घाटी में टारगेट किलिंग - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

घाटी में टारगेट किलिंग

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद उम्मीद थी कि राज्य शांति के पथ पर आगे बढ़ेगा। 15 अगस्त से पहले लाल चौक स्थित घंटाघर तिरंगे की रोशनी में नहाया हुआ नजर आया।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद उम्मीद थी कि राज्य शांति के पथ पर आगे बढ़ेगा। 15 अगस्त से पहले लाल चौक स्थित घंटाघर तिरंगे की रोशनी में नहाया हुआ नजर आया। लाल चौक से निकली तस्वीर देशवासियों के लिए गर्व का विषय बन गई थी। कभी आतंकवादी ताकतें कहती थी कि लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराने देंगे। 29 वर्ष पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। जोशी उस समय भाजपा के अध्यक्ष थे, वहीं नरेन्द्र मोदी एकता यात्रा के संयोजक थे। 370 हटाये जाने के बाद कुछ सकारात्मक पर्यटकों में बढ़ौतरी, रोजगार और निवेश की बातें, बालीवुड की फिल्मों की शूटिंग, डल झील के किनारे घूमने वालों की भीड़ दिखाई देने लगी थी। सुरक्षा बलों का आप्रेशन आल आउट सफलतापूर्वक चल रहा था। आतंकवादियों की उम्र घट कर 6-7 महीने ही रह गई थी। ऐसा लग रहा था कि घाटी आतंक मुक्त हो जाएगी। यही सही है कि अनुच्छेद-370 और 35ए को  ​निरस्त करके राज्य का पुनर्गठन कर मोदी सरकार ने ऐतिहासिक और युगांतरकारी कदम उठाया लेकिन जम्मू-कश्मीर में फिर से पहचान के आधार पर आम लोगों को  ​निशाना बनाने का जो दौर शुरू हुआ है, उसे पिछले 30 वर्षों से जारी नरसंहार के  ताजा पहलू  के तौर पर देखा जाना चाहिए।
पहले आशंका जताई जा रही थी कि अफगानिस्तान में  तालिबानी वापसी के बाद पाक कश्मीर में नये सिरे से आतंकवाद के पोषण की नापाक हरकत कर सकता है। वह एक बार ​फिर हारी हुई लड़ाई को लड़ने की कोशिश कर सकता है। पाकिस्तान कह भी यही रहा है। ​पहले अल्पसंख्यक नागरिकों की टारगेट किलिंग और फिर सेना और सुरक्षा बलों पर हमले इसी कड़ी का हिस्सा हैं। भारतीय खुफिया एजैंसियों को इस बात की जानकारी है कि पाक अधि​कृत कश्मीर में 21 सितम्बर को  आईएसआई ने आतंकी संगठनों के साथ बैठक कर भारत में टारगेट किलिंग को कहा है, जिसमें 200 लोगाें की लिस्ट बनाई गई है। इसमें कुछ राजनीतिक दलों, हिन्दू संगठनों, कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए मुख्य लोगों और सेना के लिए सूचनाएं ए​कत्रित करने वाले लोगों के नाम शामिल हैं।
शनिवार को श्रीनगर और पुलवामा में हुई अलग-अलग घटनाओं में दो और स्थानीय लोगों की हत्या कर दी थी। श्रीनगर के ईदगाह इलाके में गोलगप्पों की रेहड़ी लगाने वाले बिहार के बांका जिले के निवासी अरविन्द साह की गोली मारकर हत्या और पुलवामा में उत्तर प्रदेश के मूल निवासी पेशे से कारपेंटर सागिर अहमद की हत्या कर दी गई।  रविवार को कुलगाम के वानपोह में आतंकवादियों ने तीन बिहारी मजदूरों को निशाना बनाया जिसमें से दो की मौत हो गई।
इससे पहले भी गोलगप्पे बेचने वाले बिहार के वीरेन्द्र पासवान की हत्या की जा चुकी है। जम्मू-कश्मीर में आम आदमी को चुन-चुन कर निशाना बनाकर आतंकवादी संगठन यही संदेश देना चाहते हैं कि राज्य में आम भारतीय राज्यों के लोगाें को सहन ​नहीं ​किया जाएगा। वे यह भी दिखाना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं बल्कि राज्य अभी भी अशांत है। श्रीनगर में राष्ट्रवादी कैमिस्ट कश्मीरी पंडित मक्खन लाल बिन्द्रू की हत्या की पृष्ठ भूमि में यह देखना भी ​जरूरी है कि इस वक्त कश्मीरी पंडितों की सम्पत्ति के अधिकारों की बात हो रही है। अगर उनकी सम्पत्ति पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो उस सम्पत्ति से कब्जा हटा कर उसके मालिक को सौंपने की बात हो रही है। यह सब अलगाववादी तत्वों को सहन ​नहीं हो रहा। 
दरअसल 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद घाटी में जिस तरह देश की मुख्य धारा से जुड़ने का उत्साह दिखाई दिया और लोगों ने जिस तरह राष्ट्रीय पर्वों और योजनाओं में भागीदारी शुरू की वह पाक और उसके पोषित आतंकवादियों को रास नहीं आया। अब उसने आतंक का नया दौर शुरू करके बहुसंख्यक मुस्लिम और अल्पसंख्यक ​हिन्दू-​सिखों को बांटने की साजिश रच डाली।  इस साजिश का शिकार हमारे जवान भी हो रहे हैं। हमारे जवानों की शहादत काफी दुखद है। स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर, ​ शिक्षक ​दीपक चंद की हत्याओं से पहले इसी वर्ष श्रीनगर, लोकभवन त्राल वानपोह आदि स्थानों पर स्वर्णकार सतपाल निकेतन, कृष्णा ढाबा के मालिक आकाश मेहरा, राकेश पंडित, अजय धर, बंटू शर्मा आदि की हत्याएं सीधी ​चेतावनी हैं कि आतंकवादी और उनके आका कश्मीर में हिन्दुओं की उपस्थिति और कश्मीरी पंडितों की वापसी बिल्कुल नहीं चाहते। उन्हें धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र से क्या लेना-देना। ये… तो गैर इस्लामिक है।
90 के दशक में इसी तरह हत्याएं करके लाखों कश्मीरी पंडितों को उनकी जन्मभूमि से बाहर कर दिया गया था। इस दौर में भी कश्मीर में भारत का सामाजिक, सांस्कृतिक धरातल नजर नहीं आ रहा और आम आदमी को निशाना बनाया जा रहा तो लगभग 7 लाख कश्मीरी पंडितों को उनकी आशाओं के अनुरूप कैसे बसाया जा सकेगा। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को कश्मीरी पंडितों को हर हालत में बसाने के प्रयास करने होंगे । आतंक के नये दौर का सामना सुरक्षा बलों और सेना की चौकसी से ही करना होगा। यह जंग दरिंदगी और इंसानियत के बीच है जो दरिंदे इंसान की जान पर हमला करें उन्हें जीने का अधिकार नहीं। राष्ट्र का आह्वान ​क्षात्र तेज करने के लिए करें। पाकिस्तान द्वारा दूध पिलाकर तैयार किये गये नागों को ​कुचलना ही होगा। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine − eight =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।