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न संभलोगे तो मिट जाओगे…

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हुर्रियत के नाग तो टेरर फंडिंग में लिप्त रहे हैं और उनका पर्दाफाश भी एनआईए कर चुका है। टेरर फंडिंग का खुलासा होने के बाद कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी भी अाई है लेकिन उत्तर प्रदेश एटीएस ने टेरर फंडिंग के नए गिरोह का पर्दाफाश करने में सफलता प्राप्त कर 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इससे पता चलता है कि टेरर फंडिंग का नेटवर्क न केवल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के अलावा इसके तार महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कोलकाता और छत्तीसगढ़ से भी जुड़े हुए हैं। गिरफ्तार लोगों में केवल एक ही समुदाय के लोग नहीं बल्कि आम भारतीय युवक भी शामिल हैं जिन्होंने चन्द रुपयों की खातिर अपना जमीर बेच दिया और देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त हो गए। भारत को खतरा बाहर से कम आैर भीतर से कहीं ज्यादा है।

अहम सवाल यह है कि देश के भीतर के युवा जब अपराध चक्र में फंसने लगें और देशविरोधी ताकतों के हाथों की कठपुतली बन जाएं तो फिर देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा होगा ही। शुरुआती जांच में ही यह सामने आया है कि अकेले 10-12 खातों से ही एक करोड़ से ज्यादा फण्ड इधर से उधर किया गया। 500 से ज्यादा खातों में कितनी रकम इधर-उधर हुई होगी, यह सोचकर ही एटीएस के अफसर परेशान हैं। करीब 6 वर्षों से यह गोरखधंधा चल रहा है। आरोपियों को फर्जी बैंक खाते जुटाने होते थे। इन खातों में रकम आने आैर उसे इधर-उधर करने पर 10 फीसदी कमीशन मिलती थी। एक आरोपी तो आईपीएल की सट्टेबाजी आैर हवाला के धंधे से भी जुड़ा हुआ है। लश्कर-ए-तैयबा का नेटवर्क कितना फैला हुआ है, इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है। पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ लगातार साजिशें रच ही रहा है लेकिन देश के भीतर भी कम साजिशें नहीं हो रहीं। टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए ने नागालैंड सरकार के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन अधिकारियों पर सरकारी खजाने से जालसाजी कर आतंकी समूहों को वित्तीय मदद देने का आरोप है। यह पूरा मामला प्रतिबंधित आतंकी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आॅफ नागालैंड (खापलांग गुट) के नाम पर दीमापुर अैर कोहिमा में विभिन्न सरकारी संगठनों और अन्य से बड़े पैमाने पर फिरौती आैर अवैध कर वसूली के आरोपों से जुड़ा है। अगर सरकारी खजाने का धन ही आतंकी संगठनों के पास पहुंचने लगेगा तो फिर यह देश कैसे बचेगा।

देश के भीतर बैठे जयचन्द लगातार देश को तबाह करने पर तुले हुए हैं। धन्नासेठ बैंकों का करोड़ों रुपया लेकर भाग रहे हैं। मनी लांड्रिंग आैर हवाला का धंधा देश में जोरों से चल रहा है। युवा चन्द पैसों की खातिर अपराध चक्र में फंस रहे हैं। जेहाद और जन्नत के सब्जबाग दिखाकर कट्टर इस्लामी विचारधारा उन्हें हथियार उठाने को उकसाती है। सोशल मीडिया के जरिये उनके दिमाग में जहर भरा जा रहा है। पाकिस्तान की आईएसआई की खतरनाक तंजीमों में जो लोग लिए जाते हैं उनके दिमाग की सफाई इस कदर कर दी जाती है कि उनका एक ही उद्देश्य रह जाता है कि ‘दार-उल-हरब’ को ‘दार-उल-इस्लाम’ में तब्दील करना। टेरर फंडिंग से कितनों के पास पैसा गया होगा, ​कितने धन से हथियार खरीदे गए होंगे, कितने स्लीपर सेल मजबूत किए गए होंगे और कितनी ही साजिशें रची गई होंगी। टेरर फंडिंग से देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो चुका है। आतंक को प्रश्रय देने वालों के लिए गोरखपुर अंचल काफी मुफीद बन चुका है। इस क्षेत्र के कई जिलों का नेपाल सीमा से लगे होना आैर कुछ जिलों का बिहार से जुड़ाव देशविरोधी गतिविधियों को संचालित करने वालों के लिए सुविधादायक बनता जा रहा है। इंडियन मुजाहिद्दीन का यासीन भटकल हो या संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक डा. जावेद, इसी क्षे​त्र से पकड़े गए थे। हिज्बुल मुजाहिद्दीन का नसीर अहमद बानी और अन्य भी इसी अंचल से होकर देश में आतंक फैलाने की फिराक में पकड़े जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में तो लश्कर और अन्य पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का जाल बिछा हुआ है।

आज पाकिस्तान ने सारी ऊर्जा भारत में विध्वंसक ग​तिविधियों के लिए झोंक दी है। आज की युवा पीढ़ी में राष्ट्रबोध जैसा कोई बोध नहीं रहा। वह केवल पैसों में खेलना चाहती है। चोर, उचक्के, बदमाश, स्मगलर सारे के सारे अपना काम बखूबी कर रहे हैं। छोटे से छोटे गांव, कस्बों तक में पाकिस्तान अपना खेल खेल रहा है। देशवासियों में राष्ट्रबोध कैसे पैदा किया जाए, यह यक्ष प्रश्न है। युवा जाने-अंजाने देशद्रोहियों के हाथों की कठपुतली बन रहे हैं। मैं बार-बार लिखता हूंः

वतन की फिक्र कर नादां,
कयामत आने वाली है,
तुम्हारी बर्बादियों के चर्चे होंगे आसमानों में,
न संभलोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालो,
तुम्हारी दास्तां तक न मिलेगी दास्तानों में।

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