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पंजाब में नशे का पाकिस्तानी षड्यंत्र

पड़ोसी देश पाकिस्तान की भारत विरोधी रणनीति की भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। यह कीमत सैन्य और राजनीतिक ही नहीं बल्कि सामाजिक भी है।

पड़ोसी देश पाकिस्तान की भारत विरोधी रणनीति की भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। यह कीमत सैन्य और राजनीतिक ही नहीं बल्कि सामाजिक भी है। नशीले पदा​र्थों, हथियारों और नकली मुद्रा की सीमा पार से तस्करी उसकी रणनीति का एक हिस्सा रहा है। पाकिस्तान के षड्यंत्रों के चलते ही पंजाब नशे की गिरफ्त में आया है और पंजाब में जवानी तबाह हो रही है। पंजाब में नशे की समस्या दशकों पुरानी है। इस समस्या के विकराल रूप लेने के कारणों में बेरोजगारी और कृषि क्षेत्र से युवाओं का मोहभंग होना भी शामिल है। पंजाब की सरकारों ने रोजगार के अवसरों को सृजित करने, सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाये।
दूसरी ओर पाकिस्तान की साजिशें लगातार जारी हैं। उसने तो पंजाब ही नहीं बल्कि समूचे भारत की युवा पीढ़ी को नशे की दलदल में धकेलने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले उसने पंजाब को आतंकवाद के काले दिनों में धकेला था। नशीले पदार्थों की तस्करी तो उसने पंजाब के अशांत दौर में शुरू कर दी थी। पाकिस्तान के हुक्मरान बदलते रहे लेकिन जिया-उल-हक, जिन्हें जिया जालंधरी के नाम से भी जाना जाता था, के शासनकाल में बनी भारत विरोधी विचारधारा आज तक नहीं बदली। जम्मू-कश्मीर और पंजाब में अघोषित युद्ध तो तब से ही झेला जा रहा है। पुराने समय में भी विद्रोह को भड़काने और युवाओं को सत्ता के विरुद्ध हथियार उठाने के लिये नशे का इस्तेमाल किया जाता रहा है और आज भी पाकिस्तान इसी हथियार का इस्तेमाल कर रहा है।  
भारत-पाकिस्तान व्यापार की आड़ में पाकिस्तान से आये ट्रकों में नमक की बोरियों में छिपाकर लाई गई नशीले पदार्थों की सबसे बड़ी खेप का पकड़ा जाना इस बात का प्रमाण है कि पाक में षड्यंत्र जारी हैं। अटारी बार्डर पर पकड़ी गई करोड़ों की ड्रग्स इस बात का भी प्रमाण है कि पंजाब में नशे का व्यापार किस कदर बढ़ चुका है। इस बार तो कस्टम अधिकारियों ने ड्रग्स पकड़ ली लेकिन इससे पहले भी किसी न किसी सामान में छिपाकर नशे की खेप भेजी जाती रही होगी। हेरोइन उत्पादन करने वाले ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान गोल्डन क्रेसेंट हैं। पाकिस्तान से पंजाब की समीपता ने समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। पंजाब तस्करी के लिये जाने वाले ऐसे रास्ते पर स्थित है जहां अफगानिस्तान से पड़ोसी पाकिस्तान के बरास्ते हेरोइन लाई जाती है और बाद में उसे बाजारों तक पहुंचाया जाता है।
गेहूं के कटोरे के रूप में विख्यात पंजाब आज नशीले पदार्थों के अंतिम गंतव्य के रूप में उभर कर सामने आया है। ड्रग सिंडीकेट और स्मगलर अफगानिस्तान से हेरोइन खरीदते हैं और फिर पंजाब के अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, फिरोजपुर और फािजल्का जिलों तक पड़ोसी राज्यों के कुछ जिलों के जरिए भारत में इसकी तस्करी करते हैं। यही कारण है कि पंजाब से सटे जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के शहरों में भी युवा पीढ़ी नशे की लत का शिकार हो चुकी है। सीमाओं की निगरानी रखने वाले सीमा सुरक्षा बल रोज ही सीमांत जिलों से नशीले पदार्थों की खेप पकड़ते हैं। पाक सीमा से भारतीय सीमा के भीतर तस्करों के लिये ड्रग्स के पैकेट फैंक कर, बिजली की तारों वाली कंटीली बाड़ के आर-पार प्लास्टिक की पाइपों के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी की जाती है।
पाकिस्तान और पंजाब के तस्कर समन्वित, संगठित और पेशेवर तरीके से काम को अंजाम दे रहे हैं। व्यापार की आड़ में ड्रग्स की तस्करी को पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों की खुली छूट है क्योंकि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान तस्करी की कमाई से ही अफगानिस्तान और कश्मीर के आतंकियों को धन और हथियार देते हैं। पंजाब में कैप्टन अमरिन्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने नशीले पदार्थों की समस्या से पंजाब को मुक्त करने का वायदा किया था लेकिन राज्य में कारोबार इतना व्यापक और गहरा है कि इस समस्या से मुक्त होने के लिये एक रोडमैप तैयार करना होगा। केवल नशीले पदार्थों की सप्लाई ढांचे को तोड़ने, उनकी जब्ती और छापेमारी से काम नहीं चलेगा। 
केवल नशा करने वाले युवाओं और पैडलरों को पकड़ने से काम नहीं चलेगा बल्कि उन बड़े लोगों पर हाथ डालने की जरूरत है, जिनके संरक्षण में यह धंधा पनपा है। इसी माह लोकसभा में बताया गया कि वर्ष 2017 में नशीले पदार्थाें की तस्करी के 47377 मामले सामने आये जिनमें साढ़े बारह हजार मामलों के साथ पंजाब सबसे आगे था। उसके बाद केरल और उत्तर प्रदेश का नम्बर आता था। इसमें कोई संदेह नहीं कि सुरक्षा बलों और पुलिस में कुछ लोगों की तस्करों से मिलीभगत के बिना नशीले पदार्थों का व्यापार इतना बढ़ ही नहीं सकता था। 
कुछ कस्टम अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों की संदिग्ध भूमिका पर भी अंगुलियां उठ रही हैं। सवाल तो राजनीतिज्ञों और पुलिस अफसरों पर उठते रहे हैं। सवाल सबके सामने है कि पंजाब के हालात कैसे सुधारे जायें। इसके लिये तो केन्द्र, राज्य सरकार और समाज को एकजुट होकर काम करना होगा अन्यथा हम पाक की साजिशों का शिकार होते रहेंगे।

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