तेल में लग गई आग - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तेल में लग गई आग

NULL

राजधानी में पैट्रोल की कीमत 71.18 रुपए आैर डीजल की कीमत 61.74 रुपए प्रति ​लीटर हो गई है। मुम्बई में पैट्राेल की कीमत 80 रुपए आैर डीजल की कीमत 65.74 रुपए प्रति लीटर हो चुकी है। शोर तो मचेगा ही। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ रही है। देश में खुदरा महंगाई दर भी ऊंची बनी हुई है। आम आदमी पर बोझ बढ़ गया है। सरकार की बैलेंस शीट भी बिगड़ने का खतरा पैदा हो चुका है। खुली अर्थव्यवस्था में पैट्रोल और डीजल के दामों को कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से जोड़ने का मतलब यह नहीं है कि भारत के उपभक्ताओं को हमेशा ही पैट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर सिर के बल खड़ा रखा जाए। इनकी कीमत इतनी अधिक नहीं बढ़नी चाहिए कि यह आम आदमी के पेट को ही रोल दे। ओपेक देशों के अलावा रूस द्वारा भी उत्पादन घटाया गया है, वहीं पिछले दिनों ठंड बढ़ने से अमेरिका और कनाडा में भी रिग्स काउंट घटे हैं।

ऐसी स्थिति में मांग एवं आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है। पिछले वर्ष अक्तूबर में महंगे हो रहे दामों को देखते हुए सरकार ने पैट्रोल और डीजल पर दो रुपए प्रति लीटर एक्साइज कम कर दी थी। तब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 55 डालर प्रति बैरल थी जो 15 जनवरी को 70 डालर तक पहुंच गई। पैट्रोल-डीजल की कीमतें वहीं पहुंच गई हैं जो तीन वर्ष पहले थीं। पैट्रोल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। परिवहन महंगा होगा तो हर उत्पाद महंगा हो जाएगा। दूसरा कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से देश का करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ सकता है जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर होगा। नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले तीन वर्षों में कच्चे तेल की कम कीमतों ने सरकार का बहुत साथ दिया था। जब सरकार सत्ता में आई थी तो कच्चे तेल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 110 डालर प्रति बैरल थीं, जो जून 2017 तक घटते-घटते 48 डालर तक आ गईं। यानी कीमतें 50 फीसदी घट गईं। सस्ते तेल के दम पर देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गई। सरकार को महंगाई पर नियंत्रण पाने के साथ-साथ घाटा कम कर अर्थव्यवस्था सुधारने का मौका मिला।

कच्चे तेल की कीमतें कम होने से भारत का आयात बिल घट गया। कच्चे सस्ते तेल से सरकार को पैट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का मौका मिल गया। तीन वर्ष में सरकार ने पैट्रोल पर उत्पाद शुल्क 15.5 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 22.7 रुपए प्रति लीटर कर दिया वहीं डीजल पर यह 5.8 रुपए प्रति लीटर से 19.7 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया था, जिस कारण सरकार का राजस्व बढ़ा था। अब कीमत बढ़ने से सरकार के आगे की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। तेल कंपनियां हमेशा ही बढ़ती कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर डालती हैं। सरकार का कर्तव्य है कि वह अपनी जनता की भलाई के लिए कीमतों को बेतहाशा न बढ़ने दे। अगर पैट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार की छवि को नुक्सान हो सकता है। 2018 अाैर 2019 के बीच कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं अगर सरकार उत्पाद शुल्क घटाती है तो सरकार की कमाई घटेगी। इसके लिए एक फार्मूला तो दक्षिण एशियाई देशों का है जो पैट्रोल की कीमतों का घेरा अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के भावों के समरूप तय कर देते हैं और अपनी शुल्क नीति को ऊपर-नीचे करते रहते हैं।

दूसरा फार्मूला यह है कि सरकार पैट्रोल का इस्तेमाल करने वाले वाहनों, शानदार आैर महंगी निजी कारों की घरेलू बाजार में बिक्री के समय ही ईंधन जोखिम शुल्क वसूल करते हुए केवल कार मालिकों से प्रतिवर्ष प्रयोग शुल्क लें जिससे खुले बाजार में पैट्रोल की कीमतें एक निश्चित दायरे में ही रह सकें। दुपहिया वाहनों और सार्वजनिक मोटर वाहनों को इससे अलग रखा जाए क्योंकि इनका उपयोग निम्न, मध्यम वर्ग के लोग ही करते हैं। कोई भी सरकार खैरातें बांट-बांट कर नहीं चला करती, कोई न कोई तो नीति बनानी ही पड़ेगी। पैट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की कवायद भी तेज हो गई है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया जा सकता है। लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती का विकल्प भी खुला रखा है। जीएसटी काउंसिल को या मंत्रालय को ऐसा फार्मूला तय करना होगा कि सरकार के राजस्व पर भी ज्यादा असर न पड़े और लोगों को राहत भी मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

6 + sixteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।