न जाने कब से हम पूर्वजों की मार्फत यह कहावत सुनते आ रहे हैं कि पाप का घड़ा भर कर डूब जाता है। मैं मूलतः पंजाबी हूं। गुरुवाणी में मेरी बड़ी आस्था है। गुरु ग्रंथ साहिब में लिखी पंक्तियां मुझे याद आ रही हैं। पापी को मारने को पाप महाबली है। असल में हमारे मापदंड और नियति के मापदंडों में बड़ा फर्क है।
हमारा बस चलता तो कब का पाकिस्तान के हाथों से अपना कश्मीर हम वापस ले चुके होते। अमेरिका पर हुये आतंकवादी हमले के बाद उसने कुत्ता तो नहीं खरीदा मगर एक भेड़िये को पट्टा पहनाकर पालतू बना लिया। पाकिस्तान ने अमेरिका का पालतू बन कर भी उसे बहुत धोखा दिया।
पाकिस्तान ने चुन-चुन कर उन देशों को परमाणु बम की तकनीक दी जो अमेरिका के शत्रु थे। अगर अमेरिका ने पाकिस्तान को पालतू नहीं बनाया होता तो उसका विध्वंस हो गया होता। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया जूझ रही है। पािकस्तान की हालत बहुत बुरी है।
पाकिस्तान कर्ज के जाल में पूरी तरह फंसा हुआ है। उसके पास अपने अवाम को बचाने के लिये पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं ही नहीं हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के अवाम को अल्लाह के भरोसे छोड़ दिया है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की मौतें हो रही हैं, मरीजों की संख्या बढ़ रही है। पाकिस्तान ने विदेशों में रह रहे अपने देशवासियों को पाकिस्तान वापस लाने से इन्कार कर दिया है।
अपने ही देशवासियों को वहां मरने को मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान के हुक्मरान अमानवीय हो चुके हैं। महामारी से जूझते समय भी पाकिस्तान न तो सीमा पर गोलीबारी बंद कर रहा है और न ही आतंकवादियों की घुसपैठ बंद कर रहा है। उत्तरी कश्मीर के केरन सैक्टर में पाकिस्तानी आतंकवादी समूह ने घुसपैठ की कोशिश की तो भारत के जवानों ने 5 आतंकवादी मार गिराये लेकिन इस मुठभेड़ में हमारे पांच जवानों को भी शहादत देनी पड़ी।
पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहा। महामारी से जूझते हुए भी वह भारत के विरुद्ध साजिशों को अंजाम देने में लगा हुआ है। पाकिस्तान की फितरत पर एक कहानी याद आ रही हैः “एक बड़ा भरा-पूरा गांव था। खेती ही उस गांव का एकमात्र साधन था। सारे किसान बड़े समृद्ध थे। खेती में ही ज्यादा प्रवृत्त होने के कारण उस गांव के लोग दुकानदारी नहीं करते थे। इसलिए अन्न के अलावा कपड़े, तेल, मसाले एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं के लिए उन्हें नदी पार करके बड़े कस्बे में जाना पड़ता था।
नदी बड़ी गहरी थी, उसमें मगरमच्छ भी थे लेकिन नाविक अपनी बड़ी नाव बड़े मजे से सुरक्षित ले जाते थे। एक ही नाव थी, जो सुबह जाती थी और शाम को वापस चली आती थी। एक सुबह जैसे ही नाव तट छोड़ने को हुई, एक व्यक्ति हांफता और दौड़ता हुआ आया और नाव पर चढ़ा। वह और किसी गांव से आ रहा था। अतः थका हुआ था।
पांच मिनट भी न बीते होंगे कि वह व्यक्ति जोर से चिल्लाया-यह नाव डूब जाएगी, हम सब मर जाएंगे, मुझे नहीं जाना, इतना कहकर वह कूद कर किनारे आ गया। चप्पू चलाने वाला भी हैरान हो गया और लोग भी घबरा गए। सबने एक स्वर से पूछा- क्या तुम कोई नजूमी या ज्योतिषी हो, जो ऐसी बात कर रहे हो। हमें साफ-साफ बताओ।” वह व्यक्ति बोला- न तो मैं कोई ज्योतिषी हूं और न ही भविष्य दृष्टा, पर मेरा ‘सामान्य ज्ञान’ तो है।
लोग और चक्कर खा गए। सबने उससे कहा, “जरा पूरी बात विस्तार से बताओ।” वह व्यक्ति बोला- “देखो, नाव की स्थिति क्या है। एक तरफ सारी भीड़ बैठी है। दूसरी तरफ एक व्यापारी अपने ऊंट को लेकर विराजमान है। उसके बगल में मदारी और एक बंदर रस्सी से बंधा बैठा है। जितने प्राणी हैं, सब स्वभाव से बंधे होते हैं।
बंदर कभी बाज नहीं आएगा और ऊंट के कूबड़ से छेड़छाड़ करेगा ही। उसकी इस हरकत को कुछ देर के लिए ऊंट बर्दाश्त तो करेगा, बाद में गुस्से में खड़ा हो जाएगा। जैसे ही वह ऐसा करेगा, नाव का संतुलन बिगड़ जाएगा। लोगों में अफरातफरी मच जाएगी और नाव डूब जाएगी। उसकी बात सुनकर सभी हंसने लगे, पर सचमुच हुआ ठीक ऐसा ही, बंदर ने छेड़छाड़ की, ऊंट उठा और नाव डूब गई।”
पाकिस्तान की नाव का डूबना तय है। एक न एक दिन तो भारत को पाकिस्तान से युद्ध करना ही होगा। पाकिस्तान के लोगों को हमें कुचलना ही होगा। भारत सत्य को पहचाने, पाकिस्तान के पाप का घड़ा भर चुका है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट देखते ही बन रही है। चौतरफा फजीहत से उसकी बौखलाहट समझ में भी आती है। इसकी हालत खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसी हो गई है लेकिन भारत को पाकिस्तान से एक न एक दिन तो निपटना ही होगा।
-आदित्य नारायण चोपड़ा