आज का समय ऐसा है कि कोई भी व्यक्ति मोबाइल के बिना रह ही नहीं सकता। यह एक अावश्यक बुराई बन गया जिसके साथ रहना भी मुश्किल और जिसके बिना रहना भी मुश्किल। मुझे आज भी याद है कि घर में एक काला सा फोन लम्बी तार वाला होता था जो घर के बड़ों के पास रहता था। कभी इक्का-दुक्का किसी सहेली का फोन आ जाता तो आवाज लगती थी कि आकर सुन लो। यही नहीं शादी के बाद हमारा तीन पीढ़ियों का संयुक्त परिवार था और घर के मुखिया लाला जी (दादा ससुर जी) के पास वो फोन रहता था। अगर कोई फोन हमारा आ जाता था तो बड़ी राैबिली आवाज आती थी-किरन तुम्हारा फोन, टांगें कांपती थीं उनके सामने फोन सुनने पर, फिर वह फोन आया मेरे ससुर रोमेश जी के पास।
बड़े प्यार से बोलते थे कि फोन ले जाओ बाहर और सुन लो। फिर आया चाचा जी के पास। किसी का भी फोन आए, पहले वो बात करते थेे, पूरी जानकारी ले लेते थे कौन-सी फ्रैंड क्यों बात कर रही है आदि। तीनों के अनुभव न भूलने वाले हैं। अभी तक मेरी सारी फ्रैंड्स याद करती हैं। परन्तु आज मोबाइल पर एसएमएस और काल्स सुविधा के अलावा व्हाट्सअप, फेसबुक, ई-मेल, इंस्टाग्राम, ट्वीटर जैसी ढेरों सुविधाएं हैं जिनका फायदा भी है आैर नुक्सान भी। कोई अच्छी बात है, घटना है वो सोशल मीडिया में वायरल होती है तो अच्छी लगती है। जैसे मध्य प्रदेश के प्रोफैसर डब्बू जी अपने एक फंक्शन में डांस किए गए वीडियो वायरल से देशभर में मशहूर हो गए आैर बहुत से लोगों को इस उम्र में इंस्पायर भी कर गए कि आप 40-50 की उम्र में भी अच्छा डांस अपने छोटे से पेट के साथ आसानी से कर सकते हैं। बड़ा नेचुरल और कान्फीडेंस वाला था। ऐसी ही बहुत सी अच्छी बातें होती हैं जो वायरल होकर लोगों को मोटीवेट और इंस्पायर करती हैं परन्तु इसके विपरीत सोशल मीडिया अधिकतर मिसयूज हो रहा है।
अनवांटेड काल्स और मैसेज आते हैं। जैसे एक सर्वे में पाया गया है कि टेलीमार्केटिंग कम्पनियां इस समय काल सैंटर के जरिये सैकड़ों नम्बर अपने पास रखती हैं आैर मोबाइल ग्राहकों को बिना मतलब परेशान करती हैं। यही नहीं लोगों ने कई ग्रुप बनाए हुए हैं जिसमें तुम्हें बिना पूछे ऐड कर लेते हैं। अगर आप एक्जिट करो तो फिर ऐड कर लेते हैं। किसी की वीडियो बनाकर अपलोड करते हैं, कोई अपनी दुश्मनी निकालता है, कोई किसी को बदनाम करने की कोशिश में है तो किसी को उठाने की कोशिश में रहता है। जैसे अभी-अभी देश के सम्मानित संघ के कार्यक्रम में देश के बहुत ही सुलझे हुए, विद्वान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के फंक्शन में उपस्थित होने के बाद उनकी वेशभूषा और एक्शन को ही चेंज करके वायरल कर दिया गया। उसके बाद तो मुझे सोशल मीडिया से नफरत ही हो गई क्योंकि दोनों ही बहुत सम्मानित हैं- संघ आर्गेनाइजेशन भी और प्रणव दा भी, जिनका मैं और अश्विनी जी या यूं कह लो कि सारा देश दिल से इज्जत करता है। सबसे बुरा तब लगता है कि जब व्हाट्सअप में मैसेज आता है कि इस मैसेज को पढ़े बिना डिलीट मत करना, नहीं तो बहुत अशुभ होगा और आगे 11 लोगों को भेजो तो आपकी मंगल कामना या इच्छा पूरी होगी या आपके लिए शुभ होगा। अगर आप अभी 21 लोगों को आगे फार्वर्ड करोगे हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी करने की लालसा होती है तो लग जाते हैं काम में या डर से अशुभ न हो तो मैसेज में लग जाते हैं। मुझे तो इतना बुरा लगता है मैं तो झट से डिलीट मारती हूं और उस फ्रैंड को भी प्यार से सचेत करती हूं कि प्लीज मेरे पास बहुत काम है।
ऐसे आगे से मत करना। फिर ऑफिस में जरूरी मीटिंग कर रहे हों तो फोन बार-बार आता है, तंग आकर आप उठाते हो तो पता चलता या तो बैंक से है लोन लेने के लिए या इंश्योरेंस कम्पनी से इंश्योरेंस के लिए या फिर क्रेडिट कार्ड की खूबियों के लिए। मैं तो अनवांटेड काल्स अब लेती ही नहीं। इस चक्कर में कई भी जरूरी काल भी मिस हो जाती हैं। मैं अब व्हाट्सएप ही नहीं खोलती। पहले मैं अश्विनी जी से नाराज होती थी कि आज डिजिटल टाइम है, आपको अपने पास फोन तो जरूर रखना चाहिए (क्योंकि वो फोन नहीं रखते) परन्तु मैं अब सोचती हूं कि वह बहुत ही बुद्धिमान हैं। सही फैसला किया है, उनको तो अपना काला फोन लम्बी तार वाला बहुत याद आता है। यद्यपि ट्राई के अिधकारी इस मामले में ड्राफ्ट फाइनल कर ग्राहक को बिना मतलब काॅल या मैसेज करके उसकी शांति को भंग करने के लिए एक्शन लेने की तैयारी में है। बहुत से लोग इसका स्वागत करेंगे। परन्तु पर्सनल अनवांटेड मैसेज का क्या िक इसको पढ़ो, भेजो, शुभ होगा, नहीं तो अमंगल होगा। हाय रब्बा…की करिये इनादा…?