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नेपाल में मौत के रनवे

नेपाल में हुई विमान दुर्घटना में पलभर में 5 भारतीयों समेत 72 जिंदगियों का अंत हो गया। मारे गए 5 भारतीयों में 4 उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले थे और काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने गए थे।

नेपाल में हुई विमान दुर्घटना में पलभर में 5 भारतीयों समेत 72 जिंदगियों का अंत हो गया। मारे गए 5 भारतीयों में 4 उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले थे और काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने गए थे। पांचवां मृतक संजय जायसवाल बिहार का रहने वाला बताया जाता है और हादसे से कुछ पल पहले वह फेसबुक पर लाइव था। इस विमान हादसे को लेकर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। एक सवाल तो यह है कि क्या पोखरा हवाई अड्डे का उद्घाटन का काम पूरा होने से पहले ही कर दिया गया था। इस हवाई अड्डे का निर्माण चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत सीएएमसी कम्पनी द्वारा किया जा रहा था। नववर्ष के पहले दिन ही नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ दहल ने किया ​था, हालांकि विमान उड़ाने वाले पायलटों की क्षमता को लेकर भी संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। इस एयरपोर्ट का उद्घाटन जल्दबाजी में करने और इसके खतरों को ध्यान में नहीं रखने के आरोप खुलेआम लगाए जा रहे हैं, साथ ही एक तथ्य यह भी है कि पोखरा एयरपोर्ट काफी खतरनाक जगह पर बनाया गया है। इसका रनवे काफी छोटा है। इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस एयरपोर्ट को कर्ज लेकर बनाया गया या अनुदान के पैसों से बनाया गया है। यद्यपि नेपाल सरकार इस हादसे को तकनीकी गड़बड़ी बता रही है लेकिन आम लोग इसे लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं।
नेपाल में विमान के दुर्घटना ग्रस्त होने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। इसमें सबसे प्रमुख है ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके। यह विमान के लिए खतरा बढ़ाने का काम करते हैं। नेपाल में हवाई पट्टियां पर्वतीय क्षेत्रों में हैं। यहां अचानक से मौसम बदलता है, जो विमान के खतरे को बढ़ाने का काम करता है। नए विमानों के लिए बुनियादी ढांचे और उस क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए निवेश की कमी भी एक अहम वजह है। नेपाल में पर्याप्त प्रशिक्षित एविएशन स्टाफ की भी कमी है। इसके अलावा विमान सेवा को चलाने के ​िलए जितने स्टाफ की जरूरत है, उतना स्टाफ भी नहीं है, इससे सीधे तौर पर एविएशन सैक्टर पर असर पड़ रहा है। यूरोपीय संघ ने साल 2013 में सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए नेपाल की सभी एयरलाइंस को अपने हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यहां के खराब एविएशन रिकार्ड को देखते हुए यूरोपीय कमीशन ने नेपाली एयरलाइंस पर 28 देशों के उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगाया था। पिछले साल मार्च के महीने में स्थानीय अखबार काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया कि नेपाल सरकार की विफलता के कारण यहां के विमान यूरोपीय संघ की विमानन ब्लैकलिस्ट से बाहर नहीं निकल पा रहे। पिछला रिकाॅर्ड देखें तो नेपाल में सबसे घातक विमान दुर्घटनाएं काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई हैं, जो समुद्र तल से 1,338 मीटर ऊपर है। यह इलाका खासतौर पर जोखिमभरा है क्योंकि यह एक संकीर्ण अंडाकार आकार की घाटी ​में स्थित है। इसके साथ ही ऊंचे और नुकीले पहाड़ों से घिरा हुआ है।
इससे साफ है कि यह हिस्सा उड़ान के लिए वो छूट नहीं देता जितनी चाहिए होती है। अधिकांश पायलटों का कहना है कि खड़ी और संकरी हवाई पट्टी होने के कारण विमान को नेवीगेट करना मुश्किल होता है। यहां छोटे विमानों को लाया जा सकता है लेकिन बड़े जेट लाइनर्स को नहीं। पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण को लेकर यह गलतियां दोहराई गई आैर यति एयरलाइंस का विमान लैंडिंग से 10 मिनट पहले क्रैश हो गया। दुुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट नेपाल में ही स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 9 किलोमीटर है, इतना ही नहीं दुु​निया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में आठ नेपाल में पड़ती हैं। इनकी वजह से हवाई आॅपरेशन में कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दुनिया का सबसे खतरनाक एयरपोर्ट में से एक लुकला एयरपोर्ट नेपाल में स्थित है। इस एयरपोर्ट के रनवे को पहाड़ों के बीच चट्टान काट कर बनाया गया है, जहां विमान को सुरक्षित उतारना किसी जंग से कम नहीं है। ठंड के दिनों में नेपाल में मौसम ज्यादातर खराब रहता है। घने कोहरे और धुंध के चलते रनवे नजर ही नहीं आते। नेपाल की प्राकृतिक बनावट भी हादसों के लिए जिम्मेदार है। 
नेपाल में बढ़ते हादसों की एक वजह तकनीकी कमी खासकर रेडार तकनीक का उन्नत न होना भी है। इसकी वजह से पायलटों को पहाड़ी इलाकों में चीजों का अंदाजा लगाना बहुत कठिन होता है। आखिर ऐसा कौन सा कारण रहा जिस कारण 72 लोगों की उड़ान अंतिम उड़ान साबित हुई। हादसे में विदेशी नागरिकों के अलावा नेपाल की जानी-मानी लोक गायिका नोरा छन्तयाल का भी निधन हो गया। महीनाभर पहले ही नोरा ने यूट्यूब पर अपना नया वीडियो अपलोड किया था जिसे लोगों ने काफी पसंद किया ​था। इस दुर्घटना के साथ ही अनेक लोगों के सारे सपने और अरमान भी धुएं में मिल गए। दुर्घटना के बाद केवल यह कह देना कि मौत का दिन निश्चित होता है, बहुत आसान है लेकिन जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उन्हें जीवनभर दर्द सताता रहेगा। नेपाल सरकार को इस हादसे की निष्पक्ष जांच कराकर कारणों को ढूंढना होगा ताकि भविष्य में हादसों से बचा जा सके।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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