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भारत के संयुक्त राष्ट्र से सवाल

रूस-यूक्रेन युद्ध बार-बार भारत का कूटनीतिक इम्तिहान ले रहा है और हर बार भारत इस ​इम्तिहान में सपल हो जाता है। बार-बार यह मौका आता है जब अमेरिका समेत दूसरे देश भारत के रुख की ओर देखते हैं

रूस-यूक्रेन युद्ध बार-बार भारत का कूटनीतिक इम्तिहान ले रहा है और हर बार भारत इस ​इम्तिहान में सपल हो जाता है। बार-बार यह मौका आता है जब अमेरिका समेत दूसरे देश भारत के रुख की ओर देखते हैं। लेकिन भारत अपने स्टैंड पर अडिग रहता है। यूक्रेन युद्ध के ठीक एक वर्ष पूरे होने की पूर्व संध्या पर यूएन जनरल असैम्बली में लाए गए शांति प्रस्ताव पर भारत एक बार फिर वोटिंग से दूर रहा है। इस प्रस्ताव में यूएन चार्टर के सिद्धांतों के मुताबिक यूक्रेन में समग्र, न्यायोचित और स्थायी शांति हासिल करने की जरूरत को रेखांकित किया गया। यद्यपि प्रस्ताव 141 वोट से पारित हो गया लेकिन भारत और चीन समेत 32 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। पाकिस्तान, चीन, बंगलादेश और ईरान ने भी वोटिंग नहीं की। प्रस्ताव में यूक्रेन की उस सीमा के अन्दर उसकी संप्रभुत्ता, आजादी, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई थी जिसे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। इसमें कहा गया है कि रूस बगैर किसी देरी और शर्त के यूक्रेनी इलाकों से पूरी तरह वापिस चला जाए। भारत ने मतदान से दूरी बनाते हुए यूएन पर सवाल भी दाग दिए। 
भारत का कहना है कि यूएन में पास किया गया प्रस्ताव यूक्रेन में स्थायी शांति के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि सचिव रुचिरा कंबोज ने मौजूदा चुनौतियों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के प्रभाव पर सवाल खड़े कर दिए। रुचिरा कंबोज ने दो टूक शब्दों में कहा कि यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम खुद से कुछ जरूर सवाल पूछें। रुचिरा कंबोज द्वारा सवाल उठाया गया-
-क्या हम दोनों पक्षों के लिए जरूरी समाधान के करीब हैं ?
-क्या कोई ऐसी प्रक्रिया कभी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जाती है,  जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है ?
-क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और सुरक्षा परिषद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए मौजूदा चुनौतयों का सामना करने में विफल नहीं हो गई है ?
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति पर चिंतित है। उन्होंने कहा कि संघर्ष के परिणामस्वरूप अनगिनत लोगों की जान गई है, लाखों लोग बेघर हो गए हैं और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं। कंबोज ने कहा कि आम नागरिकों और असैन्य बुनियादी ढांचे पर हमलों की खबरें भी बहुत चिंताजनक हैं। प्रस्ताव ने सदस्य राष्ट्रों और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से चार्टर के अनुरूप यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों के लिए समर्थन को दोगुना करने का आह्वान किया। कंबोज ने दोहराया कि भारत बहुपक्षवाद के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों को बरकरार रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम एकमात्र व्यवहार्य तरीके के रूप में हमेशा बातचीत और कूटनीति का आह्वान करेंगे। आज के प्रस्ताव के घो​िषत उद्देश्यों पर गौर करते हुए स्थायी शांति हा​िसल करने के अपने वांछित लक्ष्य तक पहुंचने  में इसकी अन्तर्निहित सीमाओं को देखते हुए हम इससे दूरी बनाए रहने पर विवश हैं।’’
भारत ने अब तक वैश्विक मंचों पर रूस के खिलाफ कभी मतदान नहीं किया। भारत का स्टैंड यही रहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच दुश्मनी से प्रेरित कार्रवाइयों को तुरंत रोका जाए और युद्ध रोकने के ​लिए बातचीत और कूटनीति को बढ़ावा दिया जाए। भारत का लगातार कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया को नुक्सान उठाना पड़ रहा है। खाद्यान्न, ईंधन और फर्टिलाइजर की सप्लाई पर असर पड़ रहा है और विकासशील देशों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी भारत के अभिन्न मित्र रूस के राष्ट्रपति पुतिन को स्पष्ट शब्दों में कहा था यह युद्ध का काल नहीं है। संवाद से ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है। रूस हमारा परखा हुआ मित्र है। उसने हमेशा भारत का साथ दिया है। भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान भी रूस हमारे साथ खड़ा रहा है। रूस से हमारे हथियारों से लेकर व्यापारिक संबंध भी हैं। अगर भारत-रूस दोस्ती टूटती है तो इसका नुक्सान भी भारत को ही होगा। भारत के लिए अपने हितों की रक्षा करना सर्वोपरि है।  यही कारण है कि भारत ने अपने लोगों के हितों की रक्षा के लिए अमरीकी दबाव की परवाह न करते हुए रूस से पैट्रोल और गैस खरीदना जारी रखा है। अमेरिका की उकसाने वाली कार्रवाइयों से रूस तो भड़का हुआ ही है, बल्कि चीन से भी उसका टकराव बढ़ गया है। अमेरिका और उसके मित्र देश हथियारों का व्यापार करते नजर आते हैं। एक तरफ अमेरिका युद्ध खत्म कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर नजरें लगाए हुए है। उसने उम्मीद जताई है कि युद्ध खत्म कराने के​ लिए भारत रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका को इस बात का अहसास है कि भारत और रूस की दोस्ती काफी गहरी है। लेकिन वह चाहता है कि भारत रूस से युद्ध खत्म करने के​ लिए बातचीत करे। भारत भी चाहता है कि युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो। अगर युद्ध खत्म कराना है तो यूक्रेन और रूस को बातचीत की टेबल पर लाना होगा। उसके ​लिए वातावरण तैयार करने की जरूरत है। आने वाले दिनों में क्या कोई ठोस पहल होती है, यह सब समय के  गर्भ में है?

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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