‘आप’ को प्रचंड जनादेश का अर्थ - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

‘आप’ को प्रचंड जनादेश का अर्थ

पंजाब में आप की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है। कांग्रेेस की भीतरी तीखी तकरार, कडुवाहट भरी बयानबाजी, महत्वाकांक्षाओं की चाशनी में लिपटे नेताओं और अपने कैडर के दम पर शिरोमणि अकाली दल के धुआंधार चुनाव प्रचार और तमाम चुनावी विसंगतियों के बावजूद पंजाब विधानसभा चुनावों के परिणाम इस बात का प्रमाण हैं

पंजाब में आप की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है। कांग्रेेस की भीतरी तीखी तकरार, कडुवाहट भरी बयानबाजी, महत्वाकांक्षाओं की चाशनी में लिपटे नेताओं और अपने कैडर के दम पर शिरोमणि अकाली दल के धुआंधार चुनाव प्रचार और तमाम चुनावी विसंगतियों के बावजूद पंजाब विधानसभा चुनावों के परिणाम इस बात का प्रमाण हैं कि मतदाताओं की लोकतंत्र में आस्था है और वे अपनी वोट की ताकत से बड़े से बड़े सियासी वट वृक्षों को उखाड़ फैंकते हैं। यूं तो पंजाब की जनता देश में परम्परागत राजनीतिक दलों से खिन्न चली आ रही थी। एक बार के अपवाद को छोड़ दें तो पंजाब की जनता पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन करती रही है। वर्ष 2014 के चुनाव में जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी तो पंजाब के जनमानस ने आप पार्टी को वोट देकर अपने मिजाज से अवगत करा दिया था। इस बार वे विधानसभा चुनावों के परिणामों ने यह साबित कर दिया कि पंजाब के लोगों को अकालियों की कारगुजारियां पसंद नहीं थीं और वे कांग्रेस की किसी भी कीमत पर सत्ता में वापिसी नहीं चाहते थे। पंजाब के किसानों ने केन्द्र द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर आंदोलन चलाए रखा, जिसकी पीड़ा कृषि कानूनों को वापिस लिए जाने के बाद भी कम नहीं हुई थी। ऐसे में भाजपा और कैप्टन अमरिन्द्र सिंह की पार्टी के गठबंधन को वोट देने का सवाल ही नहीं उठता था। आम आदमी पार्टी के रूप में उनके सामने कांग्रेस, अकाली दल और  भाजपा गठबंधन का विकल्प मौजूद था। पंजाब की जनता ने आप पार्टी को इतना विशाल जनादेश दे दिया, जिससे आम आदमी पार्टी की जिम्मेदारियां भी काफी बढ़ चुकी हैं। यह आप पार्टी की बहुत बड़ी उपलब्धि है। आप पहली ऐसी क्षेत्रीय पार्टी है जिसने दूसरे राज्य में जाकर अपना प्रभुत्व कायम किया है। आप की आंधी के आगे कोई धुरंधर टिक नहीं पाया। 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल से लेकर कैप्टन तक चुनाव हार गए। अकाली दल में लगभग साढ़े पांच दशक से बादल कुनबे का कब्जा रहा है। 
पंजाबियों ने अपने स्वाभिमान और तत्व के अनुरूप आप को जनादेश देकर त्रिशंकु विधानसभा आने और चुनाव बाद गठबंधन सरकार बनने के राजनीतिक पंडितों के दावों की धज्जियां उड़ा दीं। पंजाब में पहले से ही लोकप्रिय हास्य कलाकार भगवंत मान अब पंजाब की बागडोर सम्भालेंगे। चुनाव परिणामों की समीक्षा और चर्चा में यह कहा जा रहा है कि पंजाब में मुक्त सेवाओं को​ दिल्ली  मॉडल पर देने की घोषणा आप की प्रचंड जीत का आधार रही लेकिन इस जनादेश में मतदाता के मानस पटल पर बदलाव का संकल्प रहा। भाजपा की राजनीति कांग्रेस के कड़े प्रहार और आप पार्टी के संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आतंकवादी घोषित करने की तिकड़म भी पंजाबियों का संकल्प नहीं बदल सकी। 
प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री तक पर दोषारोपण और सीमा पार के खतरे का प्रचार भी कुछ काम नहीं आया। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में नया इतिहास रच दिया। इससे पहले दिल्ली में दो बार आप ने कांग्रेस और भाजपा का सूपड़ा साफ किया था लेकिन दिल्ली और पंजाब की राजनीति में जमीन-आसमान का अंतर है। अरविन्द केजरीवाल ने पंजाब में दिल्ली मॉडल की तरह सभी के लिए सस्ती बिजली देने और सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और मोहल्ला क्लीनिक स्थापित कर सभी को उपचार की सुविधाएं दिलाने का जमकर प्रचार किया और लोगों ने उन पर पूरा​ विश्वास जताते हुए उन्हें बड़ा मौका दे दिया। लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए यह बड़ी जीत चुनौतियां लेकर सामने आई है। दिल्ली में कानून व्यवस्था राज्य के पास न होकर केन्द्र के अधीन रहती है, दूसरे कई ऐसे पहलू हैं जहां एलजी से सुझाव लेना पड़ता है। केन्द्र से अनुमति लेनी पड़ती है, तब जाकर काम होता है। अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में टकराव भी रहा है। आप पार्टी पहली बार एक राज्य की कमान सम्भालने जा रही है और  भगवंत मान भी पहली बार सीएम बन रहे हैं। ऐसे में उनके कंधों पर एक सीमांत राज्य की जिम्मेदारी आ गई है। इसलिए चुनौतियां कई गुणा बढ़ी हैं। एक पूर्ण राज्य में कानून व्यवस्था कायम करना एक बड़ी चुनौती है और सीमांत राज्य में ड्रग्स और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे काफी बड़े  हैं। पंजाब पर इस समय लगभग तीन हजार करोड़ का कर्ज है और  आप पार्टी द्वारा घोषित मुफ्त सुविधाओं के लिए 37 हजार पांच सौ करोड़ रुपए अलग से चाहिएं। पंजाब के आम लोगों की पहुंच वाले शिक्षा और चिकित्सा संस्थान, कृषि और औद्योगिक बदलाव के लिए नया ढांचा चाहिए। युवाओं को राज्य में रोजगार देने और युवाओं का विदेश पलायन रोकने और प्रतिभाओं को संवारने का काम भी बड़ी तेजी से करना होगा। आप सरकार अगर पंजाब की उम्मीदों पर खरी उतरती है तो दिल्ली के बाद पंजाब आम आदमी का गढ़ बन सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह भाजपा के लिए चुनौती होगा और वह कांग्रेस का स्वा​भाविक विकल्प बन सकती है। दिल्ली मॉडल के पंजाब में भी सफल होने पर इसका सीधा फायदा पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।