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सीएए पर नई पहल…

जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों को ज्यादा सुविधाएं दिये जाने के चक्कर में जिस धारा 370 को संवैधानिक चादर दी गयी थी उस आड़ का खात्मा करते हुए अमित शाह ने 370 को भी चलता किया।

मोदी सरकार की सत्ता में दोबारा से वापसी हुई और इसके साथ ही नया साल बीत गया। मोदी सरकार ने अपने नए गृह मंत्री के दम पर देश में वह सब कुछ किया जिसका देशवासियों को मुद्दत से इंतजार था। जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों को ज्यादा सुविधाएं दिये जाने के चक्कर में जिस धारा 370 को संवैधानिक चादर दी गयी थी उस आड़ का खात्मा करते हुए अमित शाह ने 370 को भी चलता किया। 
यह भाजपा सरकार की एक सबसे बड़ी, अभूतपूर्व और ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इस कड़ी में अब हम एनआरसी और सीएए की बात करते हैं यानी कि नागरिकता रजिस्टर, जो असम में बनाए जाने की बात हुई, के बाद नागरिकता संसोधन बिल और अब नागरिकता संशोधन कानून पर आकर जब सब कुछ व्यवस्थित तरीके से देश के लिए लागू किया गया तो आक्रोश के साथ आंदोलन भी हुए। हमारा मानना है कि हर एक्शन की रिएक्शन होती है। 
एक अच्छी बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार अब सीएए को लागू करने के लिए एक अभियान शुरू कर चुके हैं। दरअसल यह भी बहुत जरूरी था। जनता के बीच में वह सब संदेश जाना चाहिए जो आपने किया है। नागरिकता को लेकर लोगों को पता होना चाहिए कि इस नए कानून से किसी का कोई नुकसान नहीं होने जा रहा। देश में किसी खास वर्ग या स्टूडेंट्स को भड़काने वाले राजनीतिक लोगों और तत्वों की कोई कमी नहीं है। इसलिए भाजपा ने जनता के बीच में जाकर लोगों को जागरूक करने का जो अभियान शुरू किया  है उसका हम स्वागत करते हैं। 
पीएम मोदी के नाम पर एप शुरू किया गया है जिससे कोई भी नागरिक नागरिकता संशोधन कानून पर अपनी राय दे सकता है। यह एक अच्छी पहल है। सरकार की उपलब्धियों को विवाद बताना बहुत आसान है लेकिन लोकतंत्र अगर हमारे यहां सबसे ज्यादा बोलने या अपने विचार अभिव्यक्त करने की आजादी देता है तो इसका मतलब यह नहीं कि विरोध बेमतलब कर दिया जाना चाहिए। भाजपा ने हालांकि सीएए को लेकर अब पूरे देश में जागरूकता अभियान शुरू करने को अंजाम देना तो शुरू कर दिया है परंतु यह कदम थोड़ा पहले ही उठाना चाहिए था क्योंकि जिस तरह से अखबारों और चैनल्स पर सुर्खियों के जरिये और डिबेट्स के माध्यम से राजनीतिक विश्लेषक तरह-तरह के बाण चला रहे हैं तो इससे भी लोकतंत्र में एक राय तो बनती है। 
यह राय विचारों तक सीमित रहे तो अच्छी बात है। विस्फोटक नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस समय विपक्ष को सरकार पर प्रहार करने का एक मौका मिल गया है और सरकार के रणनीतिकारों को जनता को जागरूक करने की मुहिम समय पर शुरू कर देनी चाहिए थी। चलो जब जागो तभी सवेरा। देरी से सही पर लोगों के बीच एक संदेश तो जाना शुरू हो ही गया है। इस सरकार को और इसके रणनीतिकारों को यह समझ लेना चाहिए कि उनका कोई भी कदम जब आगे बढ़ता है तो अवरोधकों के रूप में समूचा विपक्ष इकट्ठा होकर खड़ा है। अगर स्टूडेंट्स इस मामले में एकजुट होकर निकले हैं तो सरकार के लिए यह अलार्म और अलर्ट समझ लेना चाहिए। 
हालांकि यह बात कहकर हम किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं कर रहे लेकिन यह भी तो सच है कि सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी अभियान अनेक राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने जिस तरह से शुरू करके चीजें वायरल की हैं उसका भी अच्छा संदेश नहीं जा रहा। एक ऐसा वीडियो पिछले दिनों हमने देखा जिसमें दो लड़कियां एक स्टूडेंट को पुलिस से पिटता हुआ देखकर उसे बचाने की कोशिश करती हैं और उसके बाद वे पुलिस से लोहा लेती हैं। इस वायरल वीडियो में ये लड़कियां पोस्टर गर्ल बनकर छा गयी लेकिन जब इस वायरल वीडियो की जांच की गयी तो पता चला कि ये स्टूडेंट नहीं बल्कि आतंकवादियों को समर्थन करने वाले संगठनों की नेता हैं। 
कहने का मतलब सोशल मीडिया पर वायरल चीजों से भी सरकार को सावधान होना होगा। दरअसल सरकार की अच्छी चीजों का विरोध करने में असामाजिक तत्व सोशल मीडिया को ढाल बनाकर अपना काम करते हैं लेकिन अब सीएए को लेकर सरकार जनता के बीच में नागरिकता कानून पर सही संदेश दे रही है। हम इस अभियान का स्वागत करते हैं।

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