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बेटियों पर आंच कहीं धूप कहीं छांव

इसमें कोई शक नहीं कि आज देश की बेटियां भारत का नाम आसमान पर नए गौरव के साथ लिख चुकी हैं। देश की बेटियां मैट्रो चला रही हैं, विमान उड़ा रही हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि आज देश की बेटियां भारत का नाम आसमान पर नए गौरव के साथ लिख चुकी हैं। देश की बेटियां मैट्रो चला रही हैं, विमान उड़ा रही हैं। बड़ी-बड़ी कम्पनियों की सीईओ बनकर अपनी योग्यता के दम पर महिलाओं ने अलग पहचान बनाई है और देश का नाम रोशन किया है लेकिन बड़ी बात तो यह है कि देश की बेटियां लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के ​लिए दुनिया का सबसे बड़ा ​लड़ाकू विमान राफेल हमारी वायुसेना के पास है और पहली बार देश की बेटी इतिहास रचते हुए राफेल विमान उड़ाने को तैयार है, इसका ​प्रशिक्षण लिया जा रहा है। इसी कड़ी में नौसेना में फ्रंटलाइन जंगी विमान में अब देश की बेटियां तैनात होने जा रही हैं। सब लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी और सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह यह रुतबा हासिल करने जा रही हैं। नौसेना ने अपने 17 अफसरों में से इन दोनों को चुना है। ​जीवन के और भी बड़े क्षेत्र हैं। चाहे वह समाजसेवा हो, शिक्षा या राजनीति, हर तरफ महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है। इस तस्वीर का दूसरा पहलू चौंकाने वाला है। फैशन जगत , फिल्मी दुनिया या फिर बालीवुड से जोड़ कर अगर हम बात करें तो ऐसी अभिनेत्रियां, जिन्हें अनेक लोग अपना आदर्श मानते हों, उनका नाम अगर ड्रग्स से जोड़ लिया जाए तो इसे क्या कहेंगे?
सुशांत राजपूत के बारे में आप सभी जानते हैं। लगभग तीन माह पहले उनकी आत्महत्या और इसके बाद सीबीआई जांच के ऐलान के बाद जांच किस दिशा में जा रही है, मैं व्यक्तिगत रूप से इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहती लेकिन ऐसी अभिनेत्रियों की ड्रग्स के मामले में संलिप्तता को लेकर अगर एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) पूछताछ कर रहा है तो लोगों का ​विश्वास और उनकी भावनाएं प्रभावित होती हैं।  पूछताछ के बाद जांच जब आगे बढ़ती है तो उसका परिणाम कुछ और होता है। इसलिए कुछ कहा तो नहीं जा सकता कि ड्रग्स के इस कांड, जिसने बालीवुड को प्रभावित किया है, में कौन-कौन लोग शामिल हैं लेकिन एक बड़ी इंडस्ट्री के विश्वास की चादर पर दाग तो लग ही गया है। महिलाओं की बालीवुड में ऐसी तस्वीर उभरे इसकी कल्पना या अपेक्षा कोई नहीं करना चाहेगा परन्तु सच यही है कि आजकल सोशल मीडिया पर लोग एक-दूसरे से शेयर करते हुए यही कह रहे हैं कि किसी पर भी ऐतवार नहीं किया जा सकता, सबके सब ड्रग्स में शामिल हो सकते हैं। 
एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है यह सच है लेकिन यह भी तो सच है कि महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणियां हमारे समाज, हमारी राजनीति और यहां तक कि जब किसी केस में नाम आता है तो एक परम्परा की तरह इन्हें निभाया जाता है। वरना इसी बालीवुड से हेमामालिनी, नर्गिस दत्त, जया बच्चन जैसी महिलाएं राजनीति में आईं और राजनीति में उन्होंने अच्छा-खासा नाम कमाया। मुद्दों पर आधारित राजनीति की और कर रही हैं। कहने का मतलब यह है कि आज जब तक लोगों का आचरण सही नहीं होगा तब तक कम्प्यूटर युग में लोग सोशल मीडिया के सहारे अपनी जुबान लम्बी करते रहेंगे। किसी भी मामले में अगर वह क्राइम से जुड़ा है तो कानून को अपना काम करना चाहिए लेकिन हमने देखा कि कंगना रणौत जैसी अभिनेत्री, जिसने अपनी मेहनत के दम पर बालीवुड में एक मुकाम हासिल किया और उसी ने जब सुशांत केस में न सिर्फ जांच की मांग उठाई बल्कि यहां तक कह डाला कि ऐसे डायरेक्टरों  को बेनकाब करो जो उभरते हुए सितारों का शोषण करते हैं, तो किस तरह मुम्बई में उनका घर तोड़ा गया, यह हर कोई जानता है। यह भी देश की बेटी का अलग रूप है, लेकिन सोशल मीडिया पर उनके समर्थन और विरोध में मानो बालीवुड में नहीं देश बंट गया हो। 
कुल मिलाकर म​हिलाओं की उन्नति वाले पक्ष को देखना ही मेरी प्राथमिकता है और इसे ही आगे बढ़ाना चाहती हूं लेकिन देशवासियों से अपील करना चाहती हूं कि वह किसी भी केस में अगर कुछ कहना चाहते हो, ​​विशेष रूप से महिलाओं के बारे में, तो कृपया अपने शब्दों को तोल लें। यकीनन महिलाओं को देश में समानता का अधिकार है और वह देश का नाम रोशन कर रही हैं। इसलिए जांच होने तक चाहे वह ड्रग्स हो या आत्महत्या केस या  फिर कोई नई बात निकलती है तो भी लोग सोच-समझ कर बोलें तो अच्छा रहेगा। इससे देश की बेटियां अपने कामकाज में प्रभावित नहीं होंगी और उन लोगों का विश्वास बना रहेगा जो नामी-गिरामी ​महिलाओं को अपना आदर्श मानते हैं।

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