होली का ‘टका’ तो ले लो ! - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

होली का ‘टका’ तो ले लो !

बेचारे सिन्धिया ग्वालियर के पुराने किले की तहों में खाे गये जिसे राजा मानसिंह तोमर ने तामीर किया था। जाहिर है कि कमलनाथ जी को भी एक टका मिलनी चाहिए।

होलिका दहन के बाद ‘रंगों’ का मदमस्त त्यौहार आज है जिसे भारत की हिन्दू संस्कृति में ‘मदनोत्सव’ का चरमोत्कर्ष भी माना जाता है। भारत के इन हिन्दू त्यौहारों का भारतीयकरण मुगलिया हुकूमत के दौरान ही जमकर हुआ और मुगल दरबारों में ‘होरी’  या ‘फाग’ का गायन दरबारी परंपरा में शामिल हुआ। यहां तक कि मुगल बादशाह ‘बहादुर शाह रंगीले’ ने स्वयं शास्त्रीय संगीत के ‘बड़े खयाल’ में होरी का मनुहारी वर्णन किया। भारत के लोक उत्सवों ने धर्म की सीमाओं और दीवारों को लांघ कर सामाजिक सम्बन्धों को मानवीय रसधारा से बांधा। संगीत के माध्यम से यह कार्य सर्वाधिक प्रभावशाली ढंग से हुआ। अतः हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही वर्ग के गायकों ने होली के पर्व पर उड़ने वाले ‘अबीर–गुलाल’ की खुशबू से अपनी-अपनी धार्मिक आस्थाओं को भी सराबोर कर डाला। 
बीसवीं सदी की शुरूआत की प्रसिद्ध ठुमरी व खयाल गायिका ‘गोहर जान’ ने मदीने में रसूले पाक हजरत माेहम्मद साहब के होली खेलने का वर्णन किया (मेरे हजरत ने मदीने में मनाई होली)।  हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति के सम्मोहक समागम का इससे बड़ा उदाहरण संभवतः कोई दूसरा नहीं हो सकता और ‘हिन्दू मौला ब्राह्मण’ समुदाय  द्वारा मुहर्रम के अवसर पर ‘ताजिये’ निकालने की परंपरा भी बेमिसाल मानी जा सकती है, यह हिन्दू और इस्लामी संस्कृतियों के भारतीय संस्करण के स्वरूप में रूपान्तरण है। अतः हिन्दू-मुसलमानों की धार्मिक पद्धतियां अलग होने के बावजूद इनकी ‘भारतीयता’ को कोई भी ताकत चुनौती देने की हिमाकत नहीं कर सकती है। दोनों ही समुदाय  हिन्दुस्तान की मिट्टी की ‘खुशबू’ के जज्बे से पुर-नूर हैं और उनकी ‘ख्वाहिशें’ हिन्द की बुलन्दी से बावस्ता हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग अंचलों में होली खेलने का रिवाज अलग-अलग है। 
इनमें एक समानता रंगों की बहार की होती है जो इस त्यौहार का ‘स्थायी भाव’ है। इसके साथ ही लोक  संगीत और  लोकगीत भी रंगों के साथ-साथ बहता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होली खेलने का ढंग सबसे निराला माना जाता है। इस क्षेत्र की संस्कृति खड़ी बोली या ‘कौरवी’ की है जिसमें गंभीर से गंभीर कथन को भी ‘ठोक’ कर कहा जाता है। यहां के लोकगीत भी सीधी-सपाट बात करते हैं। होली पर यहां हर उस व्यक्ति को ‘टका’ दी जाती है जो समाज में ऊंचा स्थान रखता है अथवा रुआबदार औहदे पर काबिज होता है। वास्तव में यह होली के दिन छोटे-बड़े का भेद समाप्त करने की सामाजिक प्रक्रिया होती है जिसमें तंज या कटाक्ष करके कथित बड़े लोगों को एक समान धरातल पर लाया जाता है।
 इसके साथ ही समाज के सामान्य से लेकर हर काम धंधे में लगे लोगों को टका देकर उनसे चुहलबाजी की जाती है और उसके बाद पूरी टोली एक स्वर से कहती है कि बोलो बे-बुरा न मानो होली है, टका केवल शब्दों में दी जाती है, भौतिक रूप में नहीं। टका गुजरे जमाने की भारतीय मुद्रा है और बांग्लादेश में आज भी वहां की मुद्रा टका ही कहलाई जाती है। टका होली खेलते हुए लोगों की टोलियां देती हैं। पहले टोली का नेता बोलता है कि एक टका फलां साहब को दो और बाद में सारे लोग सोच कर कटाक्ष में उस व्यक्ति पर फब्ती कसते हैं। कमाल यह होता है कि यह सब हाजिर बयान होता है। दिल्ली की हिंसा और उत्तर प्रदेश में सीएए के विरुद्ध आंदोलन को लेकर जो वातावरण बना हुआ है, उसमें भारत के इस क्षेत्र की होली का रंग निराला ही होगा और सबसे पहली टका मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ पाने के अधिकारी होंगे। अतः 
