निजाम का खजाना - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

निजाम का खजाना

हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान का खजाना न केवल भारतीयों के लिए बल्कि विदेशों में भी चर्चित रहा है। उनके खजाने की कहानी देश की आजादी और भारत-पाकिस्तान बंटवारे से जुड़ी हुई है।

हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान का खजाना न केवल भारतीयों के लिए बल्कि विदेशों में भी चर्चित रहा है। उनके खजाने की कहानी देश की आजादी और भारत-पाकिस्तान बंटवारे से जुड़ी हुई है। 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो सिर्फ तीन रियासतें जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ छोड़कर सभी रियासतों का विलय हो चुका था लेकिन हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान हैदराबाद को आजाद देश बनाने पर अड़े हुए थे। 
देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के कड़े रुख को देखते हुए निजाम सुरक्षित रास्ता भी तलाश रहे थे। इसी अफरातफरी में उन्होंने लगभग 10 लाख से अधिक पाउंड लंदन के नैटवेस्ट बैंक में ब्रिटेन में तत्कालीन पाकिस्तान उच्चायुक्त हबीब रहमतुल्ला के खाते में जमा करा दिए। भारत-पाक विभाजन के बाद पाकिस्तान की नीयत डोल गई। नए-नए बने पाकिस्तान की नजरें निजाम के पैसे पर गिद्ध की तरह लग गईं। बाद में वह इस पैसे पर अपना हक जताने लगा। हुआ यूं ​कि 1948 में लंदन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त निजाम के उस पैसे को निकाल नहीं पाए। 
आखिरी निजाम ने पैसे को वापस मांगा तो पाकिस्तान ने साफ इंकार कर दिया। मामला ब्रि​टेन की अदालत में पहुंचा। केस में दो पक्ष रहे पाकिस्तान उच्चायुक्त बनाम 7 अन्य। अन्य पक्षों में निजाम के वंशज, भारत सरकार और भारत के राष्ट्रपति भी शामिल थे। 70 वर्ष बाद लंदन की रायल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है कि इस धन पर निजाम के उत्तराधिकारियों और भारत का हक है। पाकिस्तान की सारी दलीलें विफल हो गईं। भूखा-नंगा देश एक बार फिर हाथ मलता रह गया। लंदन के बैंक में जमा धन अब बढ़कर 3 करोड़ 50 लाख पाउंड हो चुका है। इस फैसले से पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। 
17 सितम्बर, 1948 तक हैदराबाद ​िनजाम की रियासत बना रहा, इसके बाद आपरेशन ‘पोलो’ नाम के सैन्य अभियान के जरिये पटेल ने इस रियासत का ​िवलय भारत में करा लिया। इस विलय के लिए खून भी बहा लेकिन अंततः रियासत हैदराबाद ने भारतीय फौज के आगे हथियार डाल ​िदए। हैैदराबाद के मुसलमानों का 650 वर्ष पुराना शासन विलीन हो गया। हैदराबाद कोई छोटी-मोटी रियासत नहीं थी। 1941 की जनगणना के मुताबिक उस समय उसकी जनसंख्या एक करोड़ 60 लाख से अधिक थी। रियासत की आय उस समय के हिसाब से 9 करोड़ रुपए थी जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ के कई देशों से भी अधिक थी। 
उसकी अपनी मुद्रा थी, टेलीग्राफ डाक सेवा, रेलवे लाइन, शिक्षा संस्थान और अस्पताल थे लेकिन हैदराबाद में मुस्लिमों की जनसंख्या 11 फीसदी थी जबकि हिन्दुआें की जनसंख्या 85 फीसदी थी। जाहिर है कि हिन्दुओं की जनसंख्या भारत के साथ विलय के समर्थन में थी। 1995 में हैदराबाद के निजाम के शाही परिवार ने खजाने को रिजर्व बैंक के लॉकरों में जमा करा ​िदया। इस तरह निजाम की सम्पत्ति राष्ट्र की सम्पत्ति बन गई। यह मांग जरूर की गई कि इस खजाने को लॉकरों से निकाल कर राज्य के एक म्यूजियम में रखा जाए ताकि लोग शाही खजाने का दीदार कर सकें। इस खजाने के दीदार जनता को दो बार पहले 2001 में और फिर 2006 में हुए। 
एक अनुमान के मुताबिक इस खजाने की कीमत 50 हजार करोड़ है। इस खजाने में स्वर्ण आभूषणों के अलावा हीरे-जवाहरात शामिल हैं। अनुमान के मुताबिक इसमें 167 टन सोना है, जिससे सोने की इमारत बन सकती है। हैदराबाद के निजाम दुनिया की सबसे बड़ी शख्सियत थे। हैदराबाद का सालार जंग म्यूजियम उसी वैभव की निशानी है। निजाम के पास सबसे बड़ा हीरा था ​िजसका इस्तेमाल वह पेपरवेट के तौर पर करते थे। 1940 के दशक में दुनिया की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन में निजाम का फोटो छपा था, तब उनकी सम्पत्ति अरबों डालर की थी। इंग्लैंड की महारानी क्वीन एलिजाबेथ की शादी में उन्होंने तोहफे के तौर पर ताज और नैकलेस दिया था। 
1967 में हैदराबाद के सातवें निजाम की मौत के बाद लंदन के बैंक में पड़े पैसों को वापस पाने की कानूनी लड़ाई को उनके उत्तराधिकारियों ने आगे बढ़ाया। निजाम के उत्तराधिकारियों ने इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ चर्चा की। अब पाकिस्तान इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। पाकिस्तान  को समझ में नहीं आ रहा कि जिस तरह हैदराबाद रियासत भारत का अभिन्न अंग है, उसी तरह जम्मू-कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है। हैदराबाद रियासत की सारी सम्पत्ति भारत की सम्पत्ति है तो जम्मू-कश्मीर भी भारत की सम्पत्ति है।​ फिर पाकिस्तान क्यों बार-बार जम्मू-कश्मीर का राग अलाप कर पूरे विश्व में खुद भी अपमानित हो रहा है और पाकिस्तान के अवाम को भी अपमानित होना पड़ रहा है। आज पूरे विश्व में पाकिस्तान काे आतंकवाद का पोषक देश माना जाता है, उसे हैदराबाद से ही सबक सीखना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

7 − 1 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।