप में खेलता तो भारतीयों के लिए इसका महत्व कुछ और होता, फिर भी फुटबाल का जुनून भारत में भी छाया पड़ा है।
2018 के फीफा विश्व कप पर 52.39 अरब रुपए खर्च हो रहे हैं, जिसमें से खिलाड़ियों को 26.15 अरब रुपए इनामी राशि के रूप में मिलेंगे जबकि 26.24 अरब रुपए टूर्नामैंट की तैयारियों और आयोजन पर खर्च होंगे। इस बार के आयोजन की सबसे विशेष बात यह है कि जहां विजेता टीम को 2.55 अरब रुपए की राशि मिलेगी, वहीं हारने वाली टीमों अर्थात् उपविजेता टीम को 1.94 अरब तथा तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 1.61 अरब रुपए मिलेंगे। अगर इस इनामी राशि की तुलना क्रिकेट विश्व कप या आईपीएल सरीखे टूर्नामैंटों में मिलने वाली इनामी राशि से करें तो हैरान हो जाएंगे। 2015 के क्रिकेट विश्व कप में विजेता टीम को 25.17 करोड़ और उपविजेता टीम को 11.74 करोड़ रुपए मिले थे जबकि अभी समाप्त हुए आईपीएल के 11वें सीजन में विजेता टीम को जहां 25.8 करोड़ रुपए मिले, वहीं उपविजेता को 12.9 करोड़ और तीसरे स्थान पर रही टीम के 6.4 करोड़ अर्थात् क्रिकेट के मुकाबले फीफा विश्व कप की चैम्पियन टीम को करीब 10 गुना अधिक धनराशि मिलेगी। अब केवल फाइनल मैच का इंतजार है।