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मर जाएगा स्वयं, सर्प को अगर नहीं मारेगा

यह पंक्तियां एक आह्वान है कि अगर हम सांप को नहीं मारेंगे तो वही हमें मार डालेगा। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल धरती के स्वर्ग में छिपे सांपों को ढूंढ-ढूंढ कर मारने में लगे हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद हटाए जाने के बाद भी आतंकवाद की चुनौती अभी भी कायम है।

‘‘मूंद मूंद के पृष्ठ, शील का गुण जो सिखलाते हैं,
वज्रायुद्ध को पाप, लौह को दुर्गुण बतलाते हैं,
मन की व्यथा समेट, न तो अपने मन से हारेगा,
मर जाएगा स्वयं, सर्प को अगर नहीं मारेगा।’’
यह पंक्तियां एक आह्वान है कि अगर हम सांप को नहीं मारेंगे तो वही हमें मार डालेगा। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल धरती के स्वर्ग में छिपे सांपों को ढूंढ-ढूंढ कर मारने में लगे हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद हटाए जाने के बाद भी आतंकवाद की चुनौती अभी भी कायम है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद ही पाकिस्तान की आईएसआई और अन्य आतंकी संगठनों ने अपना पूरा ध्यान कश्मीर पर ही केन्द्रित कर रखा है।
पाकिस्तान के षड्यंत्र जारी हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में आने के बाद पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को ​िफर से फैलाना चाहता है। पाकिस्तान की जमीन से चलने वाले आतंकी संगठन उत्साहित होकर नापाक हरकतें करने की ​फिराक में हैं। आतंकवादी संगठनों ने अपनी रणनीति बदली है। रणनीति बदलने का कारण यह भी है कि आतंकवादियों का सफाया तेज गति से हो रहा है। जैसे कोई व्यक्ति बंदूक उठाता है और अपनी तस्वीर सोशल मीडिया में साझा करता है, वह सुरक्षा बलों के ​िनशाने पर आ जाता है। इसके साथ ही उसे स्थानीय लोगों का समर्थन मिलना भी कम हो जाता है। इ​सलिए आतंकवादियों का जीवनकाल बहुत छोटा हो गया है। मगर बदली रणनीति के कारण हमला करने वाले पुलिस की नजरों में नहीं आते। इसलिए उनका खात्मा आसान नहीं होता। हत्या करने के बाद वे स्थानीय आबादी में घुल-मिल जाते हैं जिससे उनको निशाना बनाना कठिन हो जाता है। उन्हें लक्ष्य के बारे में व्यक्तिगत रूप से बताया जाता है और हमले से पहले और उसके बाद वे सामान्य जिन्दगी जी रहे होते हैं। अक्तूबर माह में कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया जिससे असुरक्षा का वातावरण बन गया। 
गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर का दौरा कर लोगों का मनोबल बढ़ाया। सुरक्षा बलों ने भी आतंकवाद विरोधी अभियान तेज किया और ​मुठभेड़ों में निर्दोष लोगों की टार्गेट किलिंग में शामिल आतंकवा​िदयों को ढेर कर दिया। सेना और सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ना पड़ रहा है। दहशतगर्दों के खिलाफ 12 साल बाद सबसे बड़ा सर्च आपरेशन चलाया जा रहा है। पुंछ जिले में सुरनकोट और मेढर जंगल तथा राजाैरी जिले के थाना मंडी में आतंकवाद रोधी अभियान रविवार को 28वें दिन प्रवेश कर गया है। आतंकवादियों की तलाश के लिए अभियान खाबला वन क्षेत्र तक बढ़ा दिया गया। सर्च अभियान के दौरान हमारे 9 सैनिक शहीद हो चुके हैं। राजाैरी-पुंछ के जरिये आए पाकिस्तानी घुसपैठियों से तीन मुठभेड़ें हो चुकी हैं। स्थानीय लोग पाकिस्तानी आतंकवा​िदयों की मदद कर रहे हैं। उनके लिए खाने-पीने और संचार व्यवस्था का प्रबंध करते हैं।
अब तक सर्च अ​िभयान के दौरान आतंकवादियों की मदद करने के आरोप में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुंछ जिला एक तरह से आतंकवाद मुक्त माना जा रहा था, अब इस बात के संकेत हैं कि पुंछ में आतंकवाद फिर से पुनर्जीवित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सुरक्षा बलों को एक तरफ एलओसी पर नजर रखनी पड़ रही है तो दूसरी तरफ अलग-अलग मार्गों से हो रही पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने के लिए अभियान चलाना पड़ रहा है। आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल इस समय सक्रिय हैं। स्लीपर सेल एक ऐसा खतरनाक शब्द है जिसके अर्थ में ढेर सारी जटिलताएं छिपी हुई हैं। स्लीपर सेल उन लोगों को कहते हैं जोकि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले खूंखार आतंकवादियों के लिए हर तरह की मदद मुहैय्या कराते हैं या कभी-कभी स्वयं ही आतंक की घटना को अंजाम देते हैं। स्लीपर सेल कहीं भी, किसी भी रूप में हो सकते हैं। जो अपनी शातिर गतिविधियों से पता नहीं कौन से नए षड्यंत्र का जाल बुन रहे होते हैं। जिस प्रकार कोई भी व्यक्ति जन्मजात आतंकी नहीं होता, उसी प्रकार स्लीपर सेल भी एक सामान्य आम आदमी होता है, जिसका दिमाग कुछ इस तरह से वाश किया जाता है कि वह अपने देश का ही दुश्मन बन जाता है। एक आम युवा को स्लीपर सेल बनाने में धार्मिक ताने-बाने का जाल बिछा कर या फिर धन-दाैलत का लालच देकर अपना गुलाम बना लिया जाता है। पाकिस्तान के सत्ता प्रति​ष्ठान आैर नॉन स्टेट एक्टर्स अपनी फजीहत आैर बौखलाहट में यही खेल खेल रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं ​िक अब जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाज नजर नहीं आ रहे। हुर्रियत के नागों को ​िपटारी में बंद कर दिया गया और इस संगठन का पतन हो चुका है। हवाला धन पर रोक से हिंसा में कमी आई है। पर्यटन बढ़ा है, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं। घने जंगलों और दुर्गम स्थानों पर सुरक्षा बल चप्पे-चप्पे की तलाशी ले रहे हैं ताकि बिल में छिपे सांपों को कुचला जा सके। हमारे सुरक्षा बल शौर्य के प्रतीक हैं। अंततः जीत शौर्य की होगी।

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