विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच लोकसभा ने ‘सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2016 को मंजूरी दे दी। इसमें देश में वाणिज्यिक उद्देश्यों से जुड़ी किराये की कोख (सरोगेसी) पर रोक लगाने, सरोगेसी पद्धति का दुरुपयोग रोकने के साथ निःसन्तान दम्पतियों को सन्तान का सुख दिलाना सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक में एनआरआई दम्पतियों काे भी शामिल किया गया है, हालांकि इसमें विदेशी नागरिकों का प्रावधान नहीं है। सरोगेसी निःसन्तान दम्पतियों को परिवार का सुख उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू हुई थी लेकिन इसने एक बड़े व्यापार का रूप ले लिया था। आसान भाषा में अगर समझा जाए तो सरोगेसी का अर्थ है किसी और की कोख से अपने बच्चे को जन्म देना। अगर कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं तो किसी अन्य की कोख को किराये पर लेकर उसके जरिये बच्चे को जन्म देना सरोगेसी कही जाती है, उसे सरोगेट मदर कहा जाता है।
भारत समेत बहुत से देशों में पारम्परिक तरीके ज्यादा विवादास्पद हो जाते हैं, क्योंकि इसमें बच्चे में एक ही पेरेंट के गुण आते हैं, वहीं उसका सरोगेट मां के साथ भी रिश्ता कहीं न कहीं बाकी रहता है। बहुत से देशों में सरोगेसी से पहले एक लिखित प्रमाणपत्र देना पड़ता है, िजसमें सरोगेट मां यह साफ करती है कि बच्चे के जन्म देने और उसके लिए अपनी फीस लेने के बाद तो उस बच्चे की तरफ मुड़कर भी नहीं देखेगी। निःसन्तान दम्पतियों के लिए वरदान मेडिकल तकनीक भारत में कारोबार बन गई। पहले महिला-पुरुष सम्बन्धों जैसे विषयों को कोई स्पर्श भी नहीं करता था लेकिन भारतीय फिल्मों ने इस विषय पर कुछ फिल्में भी बना डालीं। फिल्म निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने उस समय यह ऐलान कर दिया था कि वह सरोगेसी से दो बच्चों के पिता बन गए हैं जबकि सरोगेसी पर नए कानून को 21 नवम्बर 2016 को संसद में पेश किया गया था लेकिन वह पारित नहीं हुआ था। फिर अभिनेता तुषार कपूर भी सिंगल डैडी बन गए। फिर किंग खान शाहरुख खान सरोगेसी से तीसरे बच्चे के पिता बन गए। अभिनेता आमिर खान और उनकी निर्देशक पत्नी किरण राव को सरोगेसी के जरिये सन्तान सुख प्राप्त हुआ। अभिनेता श्रेयांस तलपड़े भी सरोगेसी से पैदा हुई बेटी के बाप बने। कई हॉलीवुड अभिनेत्रियों ने भी ऐसा ही किया।
सेलिब्रिटीज द्वारा पिता बनने के लिए सरोगेसी का सहारा लेने के चलते इसे लोकप्रियता हासिल हुई और देशभर में किराये की कोख एक कारोबार बन गया। देखते ही देखते भारत में सैंटर खुल गए आैर महिलाएं अपनी कोख किराये पर देने लगीं। देशभर में ऐसे गिरोह ऑपरेट करने लगे जो गरीब महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनकी कोख किराये पर उपलब्ध कराते थे। आईवीएफ सैंटरों के दलाल ईरान, इराक, सऊदी अरब, कनाडा और अन्य देशों तक फैले हुए हैं और वहां के दम्पति भारतीय सरोगेट मदर्स से सन्तान का सुख प्राप्त कर रहे हैं। भारतीय सरोगेट मदर्स 50 हजार से एक लाख रुपए तक उपलब्ध हो जाती है और खुद दलाल लाखों कमा रहे हैं। कई मामलों में देखा गया कि विदेशी दम्पति 10-11 माह का टूरिस्ट वीजा लेकर किसी राज्य के सैंटरों में पहुंचते हैं। रिकॉर्ड में विदेशी महिला को गर्भवती होना दिखाया जाता है। मोटी रकम लेकर किराये की कोख दी जाती है और 9 माह बाद बच्चा देकर उन्हें रवाना कर दिया जाता है। देशभर में बहुत सारे क्लीनिक चल रहे हैं जो कमर्शियल हब बन गए हैं।
आंध्र प्रदेश और गुजरात में ऐसे सरोगेसी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था जहां से कई गर्भवती महिलाओं को बचाया गया था। ज्यादातर महिलाएं नगालैंड, दार्जिलिंग, तेलंगाना और आंध्र की निवासी थीं। अस्पताल इन महिलाओं को बाहर जाने की इजाजत भी नहीं देता था। अस्पतालों के पास कोई वैध लाइसेंस भी नहीं था। आदिवासी महिलाओं को चन्द पैसों में सरोगेट मदर्स बनने के लिए राजी कर लिया जाता था। एक तरह से उनका शोषण होने लगा था। सरोगेसी को लेकर बहुत से सवाल उठ खड़े हुए थे। फिल्म स्टार और उनके रिश्तेदार केवल इसलिए सरोगेट माताओं का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि वे अपनी शेप बिगड़ने नहीं देना चाहते। इस फैशन सरोगेसी काे रोकने की मांग उठी। सरोगेसी में बच्चे को जन्म देने वाली महिला के अिधकारों को नजरंदाज किया जाता रहा है क्योंकि कभी-कभी इसमें महिला की जान भी चली जाती थी। नए विधेयक में मां को परिभाषित किया गया है। सरोगेसी अब परोपकार का साधन ही रहेगा। एक महिला अपने जीवन में केवल एक बार ही सरोगेसी कर सकेगी।
नए सरोगेसी विधेयक के मुताबिक ऐसे दम्पति जिनमें एक या दोनों माता-पिता बनने में सक्षम नहीं हों या किसी वजह से जिनके बच्चे न हों, वे सरोगेसी की मदद ले सकते हैं। इसमें अपवाद के तौर पर ऐसे कपल को शामिल किया गया है जिनके बच्चे मानिसक या शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं। अब सरोगेसी करने वाली महिला उस दम्पति की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए और उसकी उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उस महिला का कम से कम एक अपना बच्चा होना चाहिए। विधेयक में नियमों को कठोर बनाया गया है। सरोगेट मदर के मेडिकल खर्च और बीमा कवरेज का भुगतान करना होगा। प्रावधान तोड़े जाने पर इच्छुक दम्पित को 5 से 10 साल तक की सजा आैर 10 लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। अहम सवाल यह है कि क्या कानून से सरोगेसी का कारोबार बन्द हो जाएगा? जब तक कानून क्रियान्वयन एजैंसियां ठोस कार्रवाई नहीं करतीं, कानून अपना काम नहीं कर सकता। इस देश में चोरी-छिपे कुछ भी हो सकता है। बेहतर होगा सभी मेडिकल सैंटरों पर कड़ी नजर रखी जाए और इस कारोबार को बन्द कराया जाए।