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कट्टरपंथ : खेमों में बंटी दुनिया

आज पूरी दुनिया को कट्टरपंथ से खतरा है और यह कट्टरपंथ इस्लामी आतंकवाद से उभरा है। खतरा केवल चंद देशों को नहीं ब​ल्कि इस आतंकवाद की चपेट में धीरे-धीरे वह देश भी आते जा रहे हैं,

आज पूरी दुनिया को कट्टरपंथ से खतरा है और यह कट्टरपंथ इस्लामी आतंकवाद से उभरा है। खतरा केवल चंद देशों को नहीं ब​ल्कि इस आतंकवाद की चपेट में धीरे-धीरे वह देश भी आते जा रहे हैं, जो इस्लाम के अनुयायी नहीं। हमारी लड़ाई उस कट्टरपंथी विचारधारा से है जो कैंसर की तरह फैल चुकी है। हमारी लड़ाई उस अवधारणा से है जो केवल स्वयं को ठीक समझती है और बाकी सब को गलत मानती है। धर्म के नाम पर पाखंड खड़ा करने वाले यह लोग न जाने किस मिट्टी के बने हैं कि उनके मुंह से शांति और प्रेम के स्वर कभी नहीं सुनाई देते। हर एक मर्ज का एक ही इलाज है गोली और बम। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन के 21वें शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान के हालात का जिक्र करते हुए कहा है कि कट्टरपंथ क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा है। ​जिसके लिए एससीओ देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में चेताया कि कट्टरपंथ के चलते युवाओं को तकनीकी विकास का लाभ नहीं मिल रहा और क्षेत्र के आर्थिक संसाधनों का दोहन नहीं हो रहा। प्रधानमंत्री ने प्रतीकों के जरिये पाक और चीन को चेताया कि देर-सवेर कट्टरपंथ उसके लिए खतरा बन सकता है। 
अफगानिस्तान में तालिबान की वापिसी के बाद अन्य इस्लामिक देशों में सख्त शरिया कानून लागू करने की मांग जोर पकड़ेगी और पाकिस्तान में भी बहावी इस्लाम का खतरा बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चाइना-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और इससे जुड़ी विसंगतियों की और भी इशारा किया। उन्होंने साफ कहा कि कनैक्टिविटी एक तरफा नहीं हो सकती और इसके ​लिए भरोसे, भागीदारी और पारदर्शिता की जरूरत है, साथ ही क्षेत्र के देशों की संप्रभुत्ता का भी सम्मान किया जाना चाहिए।
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान और चीन अफगानिस्तान में तालिबान को खुलकर मदद कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद कम ही है ​कि शंघाई सहयोग संगठन कट्टरपंथ के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने को तैयार होगा। अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और कुछ राष्ट्रों का एक गठजोड़ उभर रहा है। दूसरी तरफ दुनिया में नए-नए समीकरण बन रहे हैं। मौजूदा स्थितियों को देखते हुए कहा जा रहा है कि दुनिया एक और शीतयुद्ध की तरफ बढ़ रही है और पूरी दुनिया दो खेमों में बंट जाएगी। जब सोवियत संघ काफी शक्तिशाली बन चुका था तो अमेरिका ने उसे रोकने के लिए कई तरह के उपाय किये थे। उसी ने ही उत्तरी एटलांटिक संधि संगठन (नाटो) जैसा सामरिक गठबंधन बनाया था।
दूसरी ओर सोवियत संघ ने भी कम्युनिस्ट देशों को लेकर अलग-अलग सामरिक संगठन बनाया था। इसी तरह समानांतर आर्थिक संगठन भी बने। अब चीन की दादागिरी पर अंकुश लगाने के लिए आस्ट्रेलिया, यूके और अमेरिका ने ऑक्स समझौता किया है। ऑक्स से चीन का चिंतित होना स्वाभाविक है, क्योंकि उसकी घेराबंदी के लिए ही यह सब किया जा रहा है। इस समझौते के तहत आस्ट्रेलियाई नौसेना को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां मिलेंगी। इन पनडुब्बियों के मिलने के साथ ही आस्ट्रेलिया दुनिया के उन सात देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जिनके पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां होंगी। ये पनडुब्बियां पारम्परिक रूप से संचालित पनडुब्बियों से ज्यादा तेज हैं और इनका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। ये महीनों तक पानी में डूबी रह सकती हैं और मिसाइलों से मार कर सकती हैं। हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदम भारत के लिए भी चुनौती बना हुआ है। अब सवाल यह है कि चीन की घेराबंदी के लिए चार देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत और जापान का क्वाड समूह यानी पहले से ही स्थापित है तो फिर अमेरिका और ब्रिटेन को ऑक्स की क्या जरूरत थी। सामरिक विशेषज्ञ ऑक्स को एक सैन्य गठबंधन मानते हैं, जिसमें अब आस्ट्रेलिया भी जुड़ गया है। अमेरिका की दिलचस्पी दक्षिण चीन सागर के विवादों में दूसरों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की है। वह जापान और आस्ट्रेलिया को आगे कर रहा है।
कुल मिलाकर अमेरिका ने एक नया संगठन बना लिया है। जहां तक कट्टरपंथ का मुकाबला करने की बात है 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका पर अब तक का चरमपंथी हमला हुआ था। इसके बाद अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बेदखल किया और इराक में सद्दाम हुसैन का शासन खत्म किया, लेकिन वह चरमपंथ  पूरी तरह खत्म करने में सफल नहीं हो सका। 20 वर्ष अफगानिस्तान में अपनी सेना रखने के बाद भी हालात नहीं बदले। क्योंकि आतंकवाद के विरुद्ध उसने उस पाकिस्तान को मित्र बनाया हुआ था जो स्वयं आतंक की खेती करता है। अगर कट्टरपंथ की विचारधारा से निपटना है तो पूरे ​विश्व को एकजुट होना होगा। अन्यथा दुनिया की तस्वीर बदरंग हो जाएगी। अगर दुनिया नहीं जागी तो हम मिट जाएंगे। सबका शत्रु है जिहादी आतंकवाद। प्रधानमंत्री ने यही चेताया है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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