यह सच है कि कश्मीर भारत का था, है और रहेगा। कश्मीर में पूरे देश की उम्मीदों पर जिस प्रकार खरा उतरने के लिए भाजपा सरकार ने अपनी कर्त्तव्यपरायणता निभाते हुए जिस प्रकार से आर्टिकल 370 को खत्म किया वह सचमुच प्रशंसनीय है, इस मामले में पूरे देश का विश्वास इस सरकार के प्रति दुगना हुआ है। सबसे ज्यादा तकलीफ अगर किसी को हुई है तो वह पाकिस्तान ही है, हालांकि देश के कुछ नेताओं को भी उनकी सियासत के चलते मोदी सरकार की ईमानदारी का कारण रास नहीं आया। इसलिए वे चिल्ला भी रहे हैं।
पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, एनएसए अजित डोभाल और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस मामले में बधाई के पात्र हैं लेकिन सबसे बड़ा बयान हमारे नए विदेश मंत्री जयशंकर जी ने दिया। जब उन्होंने यह कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर अर्थात पीओके भी हमारा है और एक दिन इसे हम वापस लेकर रहेंगे। उनके इस बयान से पूरे पाकिस्तान में खलबली मच गई है। खुद प्रधानमंत्री इमरान खान इस वक्त मारा-मारा फिर रहा है। उन्होंने पीओके में जिस तरह से रैली की और जिस तरह यह रैली फ्लाप हुई तो हर कोई समझ गया है कि पाकिस्तान को जंग के मैदान और सियासत के धरातल पर भारत ने जिस तरह से पहले भी मारा और भविष्य में भी इसी तरह से मारते रहेंगे।
सच बात तो यह है कि पीओके को लेकर सरकारों ने आज तक इतना बढ़-चढ़कर कभी बयान नहीं दिया। हालांकि धारा 370 को लेकर भाजपा सरकार ने और विशेष रूप से मोदी जी ने यह संकल्प जरूर दोहराया था कि पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियां देश में ज्यादा देर नहीं चलने दी जाएंगी। श्रीमती सुषमा स्वराज जब विदेश मंत्री थी तो वह वही आवाज बुलंद करती थी जिसमें मोदी जी का पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को लेकर बेनकाब करने का आह्वान होता था। आज जयशंकर जी के तेवर देखने के बाद सुषमा जी की याद आ रही है।
एक बात पक्की है कि जयशंकर जी ने अपनी विदेश मंत्री की पारी वहीं से शुरू की है जहां से श्रीमती सुषमा स्वराज जी ने छोड़ी थी। पाकिस्तान को दुनिया के हर मंच पर शिकस्त देने के बाद अब वक्त आ गया है कि पीओके भी वापस लिया जाए। यकीनन यह बात हमारे लोकप्रिय पीएम मोदी जी के रणनीति का हिस्सा है तभी तो जयशंकर जी ने अपनी सरकार के 100 दिन की उपलब्धियों में 370 को शामिल करते हुए डटकर कहा कि हमारा अगला तारगेट पीओके है। देश और दुनिया जानती है कि आतंकवाद को फैलाने में पूरे देश और दुनिया में पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब हो चुका है। जिस कश्मीर को लेकर पाकिस्तान सबसे ज्यादा शोर मचाता था।
उसी कश्मीर को लेकर पूरी दुनिया के सामने उसे मुंह की खानी पड़ी है। इसलिए आज पाकिस्तान बौखलाहट में ऐसे काम कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर दो पड़ोसी देशों के रिश्तों के प्रोटोकोल को तोड़ रहा है। हमारे राष्ट्रपति कोविंद जी या फिर प्रधानमंत्री मोदी जी की हवाई यात्रा के दौरान आसमान से एयरस्पेस न देना यह बौखलाहट नहीं तो आैर क्या है। भारत के खिलाफ नफरत का जहरीला बीज उसके दिलोदिमाग में ऐसा बैठा है कि वह अब जहर भरे फल दे रहा लेकिन इमरान के कई मंत्री उसे कोस रहे हैं, बड़े-बड़े विद्वान उसे कोस रहे हैं लेकिन यह ढीठ मानता ही नहीं। हमारी सेना के जितने भी चीफ रहे हैं और हमारे एनएसए अजित डोभाल तक का जो कुछ फीडबैक सैन्य स्तर पर मिला उससे यही सिद्ध होता है कि पीओके में चल रहे आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने में भारतीय फौजों को पांच मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगेगा।
उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का प्रणाम पाकिस्तान देख चुका है। इसलिए जयशंकर जी ने जमीनी तौर पर अपना काम कर लेने के बाद यह बड़ा ऐलान किया है जिसमें पीओके को फोकस किया गया। बहुत जल्द देशवासी अब पीओके पर होने वाली कार्रवाई का इसलिए भी इंतजार कर रहे हैं कि हमारे जवानों ने बार्डर पर अपनी शहादत दी है। आतंकियों और घुसपैठियों की कायराना फायरिंग में हमारे जम्मू-कश्मीर के जवान, पुलिस और सीआरपीएफ के अलावा बीएसएफ के जवानों ने भी शहादत दी है।
पुलवामा का जवाब भी पाकिस्तान को तुरन्त दिया गया। हम पाकिस्तान के लिए दुश्मनी नहीं रखते लेकिन अगर वो दुश्मनी के इरादे से कुछ भी करेगा तो हर बार की तरह उसे करारा जवाब मिलेगा। हमने सब कुछ सोच लिया है कि क्या करना है। जयशंकर जी ने घोषणा कर दी है, बस अब देखना यह है कि पीओके भी भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत का हिस्सा बन जाए। मौका और दस्तूर दोनों सामने हैं। विदेश मंत्री जयशंकर जी ने सही कहा है और हम भी यह कह रहे हैं कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मारने का सही समय हमारे सामने है।