कोरोना की चौथी लहर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

कोरोना की चौथी लहर

चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों में ऑमिक्रॉन के सब वैरिएंट बीए-2 के चलते कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। इससे भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन में अब सख्त लॉकडाउन लगाए जाने की खबरें आ रही हैं।

चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों में ओमिक्रोन के सब वैरिएंट  बीए-2 के चलते कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। इससे भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन में अब सख्त लॉकडाउन लगाए जाने की खबरें आ रही हैं। अब मुम्बई में कोविड-19 के एक्स ई वैरिएंट का पहला मामला सामने आने के बाद चिंता की लकीरें पहले से कहीं अधिक गहरी हो चुकी हैं। हालांकि इस मामले पर केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार आमने-सामने हैं। केन्द्र नए वैरिएंट को लेकर इंकार कर रहा है। केन्द्र अभी इसकी पुष्टि को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि जांच ही गलत है। ऐसा खतरनाक वैरिएंट भारत में न ही आए तो अच्छा है। फिलहाल वायरस के नए स्ट्रेन से संक्रमित मरीजों की स्थिति गम्भीर नहीं है लेकिन एक्स ई म्यूटेंट को ओमिक्रोनके बीए-2 वैरिएंट की तुलना में दस फीसदी अधिक संक्रामक बताया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी नए वैरिएंट को पिछले वैरिएंट से अधिक खतरनाक बताया है। 
यद्यपि इन मामलों को देखकर विशेषज्ञ भारत में कोरोना की चौथी लहर का आना तय मान रहे हैं लेकिन वे भी ज्यादा ​चिंतित  नजर नहीं आ रहे। विशेषज्ञ इसके​ लिए टीकाकरण और  इम्युनिटी समेत कई कारण गिनाते हैं। पिछले एक सप्ताह से कोरोना के नए मामलों की संख्या भी 2 हजार से कम दर्ज की गई है। नवम्बर 2021 में दक्षिण अफ्रीका में पहली बार ओमिक्रोन वैरिएंट ने दुनिया भर में मुश्किलें खड़ी कर दी थीं लेकिन कुछ समय बाद ही यह साफ हो गया था कि तेजी से फैलने वाले इस वैरिएंट के चलते अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ था। महामारी के खतरे के प्रति हमें निश्चिंत नहीं होना चाहिए। वैज्ञानिकों का मानना है कि एंटीबाडीज के कम होते ही कोरोना का वैरिएंट दोबारा संक्रमित कर सकता है। मुम्बई में नया वैरिएंट मिलने से लोगों में थोड़ा तनाव जरूर है। हाल ही में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने दावा किया  था कि भारत में कोरोना की चौथी लहर की दस्तक 22 जून से हो सकती है। 23 अगस्त के करीब चौथी लहर का पीक होगा और 22 अक्तूबर तक इसका प्रभाव पूरी तरह धीमा पड़ जाएगा। सांख्याकि गणना के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में कोरोना की चौथी लहर प्रारम्भिक डेटा मिलने की तिथि से 936 दिन बाद आ सकती है। इससे पहले आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा सांख्याकि और सूत्र माडल के आधार पर कोरोना की लहरों की जो भी भविष्यवाणियां की थीं वे लगभग सही निकल चुकी हैं। आईआईटी कानपुर की स्टडी में भविष्यवाणी की थी कि कोरोना की तीसरी लहर कितने महीने रहेगी, वह भी सही साबित हुई। फरवरी की शुरूआत से ही तीसरी लहर के केस कम होने लगे। अब आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के शोध दुनिया भर की पत्रिकाओं और बेवसाइटों पर प्रकाशित हो रहे हैं। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि अभी आखिरी वैरिएंट नहीं होगा, वैरिएंट आते रहेंगे। दुनिया भर के वैज्ञानिक वायरस के म्यूटेशन को ट्रेस कर रहे हैं। देश में दो वर्ष बाद एक अप्रैल से आपदा प्रबंधन से जुड़े प्रावधान हटा लिए  गए हैं। ज़िन्दगी  पटरी पर लौट रही है। कोरोना की पहली लहर के बाद सख्त लॉकडाउन लगाते वक्त हर कोई एक शताब्दी बाद आई एक महामारी से भयाक्रांत था। कोरोना एक ऐसा संक्रामक रोग था जिसके बारे में चिकित्सा विज्ञान और वैज्ञानिक कुछ भी कह पाने में असमर्थ थे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तो हमारा हैल्थ सैक्टर असहाय होकर रह गया था क्योंकि हमने महामारी की तीव्रता की कल्पना भी नहीं की थी। देशभर में अब तक 5,21487 लोगों की मौत हो चुकी है। हमने अपने भी खोये हैं। हमने लाखों लोगों का विस्थापन, रोजगार संकट और पलायन का दंश झेला है। देश में लगभग कुल वैक्सीनेशन 85.04 करोड़ हो चुका है। यदि हम महामारी के प्रभाव से मुक्त होकर बेखौफ जीवन जी रहे हैं तो इसका पूरा श्रेय देश के राजनीतिक नेतृत्व और फ्रंट लाइन पर तैनात कोरोना योद्धाओं को दिया जाता है। जिन्होंने अपनी जानें देकर भी लोगों की जानें बचाईं। कोरोना की पाबंंदियां हटना सबके लिए  सुखद है। दुकानदार, व्यवसायी, मजदूर, छात्र-छात्राएं, नौकरीपेशा लोग राहत महसूस कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था के सारे संकेतक भी गुलाबी तस्वीर पेश कर रहे हैं। कोरोना मौतों के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नम्बर पर रहा है। भारत अब चैन की सांस ले रहा है। अब बच्चों को भी वैक्सीन लग रही है और  बुजुर्गों को बूस्टर डोज लग रही हैं।
हालात असामान्य तभी माने जाएंगे जब वे लोग भी संक्रमित होने लगें जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है या फिर  पहले भी उन्हें संक्रमण हो चुका है। किसी वायरस के लिए ये एक उच्च पैमाना है लेकिन वैज्ञानिक किसी भी सम्भावना से इंकार नहीं कर रहे। भारत को नए वैरिएंट को लेकर सावधान होने की जरूरत है। लोगों ने अपने स्वभाव के मुताबिक पाबंदियां हटने से मास्क उतार फैंके हैं और शारीरिक दूरी को भी भूल बैठे हैं। बंदिशें हटने का अर्थ लापरवाही नहीं है। महामारी से बचने के लिए मास्क और शारीरिक दूरी  जरूरी है लेकिन सार्वजनिक जीवन में आम दिनचर्या को देखें तो लोगों ने मास्क तो लगा रखे हैं लेकिन मास्क गले में लटके हुए हैं। सोशल डि​स्टेंसिंग की ​धज्जियां तो पहले ही उड़नी शुरू हो गई थीं। सजगता और सतर्कता ही हमारे सुरक्षा कवच हैं। दो साल की घुटन से मुक्ति कौन नहीं चाहता लेकिन अभी भी लापरवाही बरतना ठीक नहीं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ten − nine =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।