राजस्थान के मुख्यमन्त्री श्री अशोक गहलोत ने राज्य विधानसभा के चुनावी वर्ष में अपनी सरकार का अंतिम बजट रखते हुए आज युवाओं, गरीबों, महिलाओं, किसानों व औसत किसान के लिए अपने खजाने का मुंह खोलते हुए विभिन्न कल्याणकारी स्कीमों व फैसलों की जानकारी दी। सबसे बड़ा फैसला उन्होंने गरीब वर्ग के लोगों को उज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर पांच सौ रु. में देने का किया जिससे इस समुदाय की महिलाओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। महिलाओं को उन्होंने राज्य परिवहन की बसों में सफर करने पर आधे किराये की छूट देने की घोषणा भी की। साथ ही छोटे किसानों को दो हजार यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का एलान भी किया। इसके साथ ही महिलाओं को सिलाई मशीन खरीदने के लिए पांच हजार रु. की मदद भी दी जायेगी। अब घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 100 यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी जबकि पहले यह 50 यूनिट थी। चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के तहत अब बीमा राशि दस लाख रु. से बढ़ाकर 25 लाख रु. कर दी गई है।
राज्य में भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने की समस्या का निवारण श्री गहलोत ने इस प्रकार किया है कि अब परीक्षार्थी को केवल एक बार ही पंजीकरण फीस देनी होगी चाहे उसे परीक्षा एकाधिक बार देनी पड़े। राज्य में उच्च शिक्षा को सस्ती बनाने के लिए गहलौत सरकार ने शोध करने वाली छात्राओं को तीस हजार रु. की धनराशि देने का प्रावधान भी किया है और युवा कोष विकास के लिए पांच सौ करोड़ रु. का प्रावधान किया है। कक्षा 12 तक प्रत्येक छात्र-छात्रा को मुफ्त शिक्षा देने का वादा भी गहलोत ने किया है और प्रत्येक छात्रा को बिजली चालित स्कूटी देने का भी वचन दिया गया है। अब छात्र 75 कि.मी. तक मुफ्त सफर भी कर सकेंगे। समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को पक्की सरकारी नौकरी देने का वादा भी उन्होंने किया है और प्रावधान किया है कि पक्के सफाई कर्मचारियों की तीस हजार भर्तियां होंगी।
गहलोत सरकार ने राज्य में नये मेडिकल व तकनीकी कालेज खोलने का भी वचन दिया है और बजट में वादा किया है कि जोधपुर में मारवाड़ मेडिकल विश्वविद्यालय की स्थापना की जायेगी व जयपुर मंे बायोटेक्नोलोजी कालेज खोला जायेगा। इनके अलावा दो और मेडिकल कालेज खोले जायेंगे। इन घोषणाओं से स्पष्ट है कि श्री गहलोत चुनावी वर्ष में हर समुदाय वर्ग को प्रसन्न करना चाहते हैं। मगर उनकी इन घोषणाओं के पीछे बहुत सोची –समझी रणनीति भी है जो कि गरीबों को मदद करने व युवा वर्ग की पढ़ाई का आर्थिक बोझ कम करने की है। इस रणनीति का स्वागत राज्य के लोग किस प्रकार करेंगे यह तो आने वाला समय ही बतायेगा मगर इतना निश्चित है कि राज्य की 48 प्रतिशत महिलाओं की आबादी उनकी बजट घोषणाओं से सबसे ज्यादा प्रसन्न है। राजस्थान देश के गिने –चुने राज्यों में है जिसकी विकास दर 11 प्रतिशत से ऊपर है। मगर इसके बावजूद इसके वित्तीय साधन सीमित ही हैं। जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद से राज्यों के आय स्रोत ही न केवल नियन्त्रित हुए हैं बल्कि इनकी स्वयं राजस्व एकत्र करने की शक्ति भी बहुत क्षीण हो गई है। देखने वाली बात केवल यह है कि भारत के विभिन्न राज्य इस व्यवस्था में किस प्रकार अपना चहुंमुखी विकास करने में समर्थ हो पाते हैं। क्योंकि राज्यों के पास केवल पेट्रोल व मदिरा ही ऐसे दो मुख्य उत्पाद बचे हैं जिन पर ये मनमाना शुल्क लगा सकते हैं। यह भी देखने वाली बात होगी कि श्री गहलोत इन रियायतों का समायोजन राज्य बजट में किस प्रकार करते हैं जिससे राजस्व घाटा न बढ़ सके। वह पहले ही राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर चुके हैं।
इसी मद में सरकार को भारी खर्च करना पड़ेगा। जबकि केन्द्र से उनके राज्य के हिस्से की धनराशि अभी तक पूरी नहीं आयी है। मगर श्री गहलोत को राजनीति का जादूगर भी कहा जाता है। उनके समक्ष फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती आगामी दिसम्बर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव जीत कर पुनः कांग्रेस की सरकार बनवाना है। इस मोर्चे पर भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हैं क्योंकि एक तरफ उन्हें भाजपा से लड़ना है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के भीतर ही सचिन पायलट गुट से भी लड़ना है। हालांकि यह लड़ाई खुले रूप से नहीं लड़ी जायेगी। संभवतः इस बजट के माध्यम से श्री गहलोत एक तीर से कई शिकार करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। एक तरफ उन्होंने युवाओं को सशक्त बनाने की नीति चलाई है तो दूसरी तरफ महिला वर्ग को सन्तुष्ट करने का प्रयास किया है और साथ ही किसान व गरीब वर्ग के लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की जुगत भिड़ाई है। इसे देखकर कहा जा सकता है कि श्री गहलौत ने दिसम्बर की चुनावी लड़ाई को बहुत पेंचदार और घुमावदार बना दिया है और फिलहाल अपने सभी आलोचकों को चुप करा दिया है।