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कोवैक्सीनः नहीं रहा कोई शक

कोरोना वायरस से लड़ने में जिस स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर आलोचनाओं का तूफान खड़ा किया गया था, वह वैक्सीन 81 प्रतिशत असरदार सा​बित हुई है।

कोरोना वायरस से लड़ने में जिस स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर आलोचनाओं का तूफान खड़ा किया गया था, वह वैक्सीन 81 प्रतिशत असरदार सा​बित हुई है। भारत बायोटेक ने फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के अंतरिम नतीजे घोषित किए तो उन आलोचनाओं के मुंह बंद हो गए। केन्द्र सरकार ने तीन जनवरी को भारत बायोटेक द्वारा तैयार कोेेेेेेेेेेेेेेवैक्सीन को इमरजैंसी अप्रूवल दिया था, तब कहा गया था कि वैक्सीन अभी ट्रायल मोड़ पर है, इसे स्वीकृति देना ठीक नहीं। राजनीतिक दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। कोवैक्सीन के फेज-3 के नतीजों ने सभी तरह की आलोचनाओं को करारा जवाब दे दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद को​वैक्सीन लगवा कर पूरी हिचक को ही तोड़ डाला। इस वैक्सीन को सीरम की कोविशील्ड से भी बेहतर पाया गया है। कोवैक्सीन को भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। टीकाकरण के मौजूद नेटवर्क 2 से 8 डिग्री तापमान तक वैक्सीन स्टोर कर सकता है। इसके ​लिहाज से कोवैक्सीन काे स्टोर करना बहुत आसान है। इसकी एक शीशी खोलने के बाद उसे 25 से 30 दिन तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे 30 फीसदी तक वेस्टेज कम होगा। अब संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं बची। अब तक दुनिया भर के 40 देशों ने कोवैक्सीन में रुचि दिखाई है। इन देशों ने वैक्सीन की सेफ्टी और इम्यून रिस्पांस को लेकर संतुष्टि दिखाई है। कोवैक्सीन की खासियत यह भी है कि वायरस से छोटे-मोटे बदलाव आने पर भी इसका असर कम नहीं होगा। भारत बायोटेक कोरोना की नेजल वैक्सीन का ट्रायल भी शुरू करने जा रहा है। यानी अब नेजल वैक्सीन की एक डोज से ही कोरोना से सुरक्षा मिल सकेगी। नेजल वैक्सीन कामयाब होती है तो वायरस को ‘मेन गेट’ पर खत्म कर दिया जाएगा।
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद आैर केन्द्रीय मंत्रियों ने भी वैक्सीन लगवा ली है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी काफी बड़ी है जो अभी भी वैक्सीन से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। भारत ने महामारियों पर काबू पाया है। जब देशवासियों ने पोलियो आैर चेचक के टीकों से दूरी नहीं बनाई, उस पर यकीन किया और ये बीमारियां जड़ से खत्म हो गई तो फिर कोई कारण नहीं है कि कोरोना वैक्सीन पर भरोसा नहीं किया जाए। मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाएं अभी भी टीके से परहेज कर रही हैं, ग्रामीण और दूरदराज के अंचलों में वैक्सीन को लेकर लोग ज्यादा जागरूक भी नहीं हैं। महानगरों और शहरों में वैक्सीन के लिए केन्द्रों पर भीड़ देखी जा सकती है। लेकिन पिछड़े क्षेत्रों के लोग वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स से डरते हैं। सरकार इस बात के लिए हरसम्भव प्रयास कर रही है कि टीका लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए। इसीलिए ही टीकाकरण में निजी अस्पतालों को जोड़ा गया और अब आप 24 घंटे किसी भी समय टीका लगवा सकते हैं। देश की बड़ी आबादी को देखते हुए यह समझना भी जरूरी है कि देशभर को कवर करने के लिए 7-8 माह का समय लगना स्वाभाविक है। लोग बेसब्री से वैक्सीन का इंतजार कर रहे थे, हर कोई पूछ रहा था कि वैक्सीन कब आएगी। उन्हें उस अमृत का इंतजार था जिसे लेने के बाद उन्हें कोरोना से मुक्ति मिल जाएगी। कोरोना काल में हमने देखा कि हमारा सामान्य जीवन काफी खौफनाक हो गया था। सड़कों पर दौड़ती एम्बुलैंसें और शवों की अंत्येष्टि के दृश्य डर पैदा कर रहे थे। बाहर से इमारतें बहुत खूबसूरत लगती थीं लेकिन भीतर सन्नाटा छाया हुआ रहता था। कंटेनमैंट जोन बने मुहल्लों के करीब से गुजरने में भी डर लगता था। हम सब इस बात की उम्मीद लगाए बैठे थे कि कोई संजीवनी आए और हमारा जीवन सामान्य हो।
अब जबकि टीकाकरण का दूसरा चरण चल रहा है तो दूसरी तरफ लोग बेखौफ होकर मास्क, सैनेटाइजर, सोशल डिस्टेसिंग के तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कई दिनों से बढ़ौतरी चिंता पैदा करने वाली है।  आशंका इस बात की है कि हमारी लापरवाहियों के चलते हालात कहीं बिगड़ न जाएं। अब भी खबरें आ रही हैं एक छात्रावास में 40 से अधिक छात्र संक्रमित मिले या कहीं से भी लोगों के संक्रमित होने की सूचना पाकर दिल भीतर से दहल उठता है। यदि हम अपनी सुरक्षा स्वयं करना नहीं सीखेंगे तो और लोगों को सुरक्षित कैसे रख पाएंगे। वैक्सीन का काम बीमारी से बचाव करना है, यह हमारे शरीर में एंटीबाडीज बनने की कवायद करती है। शासन, प्रशासन, पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों के स्तर पर एक सश​क्त जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। इस अभियान में सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों का सहयोग भी लिया जा सकता है। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों तक यह संदेश पहुंचाना बहुत जरूरी है कि टीका सुरक्षित है। अब कोई शक रहा ही नहीं तो अब लोगों की जिम्मेदारी है कि वह क्या चुनें खतरा या सुरक्षा। बेहतर यही होगा कि लोग भ्रम से बाहर निकलें आर टीका लगवाने के लिए आगे आएं। लोगों को निश्चित हो जाना चाहिए कि टीकाकरण का शरीर पर कोई निगेटिव असर नहीं पड़ता, जो असर होता है वह अन्य वैक्सीन लगवाने पर ही होता है।

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