मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चौथा कार्यकाल पिछली तीन पारियों जैसा नहीं था। चौथी बार मुख्यमंत्री पद का ताज पहनना कांटों का ताज माना जा रहा था। लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने एक अस्थाई मानी जाने वाली सरकार को स्थाई सरकार में बदल डाला, बल्कि राज्य को विकास के पथ पर सरपट दौड़ाया। उन्होंने राज्य के किसानों से लेकर युवा और आदिवासी समुदाय को भी पूरी तरह साध कर रखा। राजनीतिक क्षेत्रों में यह स्वीकार किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में वे ‘ब्रांड शिवराज’ बन गए हैं। जिन्हें आसानी से नजरंदाज नहीं किया जा सकता। हाल ही में मध्य प्रदेश के शहर इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और निवेशक सम्मेलन के बाद जी-20 के तहत थिंक-20 समूह के सफल सम्मेलन से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा में चार चांद लग गए। प्रवासी भारतीय सम्मेलन और निवेशक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन से और दुनिया भर से आए प्रतिनिधियों की मौजूदगी में राज्य के लोगों में नई ऊर्जा का संचार कर दिया। इस सम्मेलन में अलग-अलग क्षेत्रों के उद्यमियों ने राज्य में कुल 15 लाख 42 हजार 550 करोड़ के निवेश का इरादा जताया, जो कि पिछले सम्मेलन से कहीं ज्यादा है। कोई समय था जब उद्योगपति मध्य प्रदेश में निवेश करने में कोई रुचि नहीं रखते थे। लेकिन अब उन्हें राज्य में निवेश करना हर दृष्टि से फायदे का सौदा लग रहा है।
बिजली के मामले में मध्य प्रदेश सरप्लस स्टेट है। राजमार्गों और सड़कों का निर्माण विश्वस्तरीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि शिवराज सरकार अपनी चार पारियों में उद्योगों के लिए सरकारी प्रक्रिया को सरल बनाया है। इससे मध्य प्रदेश निवेशकों के लिए आकर्षक गन्तव्य स्थल बन चुका है। एक के बाद एक सफल आयोजनों के बाद खेलो इंडिया भी भोपाल में शुरू होने वाला है। उज्जैन में महाकाल लोक के दूसरे चरण का काम तेजी से चल रहा है और ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा भी होने जा रही है। शिवराज सिंह चौहान सुशासन, स्थायित्व के साथ-साथ हिन्दुत्व की राह पर चलते नजर आए लेकिन जनता के लिए कल्याणकारी योजनाओं को भी द्रुतगति से जारी रखा। मध्य प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं सीमित हैं। इसके बावजूद उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कानून बनाए।
श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं अध्ययनशील, मननशील और कर्मशील होने की वजह से अपने संकल्प आसानी से साकार कर लेते हैं। वे जो सोचते हैं, उसे पूर्ण करने के लिए उन्हें बस इतने ही प्रयत्न करने होते हैं कि कार्य की शुरूआत से कार्य के पूर्ण होने के मध्य निरंतर अनुश्रवण का कार्य करना होता है। उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेेश में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए उन्होंने वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बनते ही प्रयत्न प्रारम्भ किये। मध्य प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों के विकास की व्यापक सम्भावनाओं को साकार करने के लिए उद्योगपतियों से सतत सम्पर्क आवश्यक था। इसके लिए की गई इन्वेस्टर्स समिट्स बहुत लाभकारी सिद्ध हुई। मध्य प्रदेश में न सिर्फ नया निवेश आया बल्कि लाखों नौजवानों को रोजगार भी मिला। प्रदेश की प्रतिभा का पलायन भी रुका। उद्योगों के विकास से सम्पूर्ण अधोसंरचना के विकास का कार्य आसान हुआ और प्रदेश की तस्वीर को बदलने में सफलता मिली। मुख्यमंत्री के रूप में श्री चौहान के विभिन्न कार्यकालों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि प्रथम कार्यकाल उन्होंने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, विद्यार्थियों को विद्यालय जाने के लिए साइकिल प्रदाय जैसे कल्याणकारी कार्य प्रारम्भ किए। बुनियादी क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाने की ठोस पहल की गई। श्री चौहान का मुख्यमंत्री पद का पहला कार्यकाल तीन वर्ष का था। द्वितीय और तृतीय कार्यकाल पांच-पांच वर्ष के रहे। इन दस वर्षों में मध्य प्रदेश ने विकास के नए आयाम छुए।
मुख्यमंत्री पद की चौथी पारी खेलते हुए शिवराज सरकार ने किसानों के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं। प्रदेश को सरकारी नौकरियों में केवल राज्य के युवाओं के लिए 100 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की। सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती की गई। वहीं शिवराज सरकार आदिवासी समुदाय के बीच दुबारा अपनी जड़े जमाने के लिए हर सम्भव कदम उठाती नजर आई। साहूकारों के कर्ज से आदिवासी समुदाय को मुक्ति दिलाने के लिए कानून बनाने के साथ-साथ उनका 15 अगस्त, 2020 के पहले का कर्ज माफ कर दिया। शिवराज चौहान किसी सफल क्रिकेटर की तरह चौके और छक्के लगा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में ऐसी सुगबुगाहट होती रहती है कि शायद चुनावों से पहले कुछ हलचल हो लेकिन इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि उनके हर कार्यकाल में मध्य प्रदेश को विकास का नया आयाम मिला है। मुख्यमंत्री की विशेषता यह है कि वह जो भी काम करते हैं वह बड़ी मेहनत से करते हैं। वह राजनीति में कला कौशल सम्पन्न व्यक्तित्व माने जाते हैं। वह कुछ ऊंच-नीच हुआ हो तो उसे भी विनम्रता से स्वीकार करने में हिचकते नहीं हैं। महिलाओं और बच्चों में मामा जी के नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान एक बड़ा ब्रांड बन चुके हैं। यही उनकी राजनीतिक पूंजी है।
सियासत की महफिल हो या कारपोरेट सैक्टर का जमावड़ा, हर जगह कुछ अलग अंदाज में नजर आए, लेकिन उनमें साफगोई नजर आती है।
‘‘शिवराज तो शिवराज है, जो उन्हें भाता है,
वही जुबां पर आ जाता है।’’
मुख्यमंत्री 5 फरवरी से विकास यात्रा की शुरूआत कर राज्य में इस वर्ष होने वाले चुनावों का शंखनाद करने वाले हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com