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आसान नहीं भगौड़े अपराधियों की वापसी

आज तक 66 मामलों में 51 फरार और घोषित अपराधी विदेश भाग चुके हैं। आर्थिक अपराध के देश से भागने वाले यह लोग सरकार को 17,900 करोड़ का चूना लगा चुके हैं।

आज तक 66 मामलों में 51 फरार और घोषित अपराधी विदेश भाग चुके हैं। आर्थिक अपराध के देश से भागने वाले यह लोग सरकार को 17,900 करोड़ का चूना लगा चुके हैं। देश की शीर्ष जांच एजैंसी फरार अपराधियों के प्रत्यर्पण अनुरोधों पर काम कर रही है। केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड, सीमा शुल्क विभाग और प्रवर्तन निदेशालय भी अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। किसी भी सरकार के लिए किसी अन्य देश से अपराधी का प्रत्यर्पण करवाना बहुत कठिन होता है। जिस देश में जाकर अपराधी शरण लेने का प्रयास करते हैं, वहां उस देश के कानून लागू होते हैं। वहां की सरकार या अदालतें उसके प्रत्यर्पण का फैसला नहीं करतीं, उसे भारत वापिस लाना मुश्किल है। यद्यपि विजय माल्या, नीरव मोदी को भारत वापिस लाने की उम्मीद बंधी है लेकिन भगौड़े अपराधी अपने लिए अनेक रास्ते ढूंढ लेते हैं। यद्यपि भारत सरकार को कुछ गैंगस्टरों और अपराधियों को वापिस लाने में सफलता मिली है लेकिन आर्थिक अपरा​धी इतने शातिर हैं कि वह कोई न कोई हथकंडा अपना लेते हैं।
इसी कड़ी में भगौड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी के एंटीगुआ और बरबुडा से भी लापता होने की खबर है। चौकसी के वकील ने भी हीरा व्यापारी के गायब होने की पुष्टि की है। फिलहाल एंटीगुआ पुलिस मामले की जांच कर रही है। मेहुल चौकसी के लापता होने की खबर के बाद सीबीआई भी हरकत में आई है और वह डिप्लोमेटिक चैनल और इंटरपोल के जरिये मेहुल चौकसी की लोकेशन ट्रेप करने की कोशिश कर रही है। मेहुल चौकसी नीरव मोदी का मामला है जो 13 हजार करोड़ की धोखाधड़ी कर विदेश भाग गया था। वह लंदन में मुकदमे का सामना कर रहा है। सीबीआई जांच शुरू होने से पहले ही नीरव मोदी और मेहुल चौकसी देश से भाग गए थे। भारत के दबाव के बाद एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउन ने 2019 में चौकसी की नागरिकता रद्द करने का फैसला किया था लेकिन उन्होंने साथ यह भी जोड़ा था कि क्योंकि उनके देश में शरण कानून लागू है, इसलिए मामला न्यायपालिका के समक्ष है, जब तक याचिकाएं निपट नहीं जातीं, हम कुछ नहीं कर सकते।
भारत में 2018 में भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था। उस विधेयक के तहत ऐसे आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कई सख्त प्रावधान किए गए जो मुकदमों से बचने के लिए देश छोड़कर भाग जाते हैं। इस विधेयक में भगौड़ों के तमाम नागरिक अधिकार निलम्बित करने का प्रावधान किया गया। अगर अपराधी ने एक निश्चित रकम से ज्यादा की धोखाधड़ी की है तो ​फिर उसकी सम्पत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है लेकिन अगर आरो​पी मुकदमे की सुनवाई के ​लिए वापिस लौट आता है तो फिर उसके खिलाफ शुरू की गई ये कार्रवाइयां वापिस ले ली जाएंगी और कानून के अनुसार सुनवाई होगी। यह विधेयक किस पृष्ठभूमि में पास हुआ, उसे समझना मुश्किल नहीं है। बैंकों को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाकर देश से भागने वाले विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य भगौड़े लम्बे अरसे से देश में बहस का मुद्दा बने हुए थे। साथ ही ये लोग देश की आपराधिक न्याय प्रक्रिया के लिए एक चुनौती भी बन चुके थे। 
असली सवाल यह है कि यह कानून अपने घोषित मकसद में कितना सफल हो पाया। इस कानून के दो मकसद हैं- पहला भगौड़े आर्थिक अपराधियों को देश में वापिस लाना, दूसरा आर्थिक अपराध के खिलाफ लोगाें में डर पैदा करना। आर्थिक अपराधियों को वापिस लाने की प्रक्रिया काफी लम्बी और जटिल है। भगौड़े आर्थिक अपराधियों के लिए पहले कालाधन सुरक्षित रखने के लिए अमेरिका, लंदन और स्विट्जरलैंड के बैंक काफी कुख्यात रहे लेकिन वैश्विक अर्थ तंत्र में परिवर्तनों के चलते कई छोटे-छोटे देश टैक्स हैवन बन गए। कई ऐसे देश हैं जिनका नाम भी सुनने को नहीं मिलता लेकिन वह भी आर्थिक अपराधियों के लिए स्वर्ग बन गए हैं। विदेश भागे अपराधी देश में मौजूद अपनी सम्पत्ति जब्त होने की कोई खास परवाह नहीं करते। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और अन्य की करोड़ों की सम्पत्तियां जब्त की गईं लेकिन अपरा​धियों को कोई चिंता ही नहीं रही। इस बात को अन्तर्राष्ट्रीय पूंजीवाद और वित्तीय तंत्र के हवाले से आसानी से समझा जा सकता है। दरअसल बड़ी रकम के हेरफेर में अक्सर बैंक का कर्ज जानबूझ कर नहीं चुकाया जाता, दरअसल ज्यादातर ऐसा वहां होता है जहां कर्ज उसके मुकाबले काफी कम मूल्य की किसी सम्पत्ति पर उठाया जाता है। आज कम्पनियां और अरबपति जटिल अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन करते हैं। भारत से ऋण लेकर विदेश में व्यापार और सम्पत्ति बना लेते हैं या फिर ऋण का काफी हिस्सा किसी दूसरे देश में स्थानांतरित कर देते हैं। भारत में जितने भी बैंक घोटाले हुए वह बैंक के शीर्ष अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की सांठगांठ से हुए। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार का तंत्र ऐसा फैला हुआ है जिसे भेद पाना मुश्किल है। विजय माल्या का उदाहरण हमारे सामने है। कभी शराब किंग, किंग फिशर एयर लाइन्स के मालिक तो कभी विधायक, मंत्री तो कभी सांसद बने माल्या किस तरह ऋण लेकर घी पीते रहे हैं। उसकी एय्याशियों के किस्से काफी चर्चित रहे। 62 वर्ष की उम्र में भी शादी रचाने वाले माल्या के सभी खेल उजागर होने पर भी भारतीय एजैंसियां नींद से नहीं जागी और वह विदेश भाग गया था।
अब कहा नहीं जा सकता कि मेहुल चौकसी क्यूबा भागा है या किसी अन्य देश में। यद्यपि भारत रवि पुजारी और कुछ अन्य को वापिस लाने में सफल रहा लेकिन कई अन्य के मामले में भारत को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। किसी भी तरह के अपराधियों को दंडित करने के लिए पूरी दुनिया को एक-दूसरे से तालमेल बनाना चाहिए लेकिन फिलहाल ऐसा मुश्किल लग रहा है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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