पिछले लेखों में मैंने अपनी पत्नी किरण के बारे में उनके बचपन में एक डिबेटकर्ता, एक्टिंग, भाषण देने की कला, मोनो एक्टिंग और पंजाब के सुप्रसिद्ध डांस गिद्धा में हिस्सा लेते हुए और सभी क्षेत्रों में उत्तीर्ण होकर गोल्ड मैडल प्राप्त करते दिखाया है। दसवीं की परीक्षा के परिणाम के बाद उसे शिक्षा मंत्री से 20 रुपये प्रतिमाह वजीफा भी लगा था। इस किश्त में मैं ज्यादा न लिखते हुए किरण की बहुआयामी सफलताओं का जिक्र करूंगा। किरण न केवल एक पत्नी बल्कि राजनीति और समाज में सभी वर्ग के लोगों चाहे सोनिया गांधी हों या प्रियंका गांधी, ज्ञानी जी हों या सुषमा जी और नजमा जी, फिल्मी हीरो हों या हीरोइन सभी से व्यक्तिगत रिश्ते रखती हैं और उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व से सभी लोग उन्हें बेहद पसंद करते हैं। उसी ने मेरे निर्वाचन क्षेत्र को भी संभाला, सारे वर्गों के लोगों से जुड़ी रहीं।
वैसे तो किरण जी को सभी वयोवृद्ध प्रभावशाली लोगों से बेहद प्यार मिला है। प्रख्यात लेखक और सम्पादक रहे स्व. कुलदीप नैयर, खुशवंत सिंह तो किरण को अपनी बेटी मानते थे। जब हमने अपने लोधी एस्टेट घर पर स्व. खुशवंत सिंह जी का 100वां जन्मदिन मनाया तो उन्होंने किरण के साथ मिलकर केक काट कर अपने जीवन के शतक को पूरा किया था। भूतपूर्व प्रधानमंत्री स. मनमोहन सिंह भी किरण की बहुत इज्जत करते हैं। हालांकि स. मनमोहन सिंह जी एक सज्जन और ईमानदार राजनीतिक नेता हैं लेकिन कई बार मैं उनसे थोड़ा बहुत मजाक-ठिठोली कर लेता हूं तो वह किरण से कहते हैं ‘‘देखो किरण जी अश्विनी अपनी इन शरारतों से बाज नहीं आता।’’ वर्ष 2004 में तो हद ही हो गई। मैं और किरण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किसी उच्च न्यायालय के एक जज के रिटायरमेंट के मौके पर अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा दिए डिनर पर जा रहे थे।
लोकसभा चुनाव के नतीजे एक दिन बाद आने थे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी को अब अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री का चयन करना था क्योंकि भाजपा धराशायी हो चुकी थी और कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला था। सभी सोच रहे थे कि अब की बार सोनिया जी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगी। मनमोहन सिंह जी का नाम न नौ में और न तेरह में था। ऐसे में मेरी और किरण की मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी से अचानक मुलाकात हो गई। शायद उस समय मां सरस्वती मेरी जीभ पर बैठी थीं। मैंने तो वैसे ही मनमोहन सिंह जी से ठिठोली करते कहा, ‘‘अरे सरदार जी आप यहां क्या कर रहे हो, आपका इंतजार तो प्रधानमंत्री की कुर्सी कर रही है।’’ श्रीमती मनमोहन सिंह ने मुझे घूर कर देखा और स. मनमोहन सिंह जी अपनी धीमी और मधुर आवाज में बोले, ‘देखो किरण जी अश्विनी फिर मेरे से मजाक कर रहा है, इसे रोक लीजिए।’ इससे पहले कि किरण कुछ कहती मैं बोला, ‘सरदार जी सचमुच दस साल के लिए अब आप हमारे देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हो, मेरी बात मान लीजिए, मैं मजाक नहीं कर रहा’। इतनी बात करके मैं और किरण आगे निकल गए।
किरण मुझसे बोली, ‘क्यों शरीफ आदमी को छेड़ते रहते हो जी आप!’ मैं कुछ नहीं बोला केवल हंस दिया। खुदा की कुदरत देखिए अगले दिन सभी समाचार पत्रों और टीवी चैनलों पर यह खबर फ्लैश होने लगी कि कांग्रेस संसदीय दल ने स. मनमोहन सिंह को अपना नेता चुन लिया है। अब कांग्रेस की सरकार के देश के अगले प्रधानमंत्री स. मनमोहन सिंह होंगे। मैंने किरण को कहा- देखा मेरी बात सच निकली। प्रियंका तो किरण की छोटी बहन की तरह और मित्र भी है और सोनिया जी किरण को बहन की तरह प्यार देती हैं। खुशवंत सिंह किरण को अपनी बेटी कहते थे। राष्ट्रपति ज्ञानी जी उसे अपनी बहू कहते थे। चौ. देवीलाल ने चण्डीगढ़ में उसका शानदार स्वागत अपनी पोत बहू कहकर किया था। सभी किरण को जानने वाले फिल्म स्टार, निर्देशक और फैशन डिजाइनर उन्हें एक अच्छे दोस्त के रूप में देखते हैं।
यही नहीं सभी धार्मिक समाज चाहे वह आर्य समाज हो, सनातन धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, ब्रह्मकुमारी हो, सभी से जुड़ी हैं। उसका साध्वी ऋतम्भरा जी से, ब्रह्मकुुमारी शिवानी दीदी से, आशा बहन से, पानीपत की दर्शी मां से बहुत स्नेह है।मुस्लिम धर्म के प्रसिद्ध कल्बे जी, वो हर धर्म, हर समाज से जुड़ी हैं, हर जगह जाती हैं। वह आरएसएस के लोगों में बहुत प्रिय हैं। वो एक Motivational स्पीकर हैं जो हर सबजैक्ट पर विस्तार से बोल सकती हैं। कई कालेज, स्कूल और सामाजिक संस्थाओं में उन्हें बुलाया जाता है, कहीं उसे किसी विषय की समस्या हो तो झट से मेरे साथ विचार-विमर्श करती हैं वरना वह उपस्थित लोगों की नब्ज टटोल कर बोलती हैं और लोग उसे बहुत पसंद करते हैं। ताजा उदाहरण हमारी वित्त मंत्री सीतारमण के एक कार्यक्रम का है जहां किरण का बौद्धिकतापूर्ण भाषण जोकि बिना किसी तैयारी और मौके पर था तथा उनके बातचीत के तरीके को बहुत सराहा गया। वो एकल के सलाहकार बोर्ड में हैं।
उसे यूएसए में सम्मानित किया गया, दुबई में भी सम्मानित किया, उसे FAB India Magzine में भारत की 8वीं सशक्त महिला के रूप में लिखा गया। वो अपने आप में एक संस्थान हैं जिसके बारे में विस्तार में लिखूं तो कई किताबें बन जाएं। पिछले 15 सालों से वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना कर उसने बुढ़ापे जैसी अवस्था को नई दिशा दी है। एडोप्शन शुरू करवाई है और चौपाल, जिसमें उसे स्वर्गीय केदारनाथ साहनी जी मुख्य संरक्षिका बनाकर गए थे, भोलानाथ जी के निर्देशन में माननीय बजरंग लाल, प्रेमजी गोयल की प्रेरणा से उसे नई ऊंचाइयों पर ले गई हैं। उनके कुछ चित्र आपके सामने पेश कर रहा हूं।