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अब दाखिलों की दौड़

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिलों के लिए एक अक्तूबर को पहली कट ऑफ लिस्ट जारी किए जाने के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडर ग्रेजूएट दाखिलों की दौड़ शुरू हो जाएगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिलों के लिए एक अक्तूबर को पहली कट ऑफ लिस्ट जारी किए जाने के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडर ग्रेजूएट दाखिलों की दौड़ शुरू हो जाएगी। दिल्ली विश्वविद्यालय में विभिन्न कोर्सों में केवल 70 हजार सीटे हैं, जबकि आवेदकों की संख्या 3.18 लाख के लगभग है। इनमें से 1.47 लाख छात्रों ने ही अपनी अदायगी पूरी की है। आवेदकों में 82 हजार छात्र हैं और 65 हजार के लगभग छात्राएं हैं। क्षेत्र की दृष्टि से देखा जाए तो इस बार सबसे ज्यादा 20398 पंजीकरण दिल्ली-एनसीआर से हुआ था जबकि सबसे कम दस-दस पंजीकरण कटक (ओ​डीशा) और शिलांग, मेघालय के छात्रों ने करवाए हैं। 5187 खेल कोटे से और 8333 आवेदन अन्य अतिरिक्त गतिविधिओ के मिले हैं। इन श्रेणियों में दाखिले केवल सर्टिफिकेट के आधार पर होंगे। कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए ट्रायल करवाए जाएंगे। इसी तरह पोस्टग्रेजूएट कोर्सों में सीटें 20 हजार हैं, जबकि आवेदन मिले हैं 1.37 लाख। दाखिले कट ऑफ लिस्ट के जरिये होंगे जबकि कुछ अंडरग्रेजूएट कोर्सों और अधिकांश पीजी कोर्सों में दाखिले प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किए जाएंगे। सीटों के​ ​हिसाब से रजिस्ट्रेशन कई गुणा ज्यादा हैं। इसका अर्थ यही है कि दाखिलों के लिए महामारी मचेगी। 
इस बार साफ है कि पिछले साल के मुकाबले अंडरग्रेजूएट कोर्सेज की पहली कट ऑफ लिस्ट ही सौ प्रतिशत तक जा सकती है। जिस हिसाब से रिजल्ट का उछाल आया है उसे देखते हुए यह स्वाभाविक भी है। सीबीएसई में इस बार 70 हजार चार छात्रों के 95 फीसदी से अधिक नम्बर आए हैं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 38 हजार थी। स्कोरर्स की संख्या 31 हजार से भी ज्यादा है। कोरोना महामारी के चलते परीक्षाएं तो हुई थीं, सभी बोर्डों ने असेसमेंट पॉलिसी की वजह से सभी का रिजल्ट ऊपर है। इसका असर दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ में ​दिखेगा। 2019 में स्कोरर्स की संख्या 17693 थी और 2020 में  यह संख्या 20 हजार थी इसलिए पहली कट ऑफ लिस्ट में 25 फीसदी तक उछाल आया है। इस बार स्कोरर्स बहुत ज्यादा है लेकिन सीटें ज्यादा नहीं बढ़ीं तो कट ऑफ ऊपर जाएगी ही। सीबीएसई नहीं, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब सभी बोर्ड हैं, जहां से डीयू के लिए काफी स्टूडेंट्स आते हैं। इस बार कुछ ज्यादा ही आएंगे। पिछली बार भी दिल्ली विश्वविद्यालय में देखा गया था कि कुछ ख्याति प्राप्त कालेजों में जनरल कैटेगरी की सीटें तो पहली दो कट ऑफ में ही करीब-करीब भर गई थीं। पिछले वर्ष लेडी श्रीराम कालेज ने तो इक्नामिक्स आनर्स, पॉलिटिकल साइंस आनर्स और बीए आनर्स, साइक्लॉजी के लिए पहली कट ऑफ लिस्ट सौ प्रतिशत रखी थी। जबकि बीकॉम आनर्स को 99.75 फीसदी और एसआरसीसी ने 99.5 फीसदी रखी थी। इस बार स्थिति ऐसी है कि दिल्ली विश्वविद्यालय पर दबाव बहुत बढ़ेगा। सैंट्रल यूनिवर्सिटी होने की वजह से दूसरे राज्यों के बोर्ड के छात्र भी अप्लाई करते हैं।
यह भी साफ है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में जितने छात्रों ने आवेदन किया, उनमें से कट ऑफ लिस्ट से दाखिला मिलेगा। इस​िलए छात्रों को अपनी मनपसंद के कालेजों में दाखिला मिलने की कोई सम्भावना नहीं। हो सकता है कि उन्हें दिल्ली में दाखिला ही ना मिल पाए। इसलिए उन्हें बैकअप प्लान तैयार करके रखना चाहिए।
कोरोना महामारी के चलते हमने अनेक चुनौतियों का सामना किया है। स्कूल अभी तक नहीं खुले हैं, जहां स्कूल खोले गए हैं वहां भी स्कूली छात्रों में महामारी का ​प्रकोप देखने को मिल रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया आनलाइन ​होगी। शिक्षा सत्र तो अक्तूबर में ही शुरू हो गया,बीच में त्यौहार भी आएंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ अंक योग्यता परीक्षा या 12वीं के उम्मीदवारों के सर्वश्रेष्ठ चार विषयों में अंकों के आधार पर तैयार की जाएगी। बाद में समेकित दिल्ली विश्वविद्यालय की कट ऑफ कला, विज्ञान और वाणिज्य के लिए सूचीबद्ध की जाएगी। कोरोना महामारी के चलते हालात काफी अलग हैं। अब सवाल तो यह है कि भारी संख्या में छात्र दिल्ली से बाहर के कालेजों में दाखिला लेने को मजबूर होंगे। महामारी ने उच्च शिक्षा के लिए भी बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इन चुनौतियों को पार पाने के लिए बहुत समय लग सकता है। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला एजूकेशन सैक्टर ही है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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