एक टका योगी जी को दो
इनकी फोटो चौखट पर लो
परन्तु पूरे राष्ट्र को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सामाजिक समरसता में जोड़े रखने के प्रयास में लगे हुए हैं।  हालांकि उनकी पार्टी के लोग ही उनके लिए कुछ कम मुश्किलें पैदा नहीं कर रहे हैं। अतः एक टका पाने के वह भी हकदार होंगे। इसलिए 
एक टका नरेन्द्र मोदी को दो 
इनकी होली मुबारक हो 
लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को लेकर जो अफरा-तफरी का माहौल बनता जा रहा है और बैंक पर बैंक फेल हो रहे हैं उसे लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण संसद से लेकर सड़क तक सफाई देती फिर रही हैं मगर लोगों को समझा नहीं पा रही हैं। आम जनता महंगाई से भी घबराने लगी है और पेट्रोल के बढ़ते दामों से भी। अतः एक टका ‘भागवान’ समझी जाने वाली इस मन्त्री को भी।
 एक टका निर्मला जी को दो 
अपनी  रकम-जमा वापस लो 
अब निर्मला जी के नायब वजीर अनुराग ठाकुर को कैसे कोरा–कोरा छोड़ा जा सकता है। हुजूर ने एेसे ‘बैन’ बोले कि ‘बाण’ बन कर जनता का सीना छलनी कर गये। जनाब ने बिना गोली चलाये ही दनादन बंदूकें दाग डाली और तुर्रा यह कि ‘मैंने तो बस फिल्म की पलट’ चलवाई थी। वाजिब है कि उन्हें भी एक टका दी जाये
एक टका अनुराग ठाकुर को दो 
इनकी पूरी तलाशी लो 
 भला प. बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता दी किस तरह होली खेलने से बच सकती हैं। उनका खून तो ‘टका’ सुनकर ही जोश मारने लगेगा। अपने राज्य में इन्होंने ही सबसे पहले सीएए और एनआरसी के खिलाफ मु​िहम छेड़ी थी। दूर की कौड़ी फैंकने में उनका कोई सानी नहीं है। राजनीति उन्होंने सड़कों पर संघर्ष करते हुए सीखी है और दिखा दिया है कि जब वह मैदान में उतरती हैं तो कांग्रेस और कम्युनिस्ट किस तरह आपस में हाथ मिलाकर भाजपा की मजबूती का सबब बन जाते हैं। अतः एक टका उनको भी 
एक टका ममता दी को दो 
इनकी होली ‘हल्ला’ हो 
मगर क्या कयामत हुई कि मध्यप्रदेश में आराम से किनारे-किनारे बहुमत की नौका पर सफर कर रहे कमलनाथ को ज्योतिरादित्य सिन्धिया ने रेतीले ‘गाद’ में  रोक दिया और पूछने लगे कि बन्दा-परवर किश्ती कैसी चल रही है? कमलनाथ भी कच्ची गोलियां नहीं खेले हैं। तड़ाक से जवाब दिया  ‘कमल’ की मेहरबानी से कीचड़ में भी रफ्तार अच्छी है। बेचारे सिन्धिया ग्वालियर के पुराने किले की तहों में खाे गये जिसे राजा मानसिंह तोमर ने तामीर किया था। जाहिर है कि कमलनाथ जी को भी एक टका मिलनी चाहिए। 
एक टका कमलनाथ को दो
ग्वालियर का टोपा भोपाल में लो 
ांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी होली बहुत चाव से खेलते हैं संसद में उन्हें विरोधी बोलने नहीं देते जिससे सड़कों पर उनकी जबां तूफान पैदा करने लगती है। इकतजा है कि जनाब संसद में जमकर बोले और खुदा के वास्ते लोकसभा अध्यक्ष उन पर वैसा कर्म न फरमायें जैसा गौरव गोगोई व बाकी छह कांग्रेसी सांसदों पर फरमाया है। एक टका राहुल जी को भी जरूर।
एक टका राहुल गांधी को दो
कांग्रेस को संसद में तो रहने दो 
 बुरा न मानो होली है। बोलो बे साथियो…। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

15 − 14 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।