अब जबकि आतंक के प्रमोटर जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तान हुकूमत ने गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे भेज दिया है तो इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वह कब तक जेल में रहेगा? मुंबई हमले के इस मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी टेरर फंडिंग को लेकर हुई है। पूरी दुनिया के लिए यह एक बड़ी खबर हो सकती है कि हाफिज को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इसके साथ ही यह भी सामने आ गया है कि उसकी गिरफ्तारी इमरान सरकार का सबसे बड़ा नाटक है, क्योंकि प्रधानमंत्री इमरान खान अमरीका के दौरे पर पहुंच चुके हैं।
इमरान खान अपने सबसे बड़े आका अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप को दिखाना चाहते हैं कि हम आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं। हमारा तो यह मानना है कि आतंक के मामले में पाकिस्तान दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अमरीका का सबसे बड़ा हथियार है जिसे जब चाहे भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। इस मामले में मोदी सरकार अलर्ट है पाकिस्तान और अमरीका की हर गतिविधि पर भारत की नजर है। सन् 2008 में 26 नवंबर को जब मुंबई अटैक हुआ था तो सब कुछ सामने आ गया था कि इस हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ही है।
पूरी दुनिया ने इस आतंकी के खिलाफ एक्शन के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाला था। आज अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप भी कह रहे हैं कि उस पर एक्शन के लिए हम पाकिस्तान पर दबाव बनाते रहे हैं, लेकिन हम हैरान इस बात पर हैं कि यह गिरफ्तारी इतने भारी दबाव के बावजूद 11 साल बाद हुई। कुल मिलाकर पाकिस्तान का आतंक प्रेम और उसकी नौटंकी साथ-साथ ही बेनकाब हुए हैं तभी तो मुंबई हमले के वकील उज्जवल निकम ने साफ कहा है कि पाकिस्तान का एक्शन महज ड्रामा है।
जमीनी हकीकत तो यह है कि अंतर्राष्ट्रीय फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने उस पर 6 अरब डालर का गोल्ड के अवैध खनन केस में जुर्माना लगा रखा है जो दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक दंड है। पाकिस्तान पर अब एक्शन टॉस्क फोर्स से ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है उसके अपने यहां सड़क से लेकर असेंबली तक, चपरासी से लेकर अफसर तक और हर आम से लेकर खास तक को रोटियों के लाले पड़े हुए हैं।
मोदी सरकार ने इमरान खान की नीति और नीयत दोनों खोलकर रख दी हैं, इसीलिए जब इमरान खान ने दो हफ्ते पहले अमरीका जाने का ऐलान किया तभी से विश्लेषण ने यह चैलेंज कर दिया था कि अब आतंक के प्रमोटर चाहे वह कोई भी हो उनकी गिरफ्तारी के नाटक वगैरह हो सकते हैं। इस गिरफ्तारी के होते ही अमरीकी रक्षामंत्री मार्क एसपर ने पाकिस्तान की पीठ ठोकनी शुरू कर दी। यह सच है कि पाकिस्तान के मामले में बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश, बराक ओबामा और अब ट्रंप सब के सब नाटककार हैं।
यह भारत का अंतर्राष्ट्रीय दबाव था और मोदी सरकार की जबरदस्त विदेश नीति कि उसने मसूद अजहर जैसे आतंकी को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कराया, परंतु लाख टके का सवाल यह है कि पाकिस्तान का आतंकियों से रिश्ता कब खत्म होगा? ढीठ पाकिस्तान कभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता और अब अमरीका यह कह रहा है कि पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ पग उठाने शुरू कर दिए हैं, परंतु यह भी तो सच है कि इन आतंकी संगठनों ने हमेशा भारत के खिलाफ ही काम किया है। खुद हाफिज सईद पहले से ग्लोबर टेरेरिस्ट है।
पाकिस्तान पर हमेशा आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन का दबाव रहा है, लेकिन ये एक्शन तब क्यों नहीं हुए जब मनमोहन सरकार से लेकर मोदी सरकार तक सैकड़ों बार मुंबई अटैक और अन्य आतंकी हमलों को लेकर उसे डोजियर दिए गए। ड्रामे के तौर पर कभी पाकिस्तान सरकार ने अमरीका को लिखे एक पत्र में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के 160 मदरसे, 32 स्कूल, कई अस्पताल और कॉलेज, एंबुलेंस और डिस्पेंसरी बंद करने के दावे किए थे।
हमारा सवाल यह है कि ये बंद हैं या नहीं, इन्हें चैक करने कौन से अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक जा रहे हैं? हमारा मानना है कि यह मोदी सरकार-1 और मौजूदा मोदी सरकार-2 की ही वर्किंग है कि पाकिस्तान की नकेल कसी जा रही है, लेकिन फिर भी हमें अमरीका और पाकिस्तान दोनों पर नजर रखनी होगी क्योंकि यह नूरा कुश्ती भी हो सकती है लेकिन यह बात सच है कि चाहे ये एक्शन चल रहे हैं लेकिन पूरी दुनिया के सामने खुद चीन को भी आतंक के मामले में भारत के साथ चलना पड़ा।