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पाकिस्तान : डगमगाती नाव, कांपते मस्तूल

पाकिस्तान भले ही दुनिया को कितना पाक साफ बताए, सच तो सच है जो बाहर आ ही जाता है। चाहे वह किसी की जुबान से बाहर आए या किसी और माध्यम से। आतंकवाद की खेती करने वाले पाकिस्तान का सच दुनिया जानती है।

पाकिस्तान भले ही दुनिया को कितना पाक साफ बताए, सच तो सच है जो बाहर आ ही जाता है। चाहे वह किसी की जुबान से बाहर आए या किसी और माध्यम से। आतंकवाद की खेती करने वाले पाकिस्तान का सच दुनिया जानती है। भारत के लोगों के पास पाकिस्तानी हुक्मरानों के बारे में व्यापक अनुभव है। अब तो फरेबी पाकिस्तान का लगातार पर्दाफाश हो रहा है। इमरान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी ने अपनी संसद में बोलते हुए पुलवामा के आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका कबूल कर ली है। और तो और फवाद चौधरी ने हमले का सारा श्रेय इमरान खान को दिया और कहा कि पाकिस्तानी लीडरशिप ने पुलवामा में इंडिया में घुस कर जवाब दिया है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे।
उनके इस बयान के बाद जब इमरान सरकार ने खुद को घिरा हुआ महसूस किया तो फवाद चौधरी कहने लगे कि उनके बयान की गलत व्याख्या की जा रही है, पाकिस्तान तो निर्दोषों की हत्याओं की निंदा करता है। दरअसल फवाद चौधरी एक सांसद अयाज सादिक के बयान का जवाब देते समय सच बोल ही गए। अयाज सादिक ने विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई को लेकर पाकिस्तान की पोल खोल दी थी। उन्होंने कहा था कि अभिनंदन मामले को लेकर बुलाई गई बैठक में पाक सेना चीफ बाजवा की टांगें कांप रही थीं और विदेश मंत्री कुरैशी के माथे पर पसीना था। बैठक में आते ही कुरैशी साहब ने कहा-खुदा के वास्ते अभिनंदन को जाने दो वर्ना भारत रात 9 बजे हमला कर देगा।
यह बात सच है कि सर्जिकल स्ट्राइक आैर एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान काफी दबाव में था और पाक हुक्मरान भारत के हमले के डर से कांप रहे थे।
पाकिस्तानी मंत्री के इस कबूलनामे को भारत ने हाथों हाथ लपका। पुलवामा हमले को लेकर शुरूआत में ही सभी सुराग पाकिस्तान की तरफ इशारा कर रहे थे। भारत अब इस कबूलनामे का इस्तेमाल दुनिया को यह बताने के लिए करेगा कि पाकिस्तान को एफएटीएफ में ब्लैकलिस्ट करने की जरूरत है। यह काम तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन ​विभिन्न खेमों में बंटी दुनिया सच को स्वीकार करने में परहेज करती रही है। दुख तो इस बात का है कि भारत के लाख कहने पर भी 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बाकर बुश शत्रु और मित्र की पहचान ही नहीं कर सके।
बुश ने एक आतंकवादी देश को आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में अपना मित्र बना लिया। तत्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ भी बुश के पालू बन गए। अमेरिका पाकिस्तान पर डालर बरसाता रहा। पाकिस्तान उन्हीं डालरों से अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों को मजबूत बनाता रहा। अमेरिका के लोगों ने 11 सितम्बर के हमले के बाद से पाकिस्तान के संबंध में सोचना शुरू कर दिया था। सोच का कारण ट्विन टावर के बाद हुई अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या भी था। मुशर्रफ के अमेरिका दौरे से लौटने के बाद पर्ल की क्षत-विक्षत लाश मिली थी। कितनी बेरहमी से उसका कत्ल किया गया था, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। 
दरअसल डेनियल पर्ल एक साहसी पत्रकार थे। बड़ी मेहनत से उन्होंने मुशर्रफ, पाकिस्तान अलकायदा, आेसामा के अंतरंग रिश्तों का पता लगाया था और जो कुछ हासिल किया था अगर सामने आता तो हड़कम्प मच जाता।
अमेरिका ओसाम बिन  लादेन की तलाश में तोरावोरा की पहाड़ियां छानता रहा, लेकिन लादेन मिला तो पाकिस्तान के एबटाबाद में। अमेरिकी मैरिन कमांडो ने उसे घर में घुसकर मार डाला। ओबामा के कार्यकाल में भी अमेरिका का रुख पाकिस्तान के लिए नरम रहा क्योंकि अफगानिस्तान युद्ध अमेरिका के गले की फांस बन गया था। परिदृश्य बदला तो पाकिस्तान का मित्र रहा अमेरिका अब भारत का गहरा मित्र बन चुका है।
भिखमंगा पाकिस्तान करता भी क्या, उसने चीन की गोद में बैठना स्वीकार कर लिया। चीन ने पाकिस्तान को अपने जाल में इस कदर फंसा लिया है कि चीन ने महत्वाकांक्षी प्रोजैक्टों के नाम पर अपनी चाल चल दी है। पहले उसने पाकिस्तान को अपने ऋण के जाल में फंसाया, अब पाकिस्तान से ज्यादा ब्याज मांग रहा है। चीनी प्रोजैक्टों का 30 फीसदी काम ही पूरा हुआ है। अब सभी प्रोजैक्ट अधर में हैं। पाक आतंकवादियों को बिरयानी खिला-खिलाकर बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है। हालत इतनी खराब है कि अब आटे की भी तंगी है, लोग भूूखे हैं, लाइनों में लगे हैं लेकिन उन्हें आटा नहीं मिल रहा। चीन की बढ़ती घुसपैठ से पाक के अवाम में आक्रोश फैलता जा रहा है। पीओके, ब्लूचिस्तान में आजादी की मांग उठ रही है। परिस्थितियां ऐसी बन चुकी हैं कि या तो इमरान खान की गद्दी जाएगी या फिर पाकिस्तान का वजूद खतरे में पड़ जाएगा।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान की हालत ​खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसी हो गई है। मुस्लिम देशों के बल पर कूद रहे इमरान खान को शिया और सुन्नी दोनों ही गुटों से कश्मीर मुद्दे पर बड़ा झटका लगा है। सऊदी अरब और ईरान ने अपने देश में स्थित पाकिस्तानी दूतावास को कश्मीर के भारत में विलय के दिन पर काला दिवस मनाने की अनुमति नहीं दी। सऊदी अरब ने तो पाकिस्तान के नक्शे से कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान को हटा दिया है। पाकिस्तान की हर तरफ से ​किरकिरी हो रही है। भविष्य में पाकिस्तान कभी भी टूट सकता है।
‘‘नावें डगमगा रही हैं, कांप रहे मस्तूल
इमरान फिर कह रहे, मौसम है अनुकूल।’’

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