देशभर में कानून का कोई खौफ नहीं रहा। चेन स्नैचर हो या मोबाइल चोर हो या फिर हो बड़े अपराधी, हैवानियत की हदें पार कर रहे हैं। आखिर इंसान हैवान क्यों बनता जा रहा है? क्या नैतिकता का बिल्कुल पतन हो गया है? जिस तरह से राजधानी दिल्ली में मोबाइल छीनने वाले एक युवक ने चाकूओं से ताबड़तोड़ वार कर दिल्ली पुलिस के एएसआई शंभू दयाल की हत्या कर दी। उससे स्पष्ट है कि मामूली अपराधियों को भी पुलिस का कोई खौफ नहीं है। ड्यूटी के दौरान एएसआई शंभू दयाल ने जिस साहस का प्रदर्शन किया और अपना कर्त्तव्य निभाते हुए अपनी शहादत दी उसे हम नमन करते हैं। कुछ दिन पहले पंजाब में फगवाड़ा और लुधियाना के बीच गैंगस्टरों ने एक युवा पुलिस कर्मचारी कुलदीप सिंह उर्फ कमल बाजवा की गोली मार कर हत्या कर दी। वारदात उस समय हुई जब तीन गैंगस्टर एक एसयूवी गाड़ी छीनकर भाग रहे थे। शहीद कांस्टेबल कुलदीप सिंह ने कर्त्तव्य पथ पर जीवन का बलिदान दे दिया। यद्यपि पुलिस ने तीनों गैंगस्टरों को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन इससे शहीद के परिजनों का दुख जीवन भर समाप्त नहीं होने वाला। शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों का क्रंदन पूरे देश को झकझोर रहा है। किसी का सुहाग उजड़ा, किसी का बेटा छिन गया। बच्चे अनाथ हो गए। जीवनभर उनकी आंखों में आंसू रहेंगे। बच्चों को तमाम उम्र पिता की कमी खलती रहेगी। यद्यपि शहीद शंभू दयाल को दिल्ली पुलिस और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दो करोड़ की अनुग्रह राशि दे दी है। इसी तरह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शहीद कांस्टेबल को 2 करोड़ की राशि प्रदान कर दी है, लेकिन कितना भी धन दे दिया जाए वह एक इंसान की जिन्दगी से बड़ा नहीं हो सकता। आम जनता यह सवाल करती है कि अगर पुलिस ही सुरक्षित नहीं है तो फिर आम आदमी सुरक्षित कैसे हो सकता है।
‘‘हम हर काम के लिए पुलिस को कोसते हैं,
पर जब दुविधा हो तो पुलिस को ही खोजते हैं।’’
हमारा देश विश्व के सबसे सुरक्षित देशों में गिना जाता है। देश की सुरक्षा के अनेक प्रकार होते हैं, पर प्रमुख रूप से देश की सुरक्षा दो रूप से होती है। पहला बाह्य सुरक्षा तथा दूसरा आंतरिक सुरक्षा। हमारे देश में बाह्य सुरक्षा का जिम्मा सैिनकों के पास है, वहीं आंतरिक जिम्मा पुलिस के पास होता है। देश के लिए दोनों सुरक्षा का होना आवश्यक है। पुलिस देश की आंतरिक व्यवस्था पर नियंत्रण बनाती है। पुलिस देश को शांति प्रदान करती है। पुलिस के होने से ही हम आज सुरक्षित हैं। व्यक्तियों के आपसी विवाद को निपटाने का कार्य पुलिस प्रशासन का होता है। देश के आंतरिक मामलों को निपटान, आंतरिक शांति बनाए रखना तथा देश में हो रहे अपराधों को रोकने में पुलिस अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। देश के प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है कि वह संकट में पुलिस की सहायता ले सकता है और आज के समय में प्रत्येक दिन अनगिनत ऐसे मामले हाेते हैं।
हमारे देश का प्रथम कर्त्तव्य है कि वह अपने प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा प्रदान करें, इसलिए देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी सुरक्षा के अधिकार प्राप्त हैं। आज के समय में भी लोग कानूनों का पालन करते हैं, उसका कारण पुलिस ही है। पुलिस अपने बल के आधार पर कानूनों का पालन करती है। पुलिस के बिना आज हम एक शांत प्रशासन की उम्मीद भी नहीं कर सकते। आज हमारे देश का प्रत्येक नागरिक कानूनों का सम्मान करता है तथा अनुशासन युक्त जीवन जीता है। इसके पीछे का कारण हमारे देश की पुलिस है। पुलिस के पास बहुत अधिकार होते हैं। जनता और मीडिया आसानी से पुलिस को निशाना बना देती है, लेकिन पुलिस कर्मचारी बनना आसान काम नहीं है। इसके लिए कड़ी से कड़ी ट्रेनिंग पार करनी पड़ती है। पुलिस की नौकरी पाना ही मुश्किल नहीं बल्कि पुलिस की नौकरी करना भी मुश्किल है। इन्हें 24 घंटे बिना आराम ड्यूटी करनी पड़ती है। पुलिस में काम करते वह कई महीनों तक घर नहीं जा पाते। हर समय अपने प्राणों को दांव पर लगाकर देश के नागरिकों की रक्षा करते हैं। यह भी सत्य है कि पुलिस की छवि बहुत खराब है और जनता पुलिस को भ्रष्ट करार देती है। हमारे देश के कानून भी काफी उदार हैं। यहां मामूली आरोपियों को हथकड़ी नहीं लगाई जाती, इससे मामूली चोर भी पुलिस वालों पर हमला कर देते हैं। कई बार ऐसी बयानबाजी भी सामने आई है कि पुलिस को तनख्वाह ही अपनी शहादतें देने के लिए मिलती है। ऐसे बयान उनकी शहादत का अपमान है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे देश में अराजकता का फैलाव बड़ा है। अपराध भी निरंतर बढ़ रहे हैं। बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। दरिन्दे बच्चियों को अपनी यौन पिपासा का शिकार बना रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल है कि अपराधियों में कानून का खौफ कैसे पैदा किया जाए। अपराधी वर्दी पर गोली चलाने से भी नहीं झिझक रहे। कानून का खौफ पैदा करने के लिए एकमात्र यही रास्ता है कि अपराधियों को जल्द से जल्द दंडित किया जाए। अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजाएं दिए जाने से ही अपराध करने वाले लोगों में भय बना रहेगा। यदि पुलिस ही असहाय बनी रही तो हमारे समाज के लिए परिणाम बहुत भयानक होने वाला है। अगर कानून पर से लोगों का भरोसा उठा तो फिर कुछ बचेगा नहीं। राजनीतिक दलों को भी पुलिस का राजनीतिकरण करने से बचना होगा। अगर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए गम्भीरता नहीं दिखाई गई तो आने वाला समय बहुत विकट हो सकता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com