एच-I बी वीजा : थैंक्यू मिस्टर बाइडेन - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

एच-I बी वीजा : थैंक्यू मिस्टर बाइडेन

अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ भारत के साथ संबंधों को लेकर चर्चा स्वाभाविक है। इस बात की आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही थीं कि डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में भारत-अमेरिका संबंधों को बहुत मजबूती मिली थी, शायद जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद रिश्ते ऐसे न रहे।

अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ भारत के साथ संबंधों को लेकर चर्चा स्वाभाविक है। इस बात की आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही थीं कि डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में भारत-अमेरिका संबंधों को बहुत मजबूती मिली थी, शायद जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद रिश्ते ऐसे न रहे। ट्रंप प्रशासन ने भारत को नए सहयोगी का दर्जा दिया, जो केवल नाटो देशों को ही प्राप्त था। कई ऐसे समझौते हुए जो अमेरिका अपने करीबी देशों के साथ करता है। पाकिस्तान और चीन मामले में भी अमेरिका भारत के साथ खड़ा रहा लेकिन ट्रंप द्वारा संरक्षणवादी नीतियां अपनाए जाने के कारण उन्होंने कई नीतियां ऐसी लागू कीं जिससे भारत के हितों पर चोट हुई, बल्कि अमेरिका में रह रहे अप्रवासी भारतीय भी काफी प्रभावित हुए थे।
जो बाइडेन को भारत की महत्ता का आभास है और भारत के लिए अमेरिका का महत्व है। बाइडेन प्रशासन ने सत्ता सम्भालने के बाद सातवें दिन ही एच-I बी  धारकों के जीवन साथी काे अमेरिका में काम करने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही बाइडेन प्रशासन ने अने पूर्ववर्ती ट्रंप सरकार के फैसले को पलट दिया है। बाइडेन सरकार के इस फैसले में हजारों भारतीय पेशेवरों को फायदा होगा। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सर्वाधिक प्रभाव भारतीय आईटी कम्पनियों पर पड़ा। वर्ष 1990 के बाद प्रत्येक वर्ष जारी किए जाने वाले एच-I बी और अन्य वीजा श्रेणियों में भारतीय कम्पनियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक यानि 60-70 प्रतिशत रही है। लगभग 97 प्रतिशत एच-4 वीजा धारक महिलाएं हैं और उनमें से भी 93 फीसदी भारत से हैं। ट्रंप की नीतियों के चलते प्रवासी भारतीयों के परिवारों पर पड़ा। अमेरिका में हर चार एच-I बी वीजा धारकों में लगभग तीन भारतीय हैं। एच-I बी वीजा एक गैर प्रवासी वीजा है। यह किसी कर्मचारी को अमेरिका में 6 वर्ष काम करने के लिए किया जाता है। अमेरिका में कार्यरत कम्पनियों को यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी हो। इस वीजा की खासियत यह है कि यह अन्य देशों के लोगों के लिए अमेरिका में बसने का रास्ता भी आसान कर देता है। एच-I बी वीजा धारक 5 वर्ष बाद स्थाई नागरिका के ​लिए आवेदन कर सकते हैं। एच-I बी वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल टीसीएस, विप्रो, इंकोसिस और टेक महिन्द्रा जैसी 50 से ज्यादा भारतीय आईटी कम्पनियों के अलावा माइक्रोसाफ्ट और गूगल जैसी बड़ी अमेरिकी कम्पनियां भी करती हैं। अमेरिका में पिछले कई वर्षों से इस वीजा काे लेकर लोग कड़ा विरोध करते आ रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि कम्पनियां इस वीजा का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। कम्पनियां कुशल कर्मचारियों की जगह आम कर्मचारियों को रखने के लिए कर रही हैं जिससे अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ रही है। यह भी आरोप लगाया गया कि कम्पनियां एच-I बी वीजा का इस्तेमाल अमेरिकियों की जगह कम सेलरी पर विदेशी कर्मचारियों को रख लेती हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। जब ट्रंप ने प्रतिबंध लगाए थे तो भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। ट्रंप यह भूल गए थे कि अमेरिका की प्रगति में अप्रवासी भारतीयों का कितना महत्वपूर्ण योगदान है। भारत से अमेरिका गए लोगों ने वहां की संस्कृति और संविधान को आत्मसात कर उसके सतत् विकास में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी। ट्रंप की अपनी टीम में भी अनेक भारतीय शामिल रहे। जो बाइडेन अपना वायदा निभाते हुए अब एच-I बी वीजाधारक के जीवन साथियों को काम करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए अप्रवासी भारतीय उनके आभारी रहेंगे।
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि अमेरिका के नए रक्षामंत्री लॉयड आस्टिन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और भारत-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा सहयोग प्रगाढ़ बनाने पर सहमति जताई। दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय रक्षा सहयोग और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक साथ काम करने पर प्रतिबद्धता जताई। भारत के राष्ट्रीय सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलविन से फोन पर बातचीत की और उन्हें निकट भविष्य में रणनीतिक वार्ता शुरू करने के लिए न्यौता दिया। भारत के लिए बड़ी ​चिंता हिन्द प्रशांत क्षेत्र भी है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए एशिया-प्रशांत का नाम बदल कर हिन्द प्रशांत क्षेत्र  घोषित कर दिया था। बाइडेन ने भी मुक्त और स्वतंत्र हिन्द प्रशांत की जगह सुरक्षित और समृद्ध हिन्द प्रशांत की बात की है। जहां तक चीन और पाकिस्तान का सवाल है बाइडेन को याद रखना होगा कि क्लिंटन से लेकर ओबामा तक के शासन में भी भारत को सहयोग मिला उसके बाद अमेरिका ने भारत को काफी महत्व दिया। ओबामा ने अमेरिका-भारत संबंधों को 21वीं सदी की सबसे निर्णायक साझेदारी घोषित किया था। सम्भावना यही है कि बाइडेन भी ऐसा ही करेंगे। ट्रंप के कार्यकाल में ही चीन और पाकिस्तान के संबंध में नीतियां पलटी गई थीं, यह भारत के अनुकूल था। उम्मीद की जाती है कि बाइडेन भी ऐसी ही नीतियां अपनाएंगे। बाइडेन सरकार के फैसले से अप्रवासी भारतीयों को राहत की सांस मिली है, यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर काम करेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।