भारत और संयुक्त अरब अमीरात के सम्बन्ध काफी मजबूत हैं और इसका कारण है मुस्लिम शेखों के देश का सहिष्णु होना। एक ओर आतंकवाद के कारण इस्लाम पूरी दुनिया में बदनाम हो रहा है लेकिन अगर आप दुबई और अबूधाबी जाकर देखें तो आपको विश्वास हो जायेगा कि कोई इस्लामी देश ऐसा भी हो सकता है। सहिष्णुता और उदारता इस देश की इतनी अद्भुत है कि उसका मुकाबला कोई अन्य देश कर ही नहीं सकता। संयुक्त अरब अमीरात राष्ट्रीयता का अनुपम संग्रहालय है। सबसे खास बात तो यह है कि यहां इतने धर्मों, इतने राष्ट्रों, इतनी जातियों के लोग यहां मिलकर काम कर रहे हैं। उनमें कभी कोई दंगे नहीं होते। यह सही है कि इस्लामी देशों की तरह कानून बहुत सख्त है और कानूनों का पालन भी होता है।
यहां हिन्दू मंदिर हैं, श्मशानघाट हैं, गुरुद्वारे हैं और चर्च है और सबको अपने पूजा पाठ, कथा करने की पूर्ण आजादी है। यहां एक विशेष मंत्रालय है जिसका नाम सहनशीलता मंत्रालय है। संयुक्त अरब अमीरात का शाही परिवार यहां पर रह रहे लगभग 30 लाख भारतीयों में काफी लोकप्रिय है। संयुक्त अरब अमीरात की आबादी लगभग एक करोड़ है। इनमें से 20 लाख लोग ही मूल निवासी हैं और 80 लाख लोग विदेशी हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीयों ने संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को संवारने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। वहां के संविधान को मानते हुये मेहनत-मजदूरी करके अपने लिये प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है। दुबई में तो पहले से ही दो मंदिर और एक गुरुद्वारा है जो न केवल भारतीयों के लिये बल्कि सभी धर्मों के लिये सांप्रदायिक सेवा करते हैं। अबूधाबी में कोई हिन्दू मंदिर नहीं था और हिन्दुओं को पूजा या शादी जैसे समारोहों के लिये दुबई जाना पड़ता था। अबूधाबी से दुबई की यात्रा तीन घण्टे की है। इन दिक्कतों को देखते हुये संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने अबूधाबी में मंदिर के लिये जमीन दी थी। इस मंदिर का शिलान्यास शनिवार को सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में किया गया।
इस मंदिर का निर्माण बोचासंवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था कर रही है। अबूधाबी में मंदिर बनाने की योजना को मंजूरी 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहली यूएई यात्रा के दौरान दी थी। मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को शुभकामनायें दी हैं। मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो जाने के बाद यह मंदिर सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिक नैतिकता का प्रतीक होगा जो भारत तथा यूएई दोनों की सामान विरासत है। यह मंदिर वसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है के वैदिक मूल्यों का प्रतीक बनेगा।
मैं कई बार दुबई गया और इस दौरान मैं गुरुद्वारा गुरुनानक दरबार जरूर जाता हूं। यह गुरुद्वारा इंसानियत और भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है। गुरुद्वारे के चेयरमैन सुरेन्द्र सिंह कंधारी से भी मुलाकात होती है। इस गुरुद्वारे में पिछले कई वर्षों से रमजान के दौरान इफ्तार का आयोजन होता है। यहां मुस्लिम आकर अपना रोजा तोड़ते हैं। हर धार्मिक स्थल सामुदायिक सेवायें देता है जिससे सभी धर्मों के लोगों को सुविधा होती है। अबूधाबी का मंदिर न केवल भारतीयों के लिये बल्कि अन्य सभी संस्कृतियों के लोगों के लिये प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इस मंदिर निर्माण की मुहिम अबूधाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी बी.आर. शैट्टी ने की थी।
इस मंदिर का निर्माण भारतीय शिल्पकार ही करेंगे। यह मंदिर दिल्ली में बने वीएपीएस मंदिर और न्यू जर्सी में बन रहे मंदिर की प्रतिमूर्ति होगा। ऐसा नहीं है कि खाड़ी देेशों में हिन्दू मंदिर नहीं। कतर, कुवैत में भी हिन्दू मंदिर हैं मगर जब यह मंदिर बने थे तो उनका ज्यादा प्रचार नहीं किया गया था। सिर्फ सऊदी अरब ऐसा देश है यहां कोई हिन्दू मंदिर नहीं है क्योंकि वहां गैर मुस्लिम के लिये प्रार्थना की जगह ही नहीं है। ओमान में पुरातत्व विभाग को मस्कट के पास हड़प्पा कालीन जमाने के ऐसे साक्ष्य मिले थे जिसमें भारतीय और अरबों के पुराने सम्बन्ध देखने को मिले। कुवैत में काफी पुराने मंदिर थे। कुवैत से 250 वर्ष पुरानी मूर्ति ओमान के लिये लाई गई थी। इस्लाम के आने से करीब 2 हजार साल पहले हिन्दू और अरबियों के रिश्ते रहे हैं।
संयुक्त अरब अमीरात चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। कच्चे तैल और ऊर्जा के क्षेत्र में यह भारत का एक अहम सहयोगी है। इसकी अर्थव्यवस्था 800 अरब डालर है। यहां रहने वाले प्रवासी भारतीय अपनी जड़ों से जुड़े हुये हैं। भारत को सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खाड़ी देशों से ही मिलती है। भारतीय संयुक्त अरब अमीरात से कमा कर अपने परिवारों को धन भेजते हैं। संयुक्त अरब अमीरात के लिये भारत का बड़ा बाजार काफी उपयोगी है। भारत को ही नहीं दुनिया के सभी देशों को संयुक्त अरब अमीरात की सहिष्णुता से सबक सीखना चाहिये।