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जी-20 और कश्मीर

श्रीनगर में डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनैशनल कन्वैंशन सेंटर में तीन दिवसीय जी-20 के टूरिज्म वर्किंग कमेटी की बैठक शुरू हो गई। श्रीनगर शहर को इस बैठक के लिए दुल्हन की तरह सजाया गया। अगस्त 2019 में घाटी से धारा-370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है। जी-20 के सदस्य देशों के लगभग 60 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। हालांकि जी-20 में शामिल चीन,सऊदी अरब,तुर्किय,इंडोनेशिया और मिस्र ने कश्मीर की बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। इस बैठक का मकसद दुनिया काे कश्मीर की बदलती तस्वीर दिखाना है। विदेशी राजनयिकों ने यह तस्वीर देखी है कि कश्मीर अशांति की छाया से मुक्त हो रहा है और पाकिस्तान का यहां पर कोई प्रभाव नहीं है। घाटी का आवाम देश की मुख्यधारा में शामिल है और वह प्रशासन से मिलकर कश्मीर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यद्य​पि जी-20 बैठक के दौरान पाक समर्थित आतंकवादियों की साजिशों के दृष्टिगत सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं लेकिन इतना तय है कि कश्मीर तेजी से बदल रहा है। जी-20 बैठक से पाकिस्तान पूरी तरह घबराया हुआ है और पाकिस्तान के विदेश मंत्री भागे-भागे पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पहुंचकर अनर्गल बयानबाजी करने लगे हैं। पाकिस्तान का आवाम भी उनका मजाक उड़ा रहा है। क्योंकि पाकिस्तान के हुक्मरान 75 वर्षों से कश्मीर की रट लगाये हुए हैं। पाकिस्तान का आवाम खुद भारतीय कश्मीर की तरक्की देखकर और पीओके की बदहाली देखकर पाकिस्तान के हुक्मरानों को कोस रहा है। कुछ समय पहले अरुणाचल और लद्दाख में हुए आयोजनों में भी चीन ​ने हिस्सा नहीं लिया था। इस बैठक में भी चीन, तुर्की और साऊदी अरब के प्रतिनिधियों ने भाग नहीं लिया। 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बुरी तरह से बौखलाया हुआ है और चीन केवल पाकिस्तान को ही तुष्ट करना चाहता है। क्योंकि चीन के आर्थिक हित उससे जुड़े हुए हैं। पाकिस्तान की आपत्ति से सहमति जताते हुए तुर्की भी श्रीनगर की बैठक से दूर रहा है। भारत पहले ही इन देशों की आपत्तियों का मुंहतोड़ जवाब दे चुका है। श्रीनगर में इस बैठक का आयोजन कर भारत ने यह दिखा दिया ​है कि कश्मीर में अब कोई विवाद नहीं है और यह भारत का अ​भिन्न अंग है। लद्दाख और अरुणाचल में ऐसे आयोजन कर भारत ने यह भी संदेश दिया है कि यह सभी क्षेत्र भारत का अभिन्न ​हिस्सा है और भारत की संप्रभुता के अंतर्गत आते हैं। इसे भारतीय कुटनीति की जबर्दस्त सफलता के रूप में देखा जा रहा है कि जब भी कोई देश किसी अंतर्राष्ट्रीय समूह का प्रमुख होता है या ऐसे अंतर्राष्ट्रीय बैठकों की मेजबानी करता है तो स्थल का चयन करना उसका विशेषाधिकार होता है। कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाता है। कभी यहां लगातार फिल्मों की शूटिंग होती थी और कश्मीर के पर्यटक स्थल गुलमर्ग, पहलगांव, डल झील और अन्य स्थलों पर फिल्मी सितारों का जमघट लगा रहता था लेकिन पाक प्रायोजित आतंकवाद ने कश्मीर के विकास को लील लिया था लेकिन मोदी सरकार ने दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाते हुए कश्मीर में आतंकवाद को काबू ​किया। बल्कि विकास की बयार भी बहानी शुरू की। 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को वे सब अधिकार मिलने शुरू हो गए जो पूरे भारत के लोगों को मिल रहे हैं। घाटी के सिनेमाघर दुबारा खुल रहे हैं। बाजारों में लोगों की भीड़ दिखाई देती है और पर्यटकों का जमावड़ा भी लगने लगा है। तीन दिवसीय बैठक में जी-20 देशों के प्रतिनिधि फिल्म और इको टूरिज्म जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेता रामचरण और अन्य फिल्म पर्यटन पर चर्चा में शामिल होंगे। जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग फिल्म टूरिज्म को लेकर आइडिया शेयर करेंगे। भारत का पाकिस्तान, चीन और तुर्की को स्पष्ट संदेश यह है कि हमारे देश की जमीन पर दूसरे देशों के निराधार दावे हमें वहां विकास की योजनाएं चलाने, लोगों काे बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने, महत्वपूर्ण परियोजनाएं चलाने और बड़ेे कार्यक्रम आयोजित करने से नहीं रोक सकते। जम्मू-कश्मीर को इस साल मार्च के महीने में यूएई की कम्पनी के जरिए 500 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश का पहला प्रोजैक्ट मिला है इससे राज्य के दस हजार युवाओं को नौकरी मिलेगी। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के कई प्रस्ताव ​िवचाराधीन हैं। पिछले दो वर्षों में 1.90 करोड़ पर्यटकों ने हर वर्ष कश्मीर का रुख किया है। यही सिलसिला इस वर्ष भी जारी है। कश्मीर के बागवानी सैक्टर जिसमें सेब का कारोबार शामिल है, से हर वर्ष राज्य को करोड़ों की कमाई होती है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 समूह की लगभग 200 बैठकों और कार्यक्रमों के लिए पचास शहरों का चुनाव किया है। इन कार्यक्रमों से उन सभी शहरों का विकास तो होगा ही तथा उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी। विदेशी राजनयिक भारत की विविधता में एकता के चश्मदीद बनेंगे। जी-20 की बैठक से कश्मीर के पर्यटन उद्योग को बहुत लाभ होगा। भारत ने यह दिखा दिया है कि जी-20 की बैठक महज एक इवैंट नहीं है बल्कि कश्मीर के लिए विश्व पटल पर चमकाने का एक ऐतिहासिक अवसर है और कश्मीर के लिए  गर्व का क्षण है।