इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वर्किंग स्टाइल न केवल सबसे अलग बल्कि राष्ट्र हितों से भी जुड़ा है। तभी तो वह आतंकवाद जैसी समस्या को लेकर दुनियाभर में पाकिस्तान को बेनकाब करने का काम करते रहे। इसका परिणाम हमें उस वक्त मिला जब श्री मोदी ने हाल ही की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से अपनी ऐतिहासिक मुलाकात से पहले पाकिस्तान की गोद में बैठे आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन को ग्लोबल आतंकवादी घोषित करवाया। इतना ही नहीं ट्रंप ने साफ कहा कि पूरी दुनिया में स्थायित्व, समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देना है तो भारत के साथ चलना होगा। हम इन बातों को अगर एक सैकंड के लिए यहीं छोड़ दें और विपक्ष से यह पूछें कि किसी देश के विकास के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है? यह प्रश्न हमने इसलिए रखा है क्योंकि श्री मोदी की विदेश यात्राओं को लेकर अक्सर विपक्ष तीखी प्रतिक्रियाएं देता रहा, परन्तु श्री मोदी इस आलोचना से विचलित हुए बगैर अपना काम करते जा रहे हैं।
अब विपक्ष को हमारा जवाब यह है कि श्री मोदी की पिछली अमेरिकी यात्राओं से लेकर ट्रंप की मुलाकात तक आप परिणाम देखिये। कल तक आतंकवाद के खात्मे की जरूरत पर अगर अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर जोर दिया गया था तो आज इसे निभाया जा रहा है। आतंकवादी सलाहुद्दीन की हेकड़ी निकालना और पाकिस्तान को काबू करना जरूरी था। यूएनओ के अलावा दुनिया की बड़ी ताकतें अगर आतंक खात्मे की बात कर रही हैं तो वह गलत नहीं है। समय की मांग भी यही है। कश्मीर घाटी में आतंकवाद को लेकर पूरा देश ङ्क्षचतित है लेकिन मोदी ने इस मामले में आतंकवाद के प्रमोटर को काबू किया है। पाकिस्तान अब सारी दुनिया में अलग-थलग पड़ रहा है और जिस प्रकार ट्रंप ने अफगानिस्तान में लोकतंत्र की बहाली के लिए मोदी से उम्मीदें लगाई हैं तो यह इस दिशा में एक नया अध्याय हो सकता है। हमारा मानना है कि मोदी जब दुनिया के दौरे करते हैं तो उनका एक ही मकसद होता है कि भारत के रिश्ते हर देश के साथ मजबूत हों। इससे अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ-साथ हमारी सुरक्षा और समृद्धि भी सही दिशा में रहेगी। ट्रंप और मोदी मुलाकात से पाकिस्तान तिलमिला उठा है। तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
जिस देश की अर्थव्यवस्था अभी तक बाबा आदम के जमाने की हो उस पाकिस्तान को आप प्यार से समझा भी नहीं सकते। श्री मोदी ने पड़ोसी के ‘शरीफ प्रधानमंत्री’ को बड़ा समझाया और वह कश्मीर को लेकर अपनी कारगुजारियों से अभी तक बाज नहीं आ रहा। अब जबकि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन ले लिया गया है तो आगे बहुत कुछ होगा। चीन को भी तकलीफ है। इसका भी जवाब समय आने पर उसको मिल जाएगा। ट्रंप या अमेरिका से हमारे रिश्तों की मजबूती इन दोनों मुल्कों को परेशान कर रही है। तभी तो चीन ने बौखलाकर सिक्किम में हमारे खिलाफ नया मोर्चा खोलने की कोशिश की। अपने क्षेत्र नाथूला से होकर गुजरने वाली मानसरोवर यात्रा को चीन द्वारा रद्द करना उसकी हताशा को दर्शाता है लेकिन यहां रक्षा मंत्री का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे श्री जेतली ने ड्रैगन को करारा जवाब दिया है और कहा है कि 1962 और आज 2017 के भारत में बहुत कुछ बदल चुका है।
हमारा यह मानना है कि मोदी ने अगर जलवायु परिवर्तन से जुड़े पेरिस समझौते और एच-1बी वीजा को लेकर अमेरिकी तल्खी से किनारा करते हुए केवल आपसी रिश्तों की मजबूती पर बल दिया है तो यह मोदी की दूरदर्शिता है। उन्होंने अमेरिका का दिल ट्रंप से मुलाकात के दौरान यह कहकर जीता कि भारत का नया निर्माण करना है तो अमेरिका को महान बनाएं। यह हमारे सहयोग के नए रास्ते खोलेगा। मोदी का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग अंदाज है। देश के विकास और सामरिक हितों के लिए आपको बड़े राष्ट्रों का ध्यान रखना ही पड़ता है। मोदी तो सर्वशक्तिमान राष्ट्रों के अलावा छोटे राष्ट्रों से भी रिश्ते बना रहे हैं। एशिया में मोदी एक नए केन्द्र बिन्दु के रूप में उभर रहे हैं तो पूरी दुनिया के नक्शे पर अगर भारत की आज की तारीख में शान है तो मोदी की कत्र्तव्य परायणता और देशभक्ति को हम भुला नहीं सकते।
हमारी विदेश नीति के दम पर भारत आज की तारीख में सबके लिए आकर्षण का केन्द्र है। विदेशों में बैठे हर भारतीय का सीना 56 इंच का उस समय हो जाता है जब मोदी उनके बीच होते हैं। आखिर में यही कहना होगा कि भारत अब दुनिया के नक्शे पर अगर अपनी आन-बान-शान बढ़ा रहा है तो वह लोगों की उम्मीदों पर खरे उतर रहे हैं। देश में राष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ हो रहा है उनकी सरकार सही दिशा में है और वक्त आने पर छोटी-मोटी समस्याएं (जो चलती रहती हैं) भी दूर हो जाएंगी। लिहाजा मोदी की आलोचना करने वालों को राष्ट्र हित समझ लेना चाहिए।