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यदि परमाणु युद्ध हुआ तो…

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हम तो खुदा के भी कायल न थे,
उनको देखा तो खुदा याद आया।
कितने अजीब भाव हैं इस शे’र में। शायर हुस्न को देखकर कल्पना करता है कि जिसका सृजन इतना खूबसूरत है, उसका सृजनहार कैसा होगा? शायर की कल्पना के विपरीत एक और कल्पना है लेकिन खुदा की याद सिर्फ हुस्न की प्रतिमूर्ति देखकर ही नहीं आती, कई और भी परिस्थितियां हैं जब सभी को भगवान, ईश्वर, अल्लाह, खुदा और प्रभु यीशु याद आते हैं। इन परिस्थितियों को कई बार हम विभीषिका की संज्ञा देते हैं। यह विभीषिका थी अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम का प्रहार। हिरोशिमा पर 6 अगस्त, 1945 को बम के द्वारा अमेरिका ने निशाना साधा और नागासाकी में 9 अगस्त, 1945 को परमाणु बम गिराया।

पत्रकारिता के शुरूआती दिनों में मैं डोनाल्ड वी. क्रेवल द्वारा लिखित पुस्तक को पढ़ा करता था। पुस्तक का नाम था-फेसिंग दि न्यूक्लियर वार। आप यकीन करें, जैसे-जैसे मैं इस पुस्तक को पढ़ता गया, मेरी घबराहट बढ़ती गई। एक अध्याय में परमाणु बमों के हमले के बाद की स्थिति का वर्णन था।
_ एक लाख व्यक्ति जीवित जल गए जिनमें बच्चे, बूढ़े, युवक और युवतियां शामिल थे।
_ इसके अलावा 75 हजार लोगों की हालत मृत्यु के द्वार तक पहुंच गई थी, लाखों बच्चे अनाथ हो गए।
_ 60 हजार इमारतें इसमें जलकर राख हो गईं। अगल-बगल के वातावरण में 7200 डिग्री फॉरेनहाइट तापमान पैदा हो गया जिसने बड़े से बड़े लोहे के बीम पिघला दिए।
_ हजारों लोगों के चेहरे जल गए, जो तस्वीरें सामने आईं वे बहुत खौफनाक थीं।
हिरोशिमा-नागासाकी राख में तब्दील हो गए। मनुष्य ही क्या, देश घबरा गए। सभी को भगवान याद आने लगा। पहले लीग ऑफ नेशन्स अस्तित्व में आया। बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ बना। डरे हुए मुल्क एक साथ जमा हो गए। कुछ बड़े मुल्क थे, जैसे ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन आदि जो इसी सोच में थे कि इस अंधी रेस का एक ही सूत्र है-
अर्थात अगर आप शान्ति चाहते हैं तो आपको परमाणु ऊर्जा धारण करनी होगी। परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ती गई।

अब उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण करके उसके तानाशाह, सनकी शासक किम जोंग उन ने पूरी दुनिया को ललकारा है। इस हाइड्रोजन बम को हिरोशिमा-नागासाकी पर गिराए गए बम से कहीं अधिक शक्तिशाली बताया जा रहा है। उत्तर कोरिया के परीक्षण से चीन, अमेरिका, भारत, जापान समेत पूरी दुनिया हिल उठी है। उत्तर कोरिया लगातार अमेरिका को परमाणु युद्ध की धमकी देता है और उसने दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका को अपनी परमाणु मिसाइलों के निशाने पर ले रखा है। अहम सवाल सामने है कि क्या सनकी किम जोंग उन पूरी दुनिया को परमाणु युद्ध में तो नहीं धकेल देगा। पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर कई प्रतिबन्ध लगाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था और उसे परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को रोकने को कहा था। इस प्रस्ताव के पारित किए जाने के कुछ ही घण्टों के बाद उत्तर कोरिया ने 6 मिसाइलें दाग दीं। तानाशाह किम विश्व जनमत की जरा भी परवाह नहीं करता। उसकी क्रूरता की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। किम के बारे में यह धारणा है कि वह ‘पागल है, सनकी है।’ वह कब क्या कर गुजरेगा, कोई नहीं कह सकता। तानाशाह की कारगुजारियों और क्रूरता से दु:खी होकर उत्तर कोरिया की जनता विद्रोह करेगी, ऐसी कोई उम्मीद भी नजर नहीं आती। वहां के लोगों ने डर-डरकर जीना सीख लिया लगता है।

अब उत्तर कोरिया की मदद करने वाले ड्रैगन के हाथ-पांव भी फूलने लगे हैं। उसे इस बात का डर है कि कहीं उत्तर कोरिया में परमाणु रिसाव हो गया तो उसकी चपेट में चीन भी आएगा। दूसरा डर उसे यह भी है कि यदि अमेरिका ने देर-सवेर उत्तर कोरिया को तबाह किया तो उसका असर चीन पर भी पड़ेगा। उसे यह भी डर है कि अगर उत्तर कोरिया पर अधिक दबाव डाला गया तो वह परमाणु हमला कर सकता है। चीन आवश्यक वस्तुओं का निर्यात उत्तर कोरिया को करता आ रहा है। अब उसे भी समझ नहीं आ रहा कि वह उत्तर कोरिया को कैसे समझाए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया है कि ”उत्तर कोरिया एक दुष्ट राष्ट्र है, जो बहुत बड़ा खतरा बन गया है और यह चीन के लिए शर्मनाक है।”

ब्रिक्स सम्मेलन में भी यह मुद्दा छाया रहा। अब उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार और मिसाइल परीक्षण से हर हाल में रोकने के लिए अमेरिका-जापान मिलकर नए सिरे से रणनीति तैयार कर रहे हैं। ट्रंप सैन्य कार्रवाई के पक्ष में हैं। जब तक विश्व एकजुट नहीं होगा तब तक उसे सफलता नहीं मिल सकती। उत्तर कोरिया को विश्व की शक्तियां आवश्यक वस्तुएं, खाद्य पदार्थ और पैट्रोल आदि की आपूर्ति बन्द कर दें लेकिन ऐसा किया गया तो उत्तर कोरिया को बड़ी मानवीय त्रासदी झेलनी पड़ेगी। उत्तर कोरिया अब सर्वाधिक खतरनाक देश बन चुका है। अगर परमाणु युद्ध हुआ तो इसमें न कोई विजेता होगा और न ही कोई पराजित होगा। परमाणु बमों का इस्तेमाल करने वाला देश तो मिट जाएगा, साथ ही आसपास के देशों में भारी तबाही होगी। कई शहरों में मौत का कफन बिछ जाएगा। मामला पेचीदा हो चुका है। ईश्वर या खुदा ही जानता है कि मानव जाति के विनाश का युद्ध होगा या फिर सनकी किम को सद्बुद्धि आएगी।

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