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महिला पहलवानों का दुखड़ा

देश की राजधानी के जन्तर-मन्तर पर धरने पर बैठीं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता महिला पहलवानों के आन्दोलन ने अब एक नया रूप ले लिया है जिसकी वजह से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें और गहरी हो सकती हैं।

देश की राजधानी के जन्तर-मन्तर पर धरने पर बैठीं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता महिला पहलवानों के आन्दोलन ने अब एक नया रूप ले लिया है जिसकी वजह से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें और गहरी हो सकती हैं। इसकी वजह राष्ट्रीय पहलवानों के दल के पिंडा चिकित्सक (फीजियोथैरेपिस्ट) रहे श्री परमजीत सिंह का वह बयान है जिसमें उन्होंने चश्मदीद गवाह के तौर पर 2014 में तीन नवोदित महिला पहलवानों की स्वयं पर होने वाले यौन उत्पीड़न का दुखड़ा उन्हें बताया था और उन्होंने तब उसकी शिकायत महिला पहलवानों की प्रशिक्षक (कोच) कुलदीप मलिक से की थी मगर तब उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में जन्तर-मन्तर पर ही पहुंचे परमजीत मलिक ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिये गये साक्षात्कार में 2014 की ही घटना का केवल खुलासा नहीं किया बल्कि यह भी बताया कि तीन महीने पहले भी पहलवानों द्वारा दिए धरने को समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से पूरे मामले की जांच करने के लिए जो निगरानी समिति प्रसिद्ध महिला मुक्केबाज मैरीकाॅम की अध्यक्षता में बनाई गई थी। उसके समक्ष भी उन्होंने इस घटना का विवरण बताया मगर उसका कोई खास संज्ञान नहीं लिया गया।
 श्री परमजीत के अनुसार 2014 में पहलवानों का राष्ट्रीय शिविर लखनऊ में लगा था और यह घटना उसी शिविर की है। श्री परमजीत के अनुसार लखनऊ शिविर के दौरान तीन या चार महिला पहलवानों को रात के दस बजे के बाद कुछ लोग गाड़ी से लेने के लिए आये थे। उनमें श्री बृजभूषण सिंह से जुड़े लोग थे जिनमें उनका ड्राइवर भी शामिल था। यह दृश्य ‘मैंने अपनी आंखों से देखा’। बाद में महिला पहलवानों ने खुद बताया कि उनके साथ क्या हो रहा है। महिला पहलवानों ने हमें बताया कि रात के समय बृजभूषण शरण सिंह से मिलने के लिए  उन पर दबाव बनाया जाता है। कम से कम तीन महिला पहलवानों ने अपनी वरिष्ठ महिला पहलवानों को इस बारे में बताया। श्री परमजीत का कहना है कि मैं उस वाकये का खुद गवाह हूं कि किस तरह ये महिला पहलवान रो-रोकर अपने साथ होने वाले व्यवहार का जिक्र कर रही थीं। परमजीत पहलवान गीता फोगट के निजी फीजियोथैरेपिस्ट थे। विनेश को विश्व महिला कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक मिल चुका है। इन नवोदित महिला पहलवानों ने अपी दुख भरी कहानी सभी वरिष्ठ पहलवानों के साथ मेरी पत्नी को भी सुनाई थी। श्री परमजीत के अनुसार जब उन्होंने इसकी शिकायत की तो उनसे शिविर छोड़ कर जाने के लिए कहा गया। परमजीत ने कहा कि कुछ लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि इसकी शिकायत अब इतने वर्षों बाद क्यों की जा रही है तो इसकी वजह यह है कि महिला पहलवानों को यह डर खाता रहता था कि यदि उन्होंने शिकायत की तो उनका पहलवानी का जीवन ही समाप्त कर दिया जायेगा। उन्हें धमकी मिलती रहती थी कि उनके नाम राष्ट्रीय शिविरों में भाग लेने वालों में से हटा दिये जायेंगे और चयन भी निष्पक्षता के साथ नहीं होगा। 
श्री परमजीत ने कहा कि 2014 की इस घटना का वृतान्त मैंने सरकारी निगरानी जांच समिति को भी बताया। समिति के समक्ष दो बार पेश हुए, एक बार व्यक्तिगत रूप से और दूसरी बार वीडियो कान्फ्रेंसिग के जरिये। वह जब यह घटना सुना रहे थे तो निगरानी समिति के सदस्य पहलवान योगेश्वर दत्त ने बार-बार टोका-टाकी करके उनसे सबूत पेश करने को कहा मगर अध्यक्ष मैरीकाॅम ने हस्तक्षेप करके उन्हें अपनी बात पूरी करने का अवसर दिया। श्री परमजीत मलिक के इस रहस्योद्घाटन के बाद अभी यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सांसद बृजभूषण शरण सिंह पूर्णतः दोषमुक्त हैं? क्योंकि वह दावा कर रहे हैं कि पहलवानों का उनके खिलाफ  आन्दोलन एक साजिश का नतीजा है और उन्हें फंसाने के लिए रचा गया है। इसके साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि सात महिला पहलवानों ने विगत सप्ताह ही दिल्ली पुलिस थाने में श्री सिंह के खिलाफ उत्पीड़न की नामजद शिकायत दर्ज कराई है। मगर उसे अभी तक प्राथमिकी या एफआईआर में नहीं बदला गया है जिसकी वजह से इन पहलवानों में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने आदेश दिया कि प्राथमिकी दर्ज की जाये परन्तु पुलिस ने इसके जवाब में न्यायालय को बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले मामले की प्रारम्भिक जांच जरूरी है। 
भारत के सजा जाब्ता कानून के समक्ष देश का हर नागरिक बराबर है। इस कानून के तहत बड़े से बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को भी छूट प्राप्त नहीं होती केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को छोड़ कर। भारतीय दंड संहिता न किसी के धर्म या मजहब को देखती है और न औहदे को। लेकिन यह भी जरूरी है कि किसी भी व्यक्ति के साथ केवल इसलिए अन्याय न हो कि वह ऊंचे औहदे पर हैं अतः पुलिस का ही यह कर्त्तव्य बनता है कि वह कानून का राज कायम करने के लिए पूरी निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करे।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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