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राष्ट्र गौरव की सुरक्षा से खिलवाड़

कोई भी राजनीतिज्ञ जब देश का प्रधानमंत्री बनता है या राष्ट्रपति बनता है, वह पार्टी विशेष का न होकर देश का प्रधानमंत्री होती है, देश का राष्ट्रपति होता है।

कोई भी राजनीतिज्ञ जब देश का प्रधानमंत्री बनता है या राष्ट्रपति बनता है, वह पार्टी विशेष का न होकर देश का प्रधानमंत्री होती है, देश का राष्ट्रपति होता है। इनके सम्मान, गरिमा और सुरक्षा को बनाए रखने का दायित्व न केवल सुरक्षा एजैंसियों का है बल्कि राज्य सरकारों का भी है। इनकी गरिमा, प्रतिष्ठा को घात लगाने वाला कोई भी हथकंडा लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास रखने वालों को ठेस पहुंचाने वाला है। 
पंजाब को विकास की अनेक परियोजनाओं की सौगात देने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुरक्षा में भारी चूक के चलते फिरोजपुर रैली रदद् कर दिल्ली लौट गए। खराब मौसम के कारण बठिंडा एयरपोर्ट से पीएम का काफिला सड़क मार्ग से हुसैनीवाला स्थित शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के राष्ट्रीय शहीद स्मारक के​ लिए रवाना हुआ था। शहीद स्मारक से करीब 30 किलोमीटर दूर जब प्रधानमंत्री मोदी का काफिला फ्लाईओवर पर पहुंचा तो पता चला कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर रखी है। प्रधानमंत्री फ्लाईओवर पर लगभग 20 मिनट तक फंसे रहे, यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक हैै। अब इस मुद्दे पर जमकर​ ​सियासत हो रही है। नए-नए वीडियो सामने आ रहे हैं और नए  खुलासे हो रहे हैं। सुरक्षा में चूक इसलिए भी बड़ी है कि जिस जगह प्रधानमंत्री मोदी का काफिला रोका गया, वह हाइली सेंसेटिव जोन है। यहां से भारत-पाक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा महज 30 किलोमीटर दूर है और इस एरिया में लगातार टिफिन बम और अन्य विस्फोटक पदार्थ बरामद होते रहे हैं। सीमांत क्षेत्र के ​निकट बसे होने की वजह से फिरोजपुर पंजाब का बेहद संवेदनशील जिला है। लुधियाना और पठानकोट में हाल में हुए बम धमाकाें के बाद पूरा पंजाब हाईअलर्ट पर है। जिस जलालाबाद कस्बे में 15 सितम्बर, 2021 में ब्लास्ट हुआ, वह भी फिरोजपुर के नजदीक है और एनआईए की जांच से साफ हो चुका है कि वह आतंकी हमला था। जिसकी सुरक्षा को लेकर बहुत ज्यादा खतरा है, ऐसे में इस तरह की बंधक स्थिति में रहना, वह भी सिर्फ एक बुलेटप्रूफ कार के अन्दर बड़ी चूक है। हम पहले ही ऐसे देश में रहते हैं, जहां आतंकी संगठनों की गतिविधियां थोड़े-थोड़े समय के अंतराल के बाद सामने आती रहती हैं। हम पहले ही एक प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री को खो चुके हैं लेकिन हमने आज तक कोई सबक नहीं सीखा। प्रधानमंत्री के ​किसी भी दौरे में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसपीजी की टीम पहले ही जाती है। स्थानीय खुफिया अधिकारियों से ​मिलती है, कहां क्या व्यवस्था होनी चाहिए, क्या रूट होना चाहिए, ये सारा कुछ तय करती है। पुलिस आउटर सर्किल में सुरक्षा देती है और एसपीजी इनर सर्किल में। अब छन-छन कर आ रही खबरों से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ​फिरोजपुर पहुंचने का रूट लीक हो गया था। रूट का पता चलने से प्रदर्शनकारियों की भीड़ वहां पहुंच गई। बगल के गांव प्यारेआणा में लऊडस्पीकर से घोषणा कर भीड़ को बुलाया गया। वायरल वीडियो में प्रधानमंत्री के रूट पर तैनात पुलिसकर्मी भीड़ को हटाकर रास्ता खाली कराने की बजाय प्रदर्शनकारियों के साथ चाय की चुस्कियां लेते ​दिखाई दे रहे हैं। इससे पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं। एक रिपोर्ट यह भी आ रही है कि प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा से भाजपा कार्यकर्ताओं के आने की खबर से वहां पहुंचे थे। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुरक्षा चूक पर बठिंडा एयरपोर्ट पर अधिकारियों से यह कहकर नाराजगी जताई कि ‘‘अपने सीएम को थैैंक्स कहना क्योंकि मैं एयरपोर्ट पर जिन्दा पहुंच पाया।’’ यह सारी चूक प्रशासनिक स्तर पर हुई और कैसे हुई। पंजाब सरकार को इसकी तह तक जाना चाहिए। पंजाब पहले ही आतंकवाद की जमीन रह चुका है। भारत के लोगों को प्रधानमंत्री से मिलने का हक है, उनसे बातचीत का हक है लेकिन उनका रास्ता रोकने का दुस्साहस करना किसी अपराध से कम नहीं। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्र का गौरव हैं, उनके नेतृत्व में ही भारत की वैश्विक छवि एक मजबूत राष्ट्र की बनी हुई है। उनके मजबूत इरादों के चलते ही भारत ने पाकिस्तान पर स​र्जिकल स्ट्राइक कर पुलवामा हमले में जवानों की शहादत का बदला लेकर उसके होश ठिकाने लगा दिए थे। यह मोदी सरकार में ही सम्भव हुआ ​कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को एक ही झटके में खत्म कर​ दिया गया और वहां आतंकवाद से लड़ाई निर्णायक स्थिति में पहुंच गई है। चीन की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। सीमांत क्षेत्रों से लेकर पूर्वोत्तर भारत में ​विकास की बयार बहाई जा रही है। देशवासियों का भरोसा प्रधानमंत्री पर कायम है। ऐसी स्थिति में उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं ​किया जा सकता। 
यद्यपि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी सफाई दे दी है। पंजाब पुलिस का किसान आंदोलनकारियों के प्रति नरम रवैया समझ में आता है, मगर प्रधानमंत्री की सुरक्षा को ताक पर रखकर नरमी बरतना किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता। एसपीजी स्तर पर भी इस चूक पर आत्ममंथन करना होगा। राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके राज्य में प्रधानमंत्री या किसी अन्य राजनीतिज्ञों के रास्ता रोकने की प्रवृ​ति सीमाओं में रहे। अगर ढील बरती गई तो यह प्रवृति जोर पकड़ सकती है। लोकतंत्र में ऐसा स्वाभाविक है कि केन्द्र में एक पार्टी की सरकार हो और राज्य में किसी और पार्टी की लेकिन दलगत राजनी​ति को किनारे रखकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा से ​खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। अब गृहमंत्रालय और पंजाब सरकार इस मामले की जांच कर दो​षियों को दंडित करें और सुरक्षा व्यवस्था का पूरा प्लान नए सिरे से तैयार करें।

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